एम्स के डॉक्टर ने केंद्रीय मंत्री द्वारा मरीजों के वापस लौटाने को नैतिक रूप से ग़लत बताते हुए लिखा खुला पत्र.
नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विग्यान संस्थान (एम्स) के एक डॉक्टर ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के उस कथित निर्देश को नैतिक रूप से गलत और अवैध बताते हुए इसके जवाब में एक खुला पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने छोटी मोटी बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में भीड़ लगाने वाले बिहार के लोगों को वापस लौटाने को कहा था.
एम्स में हड्डी रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ शाह आलम खान ने कहा कि देश में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा खराब होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख संस्थानों में भीड़भाड़ की समस्या पैदा होती है.
हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री नियुक्त किए गए चौबे ने कथित रूप से एम्स के निदेशक को छोटी मोटी बीमारियों के लिए आने वाले बिहार के मरीजों को पटना वापस भेजने के निर्देश दिए थे जिसके लिए उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा.
खान ने कहा, एक चिकित्सक के रूप में हम क्षेत्र, जाति, पंथ, धर्म, लिंग, सामाजिक स्थिति और राष्ट्रीयता के आधार पर किसी मरीज के इलाज से इनकार नहीं कर सकते और न ही करना चाहिए. यह न केवल नैतिक रूप से गलत बल्कि ऐसा करना गैरकानूनी भी होगा.
शाह आलम ने अपने पत्र में लिखा है कि कृपया एम्स या देश के किसी भी डॉक्टर को किसी खास पहचान के मरीज का इलाज नहीं करने की सलाह न दें. इसके अलावा, आपकी सलाह न मानने वाले डॉक्टर नैतिक और कानूनी तौर पर सही हैं, क्योंकि अगर बिहार से आने वाले मरीज की बीमारी छोटी भी है, तो यह मरीजों का अधिकार है कि वे खुद को कितना बीमार मानते हैं.
उन्होंने अपने पत्र में कहा, इसलिए कृपया एम्स के डॉक्टरों या आपकी सरकार में सेवारत देश में किसी भी डॉक्टर को सलाह न दें कि मरीजों के एक वर्ग का इलाज न किया जाए.
मंत्री ने गुरुवार को एम्स के डॉक्टरों को मरीजों को लौटाने के निर्देश देने से इनकार किया था. उन्होंने कहा, मैंने इस तरह का कुछ कभी नहीं कहा. मीडिया में जो भी रिपोर्ट आई है वह आधारहीन और झूठी है.
डॉ. शाह आलम ने लिखा है, ‘माननीय मंत्री जी! मेरे एक मरीज को बोन कैंसर है. शायद वह आने वाली सर्दी भी न देख पाए. वह बिहार का निवासी है. आपके बयान के बाद वह मेरे पास आया और पूछा कि क्या मैं बिहार से आए मरीजों को अब नहीं देखूंगा? मैंने उसे जवाब दिया कि मैं उसे देखूंगा. मैंने उसे अगले दिन के लिए बुलाया. इस पर वह अपने सूखे होंठों से मेरे हाथ चूमकर चला गया. तो मंत्रीजी माफ करिए, मैं आपके निर्देश का पालन नहीं कर सकता क्योंकि उस मरीज की आंखों में अब भी आशा बची है. उम्मीद है आप मेरी दुविधा समझेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)