मदुरै सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाए नए छात्रों को ‘हिप्पोक्रेटिक’ शपथ के स्थान पर ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाई गई थी. इस संबंध में एक विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं. तमिलनाडु भाजपा ने राज्य की डीएमके सरकार की आलोचना करते हुए डीन को पद से हटाए जाने की निंदा की है.
चेन्नई: तमिलनाडु में स्थित मदुरै सरकारी मेडिकल कॉलेज के डीन को पद से हटा दिया गया और प्रतीक्षा सूची में रखा गया है, क्योंकि कॉलेज में प्रवेश पाए नए छात्रों को ‘हिप्पोक्रेटिक’ शपथ के स्थान पर ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाई गई थी. तमिलनाडु सरकार ने रविवार को यह जानकारी दी.
इस संबंध में एक विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं. सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि कॉलेज में शनिवार (30 अप्रैल) को महर्षि चरक शपथ दिलाई गई, जो कि बेहद निंदनीय था, इसलिए मदुरै कॉलेज के डीन डॉ. ए. रतिनवेल को पद से हटा दिया गया है और उन्हें प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यन की ओर से इस संबंध में नियम तोड़ने तथा छात्रों को चरक शपथ दिलाने के लिए विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं. सरकार ने कहा कि सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को सलाह दी जाती है कि वे हमेशा हिप्पोक्रेटिक शपथ दिलाने के नियम का पालन करें.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस कार्यक्रम में राज्य के दो मंत्रियों- वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन और वाणिज्यिक कर मंत्री पी. मूर्ति ने भाग लिया था.
यह कार्यक्रम राज्य में पहले से ही चल रही भाषा विवाद और केंद्र के साथ तमिलनाडु के तनाव के बीच एक और विवाद को पैदा कर दिया है.
डीन रतिनवेल ने कहा कि एक छात्र निकाय के अधिकारी ने चरक शपथ लेने का निर्णय लिया था और छात्रों ने इसे राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की वेबसाइट से प्राप्त की थी, जहां संस्कृत शपथ रोमन लिपि में अपलोड है.
इस मुद्दे को उठाने वालों में एनडीए की सहयोगी पीएमके भी शामिल थी. इसके नेता और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदास ने कहा कि वह हैरान हैं कि राज्य के मंत्रियों की मौजूदगी में ऐसा हुआ. उन्होंने कहा, ‘इसे तभी और वहीं रोका जाना चाहिए था.’
गौरतलब है कि हाल में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सुझाव दिया था कि हिप्पोक्रेटिक शपथ के स्थान पर महर्षि चरक शपथ दिलाई जानी चाहिए. नए दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘चिकित्सा शिक्षा में दाखिला लेने वाले छात्र को महर्षि चरक शपथ लेने की सिफारिश की जाती है.’
इस कदम ने एक विवाद को जन्म दिया था, जिसे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के हिंदुत्व एजेंडे के हिस्से के रूप में देखा गया था.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने संसद में कहा था कि महर्षि चरक शपथ वैकल्पिक होगी और चिकित्सा छात्रों के लिए बाध्यकारी नहीं होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, डीन को हटाए जाने पर प्रदेश भाजपा ने प्रतिक्रिया दी है.
प्रवक्ता नारायणन थिरुपति ने कहा, ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ, प्रतिज्ञा लेने का एक पश्चिमी तरीका है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने पुरानी भारतीय चिकित्सा पद्धति (महर्षि चरक शपथ) की सिफारिश की. अनावश्यक राजनीति से बचना चाहिए. केंद्र ने कहा कि यह वैकल्पिक है. आपको डीन को सस्पेंड क्यों करना चाहिए? डीएमके को हमेशा पश्चिमी मॉडल पसंद आया है.’
महर्षि चरक को दुनिया की सबसे प्राचीन माने जाने वाली आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का जनक माना जाता है. वहीं, हिप्पोक्रेटिक शपथ ऐतिहासिक रूप से डॉक्टरों द्वारा ली गई नैतिकता की शपथ होती है. यह यूनानी चिकित्सा ग्रंथों में सबसे व्यापक रूप से जानी जाने वाली शपथ है. माना जाता है कि यह शपथ प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान हिपोक्रेट्स पर आधारित है. उन्हें पारंपरिक रूप से ‘चिकित्सा के जनक’ के रूप में जाना जाता है.
शपथ में डॉक्टरों को खुद से पहले मरीज के बारे में सोचने और कार्य करने के लिए बाध्य करने के बारे में लिखा गया है. केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग सभी मेडिकल कॉलेज में किसी न किसी तरह की शपथ दिलाई जाती है, जिनमें हिप्पोक्रेटिक शपथ प्रमुख है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)