बीते दिनों कन्नड अभिनेता किचा सुदीप द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा कहने के संबंध में एक बयान दिया था, जिस पर बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने पटलवार करते हुए कहा था कि हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी. हिंदी फिल्मों की तुलना में दक्षिण की ‘केजीएफ चैप्टर 2’ और ‘आरआरआर’ जैसी फिल्मों की सफलता ने हिंदी बनाम अन्य की बहस को फिर से तेज़ कर दिया है.
नई दिल्ली/बेंगलुरु: बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और दक्षिण भारतीय अभिनेता किचा सुदीप के बीच हिंदी के राष्ट्रभाषा होने को लेकर ट्विटर पर छिड़ी बहस में फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा भी कूद पड़े हैं. इतना ही नहीं कर्नाटक के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों सिद्धारमैया और एचडी कुमारस्वामी ने इस बहस में शामिल होते हुए कहा है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है.
कन्नड फिल्मों के अभिनेता सुदीप ने अपने एक बयान से हलचल मचा दी थी कि दक्षिण भारतीय भाषा की फिल्मों की सफलता के कारण हिंदी अब एक राष्ट्रभाषा नहीं है. इसके बाद अजय देवगन ने पलटवार करते हुए पूछा था कि दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग फिर हिंदी में फिल्मों को क्यों डब करते हैं?
निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने सुदीप का समर्थन करते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘निर्विवाद जमीनी सच्चाई ये है सुदीप सर कि उत्तर भारत के सितारे दक्षिण के सितारों से असुरक्षित और ईर्ष्या महसूस करते हैं, क्योंकि कन्नड की एक फिल्म केजीएफ 2 ने बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन 50 करोड़ रुपये से शुरुआत की और अब हम सभी हिंदी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन को देखने वाले हैं.’
The base undeniable ground truth @KicchaSudeep sir ,is that the north stars are insecure and jealous of the south stars because a Kannada dubbing film #KGF2 had a 50 crore opening day and we all are going to see the coming opening days of Hindi films
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) April 27, 2022
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राम गोपाल वर्मा यहीं नहीं रुके और सुदीप को जवाब दिया, ‘क्या आप खुश नहीं हैं कि आपने यह बयान दिया है, क्योंकि जब तक एक मजबूत हलचल नहीं होती है, विशेष रूप से ऐसे समय में शांति नहीं हो सकती है, जब बॉलीवुड (उत्तर भारतीय फिल्में) और सैंडलवुड (दक्षिण भारतीय फिल्मों) के बीच युद्ध जैसी स्थिति प्रतीत होती है.’
Whether u intended or not am glad u made this statement ,because unless there’s a strong stir , there cannot be a calm especially at a time when there seems to be a war like situation between Bolly(north)wood and Sandal(South) wood https://t.co/SXPqvrU8OV
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) April 27, 2022
उनका निशाना अजय देवगन की रिलीज़ होने वाली फिल्म रनवे 34 पर था. उन्होंने आगे लिखा, ‘रनवे 34 के पहले दिन का कलेक्शन साबित करेगा कि हिंदी बनाम कन्नड़ में कितना सोना (केजीएफ 2) है.’
Like the PROOF of the PUDDING is in the eating , the runway 34 collections will prove how much GOLD (kgf2) is there in HINDI versus KANNADA .. @ajaydevgn versus @KicchaSudeep
— Ram Gopal Varma (@RGVzoomin) April 27, 2022
दरअसल बीते 27 अप्रैल को अजय देवगन ने किचा सुदीप को टैग करते हुए ट्विटर पर लिखा था, ‘मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फिल्मों को हिंदी में डब करके क्यों रिलीज करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी. जन गण मन.’
इसके जवाब में सुदीप ने ट्वीट किया था, ‘हैलो, अजय सर, मैंने ऐसा क्यों कहा इसका संदर्भ मेरे अनुमान से आप तक अलग तरीके से पहुंच गया. संभवत: इस बात पर तब बातचीत की जाएगी, जब मैं आपको व्यक्तिगत रूप से मिलूंगा. यह चोट पहुंचाने, उकसाने या कोई बहस शुरू करने के लिए नहीं था. मैं ऐसा क्यों करूंगा सर?’
I love and respect every language of our country sir. I would want this topic to rest,,, as I said the line in a totally different context.
Mch luv and wshs to you always.
Hoping to seeing you soon.
🥳🥂🤜🏻🤛🏻— Kichcha Sudeepa (@KicchaSudeep) April 27, 2022
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने देश की हर भाषा से प्यार और सम्मान करता हूं सर. मैं चाहता हूं कि इस मुद्दे को अब छोड़ दिया जाए, क्योंकि मैंने पूरी तरह से अलग संदर्भ में उस बात को कहा था. ढेर सारा प्यार और आपको हमेशा शुभकामनाएं. आपसे जल्द ही मिलने की उम्मीद है.’
सुदीप ने आगे कहा, ‘और अजय सर आपके द्वारा हिंदी में भेजे गए टेक्स्ट को मैं समझ गया. केवल इसलिए कि हम सभी ने हिंदी का सम्मान किया, प्यार किया और सीखा. बुरा मानने वाली बात नहीं है सर, लेकिन सोच रहा था कि अगर मेरी प्रतिक्रिया कन्नड़ में टाइप की गई होता तो क्या स्थिति होती! क्या हम भी भारत के नहीं हैं सर.’
And sir @ajaydevgn ,,
I did understand the txt you sent in hindi. Tats only coz we all have respected,loved and learnt hindi.
No offense sir,,,but was wondering what'd the situation be if my response was typed in kannada.!!
Don't we too belong to India sir.
🥂— Kichcha Sudeepa (@KicchaSudeep) April 27, 2022
इस पर अजय देवगन ने कहा, ‘सुदीप आप एक दोस्त हैं. गलतफहमी दूर करने के लिए धन्यवाद. मैंने हमेशा फिल्म उद्योग को एक के रूप में सोचा है. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और हम उम्मीद करते हैं कि हर कोई हमारी भाषा का भी सम्मान करेगा. शायद, अनुवाद में कहीं कोई गड़बड़ी हो गई थी.’
Translation & interpretations are perspectives sir. Tats the reason not reacting wothout knowing the complete matter,,,matters.:)
I don't blame you @ajaydevgn sir. Perhaps it would have been a happy moment if i had received a tweet from u for a creative reason.
Luv&Regards❤️ https://t.co/lRWfTYfFQi— Kichcha Sudeepa (@KicchaSudeep) April 27, 2022
इसके जवाब में सुदीप ने कहा, ‘अनुवाद और उनकी व्याख्याएं दृष्टिकोण हैं सर. यह पूरा मामला जाने बिना प्रतिक्रिया न देने का यही कारण है. मैं आपको दोष नहीं देता अजय देवगन सर. शायद यह एक खुशी का पल होता अगर मुझे आपसे एक रचनात्मक कारण के चलते कोई ट्वीट मिला होता. ढेर सारा प्यार.’
कुछ दिन पहले ‘आर: द डेडलीएस्ट गैंगस्टर एवर’ के फिल्म लॉन्च पर किचा सुदीप ने कहा था कि दक्षिण के निर्देशक ऐसी फिल्में बना रहे हैं जिनकी उपस्थिति वैश्विक है.
एक वीडियो में दक्षिण भारतीय अभिनेता यश की फिल्म ‘केजीएफ: चैप्टर 2’ की जबरदस्त सफलता का जिक्र करते हुए सुदीप ने कहा था, ‘आपने कहा था कि कन्नड़ में एक पैन इंडिया (राष्ट्रीय स्तर की) फिल्म बनाई गई थी. मैं एक छोटा सा सुधार करना चाहता हूं. हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं रही. वे (बॉलीवुड) आज पैन इंडिया फिल्में कर रहे हैं. वे तेलुगू और तमिल में डबिंग करके (सफलता पाने के लिए) संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कुछ हो नहीं हो रहा है. आज हम (दक्षिण भारतीय) ऐसी फिल्में बना रहे हैं, जो हर जगह जा रही हैं.’
इसी दौरान तेलुगू फिल्मों के अभिनेता चिरंजीवी ने साल 1989 का एक वाकया सुनाते हुए बताया था उनकी फिल्म ‘रुद्रवीणी’ को नरगिस दत्त सम्मान देने के लिए दिल्ली बुलाया गया था. उन्होंने कहा था कि इससे पहले हुए एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पाया था कि भारतीय सिनेमा के इतिहास को चित्रित करने वाली एक दीवार पर हिंदी सिनेमा की जानकारी भरी हुई थी, लेकिन दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई थी.
दक्षिण भारतीय फिल्मों की सफलता के बारे में दिल्ली टाइम्स से बातचीत में हाल ही में मनोज बाजपेयी ने कहा था कि पुष्पा और केजीएफ जैसी हिट फिल्मों ने ‘मुंबई फिल्म उद्योग के सभी मुख्यधारा के फिल्म निर्माताओं को हिला दिया है.’
अभिनेता ने कहा था कि दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माता दर्शकों से बात नहीं करते हैं और उनका काम ‘विशुद्ध’ है. उन्होंने आगे कहा, ‘यह मुंबई उद्योग के मुख्यधारा के फिल्म निर्माताओं के लिए एक सबक है कि मुख्यधारा के सिनेमा को कैसे बनाया जाए.’
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, कुमारस्वामी ने भी कहा- हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं
बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और सुदीप के बीच ट्विटर पर हिंदी को लेकर हुई बहस में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और एचडी कुमारस्वामी भी शामिल हो गए और दोनों नेताओं ने कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है और वह देश की किसी भी अन्य भाषा की तरह ही है.
कांग्रेस नेता सिद्दारमैया ने कहा, ‘हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा न कभी थी और न कभी होगी. हमारे देश की भाषाई विविधता का सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है. प्रत्येक भाषा का अपना समृद्ध इतिहास है और उस भाषा के लोगों को उस पर गर्व है. मुझे कन्नड़भाषी होने पर गर्व है.’
Hindi was never & will never be our National Language.
It is the duty of every Indian to respect linguistic diversity of our Country.
Each language has its own rich history for its people to be proud of.
I am proud to be a Kannadiga!! https://t.co/SmT2gsfkgO
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) April 27, 2022
सिद्धारमैया की तरह ही जनता दल (सेक्युलर) के कुमारस्वामी ने अपने विचार रखे सुदीप का समर्थन भी किया.
उन्होंने कहा, ‘अभिनेता सुदीप का कहना सही है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है. उनके बयान में कुछ भी गलत नहीं है. अभिनेता अजय देवगन आक्रामक स्वभाव के हैं और उन्होंने अपने इस अजीब व्यवहार को प्रदर्शित किया है.’
Like Kannada, Telugu, Tamil, Malayalam & Marathi, Hindi is also one of languages. India is a garden of several languages. Land of multi cultures. Let there be no attempts to disrupt this. 2/7
— ಹೆಚ್.ಡಿ.ಕುಮಾರಸ್ವಾಮಿ | H.D.Kumaraswamy (@hd_kumaraswamy) April 28, 2022
कुमारस्वामी के अनुसार, हिंदी भी कन्नड, तेलुगू, तमिल, मलयालम और मराठी जैसी भाषाओं की तरह एक भाषा है.
कुमारस्वामी ने बृहस्पतिवार को सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं. देश विभिन्न संस्कृतियों से समृद्ध है. इसमें खलल उत्पन्न करने की कोशिश न करें.’
कुमारस्वामी ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है, इसे राष्ट्रभाषा नहीं कहा जा सकता. कश्मीर से कन्याकुमारी तक नौ राज्यों से कम में हिंदी दूसरे या तीसरे नंबर की भाषा है या ऐसे भी राज्य हैं, जहां उसे यह मुकाम भी हासिल नहीं हैं.
कुमारस्वामी ने कहा, ‘अगर स्थिति यह है तो अजय देवगन के बयान में क्या सच्चाई है? फिल्म को ‘डब’ (दूसरी भाषा में अनुवाद) नहीं करने से आपका (अजय देवगन का) क्या मतलब है?’
उनके अनुसार, केंद्र में ‘हिंदी’ भाषी राजनीतिक दल शुरू से ही क्षेत्रीय भाषाओं को खत्म करने का प्रयास करते रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय भाषाओं को ‘दबाना’ शुरू किया था और अब भारतीय जनता पार्टी भी ऐसा ही कर रही है.
उन्होंने आगे कहा, ‘भाजपा के हिंदी राष्ट्रवाद के मुखपत्र की तरह अजय देवगन एक राष्ट्र, एक कर, एक भाषा और एक सरकार की बात करते हैं.’
Devgan must realise that Kannada cinema is outgrowing Hindi film industry. Because of encouragement by Kannadigas Hindi cinema has grown. Devgan shouldn’t forget that his first movie ‘Phool aur Kaante’ ran for a year in Bengaluru. 6/7
— ಹೆಚ್.ಡಿ.ಕುಮಾರಸ್ವಾಮಿ | H.D.Kumaraswamy (@hd_kumaraswamy) April 28, 2022
कुमारस्वामी ने आगे कहा, ‘देवगन को यह समझना चाहिए कि कन्नड सिनेमा हिंदी फिल्म उद्योग को पछाड़ रहा है. कन्नड लोगों के प्रोत्साहन से हिंदी सिनेमा का विकास हुआ है. देवगन को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनकी पहली फिल्म ‘फूल और कांटे’ बेंगलुरु में एक साल तक चली थी.’
यह बहस तब शुरू हुई है जब कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय ने संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में अमित शाह के हवाले से कहा था, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा. अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण अंग बनाया जाए. जब अन्य भाषा बोलने वाले राज्यों के नागरिक एक-दूसरे से संवाद करते हैं, तो यह भारत की भाषा में होना चाहिए.’
अमित शाह द्वारा हिंदी भाषा पर जोर दिए जाने की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की थी और इसे भारत के बहुलवाद पर हमला बताया था. साथ ही विपक्ष ने सत्तारूढ़ भाजपा पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों के खिलाफ ‘सांस्कृतिक आतंकवाद’ के अपने एजेंडे को शुरू करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
इतना ही नहीं तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने कहा था कि हम भारतीय हैं, इसे साबित करने के लिए हिंदी सीखने की जरूरत नहीं. उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी थोपे जाने को न तो स्वीकार करेगी और न ही इसकी अनुमति देगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)