जामिया मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से कहा गया है पुलिस और नागरिक प्रशासन ने बताया है कि श्रीनगर स्थित ईदगाह और जामिया मस्जिद में अगर सुबह सात बजे से पहले नमाज़ नहीं की जाती है, तो इसके बाद नमाज़ की अनुमति नहीं दी जाएगी. समिति ने कहा कि अधिकारियों को हजरतबल दरगाह पर सुबह 10:30 बजे नमाज़ की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे ईदगाह में शर्तें लगा रहे हैं.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन श्रीनगर स्थित ईदगाह मैदान या ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में ईद के दिन सुबह सात बजे के बाद नमाज की अनुमति नहीं देगा. मस्जिद प्रबंधन समिति ने रविवार को यह दावा किया और नमाज संबंधी शर्तों को लेकर निराशा जताई.
अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने बयान जारी कर कहा कि पुलिस और नागरिक प्रशासन ने उन्हें शनिवार (30 अप्रैल) को बुलाकर बताया कि श्रीनगर स्थित ईदगाह और जामिया मस्जिद में यदि सुबह सात बजे से पहले नमाज नहीं की जाती है, तो इसके बाद नमाज की इजाजत नहीं दी जाएगी.
अंजुमन के मुताबिक, प्रशासन ने ईदगाह और जामिया मस्जिद में नमाज करने को लेकर कई शर्तें लगाई हैं और इस संबंध में प्रबंधन से लिखित शपथ पत्र मांगा है. इसके पहले अंजुमन ने शनिवार को ऐलान किया था कि ईद की नमाज सुबह 9:30 बजे ईदगाह मैदान में होगी.
अंजुमन ने आश्चर्य व्यक्त किया कि अधिकारियों को हजरतबल दरगाह पर सुबह 10:30 बजे ईद की नमाज अदा करने की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे ईदगाह में नमाज अदा करने के लिए शर्तें लगा रहे हैं.
प्रबंधन ने कहा, ‘अंजुमन औकाफ सदस्य इस बात से निराश हैं कि घाटी के मुसलमानों को ‘जुमा-तुल-विदा’ और ‘शब-ए-कद्र’ पर जामिया मस्जिद में नमाज की अनुमति नहीं देने के बाद अधिकारी अब ईदगाह में खुले में ईद की नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, जो कि पैगंबर की सुन्नत की परंपरा के अनुरूप है.’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, औकाफ ने कहा कि मस्जिद घाटी में सामूहिक प्रार्थना का एक केंद्रीय स्थान है. मस्जिद प्रबंधन समिति ने कहा, ‘ऐसे केंद्रीय प्रार्थना स्थलों का उद्देश्य मुसलमानों को एक स्थान और अवसर प्रदान करना है ताकि वे बड़ी संख्या में एक साथ प्रार्थना कर सकें. प्रार्थना का समय घाटी भर के लोगों को इन केंद्रीय स्थानों तक पहुंचने की सुविधा के लिए तय किया गया है. यह अजीब है कि अगर अन्य जगहों पर सुबह 10:30 बजे सामूहिक नमाज की अनुमति दी जा सकती है, तो जामिया मस्जिद में क्यों नहीं?’
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, ईदगाह पर ईद की नमाज पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न कारणों से टलती रही है. साल 2021 में कोविड प्रतिबंधों के कारण अनुमति नहीं दी गई थी. 2020 में आयोजित की गई थी, लेकिन 2019 में रद्द कर दिया गया था, क्योंकि पूरी घाटी में कर्फ्यू था.
मालूम हो कि इससे पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन ने श्रीनगर स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में ‘शब-ए-कद्र’ और ‘जुमात-उल-विदा’ की सामूहिक नमाज की इजाजत नहीं दी थी.
तब अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि सरकार और पुलिस के अधिकारियों ने मजिस्ट्रेट की अगुवाई में इफ्तार के बाद जामिया मस्जिद परिसर का दौरा किया और औकाफ सदस्यों को बताया कि प्रशासन ने जुमात-उल-विदा पर सामूहिक नमाज नहीं आयोजित करने देने का फैसला किया है. यह सामूहिक नमाज रमजान के आखिरी शुक्रवार को आयोजित होनी थी.
बयान के मुताबिक, मस्जिद में ‘शब-ए-कद्र’ पर भी नमाज और ‘शब’ की अनुमति नहीं दी गई.
बयान में कहा गया था कि प्रबंधन निकाय प्रशासन के इस फैसले की कड़ी निंदा करता है. गुपकार गठबंधन घोषणापत्र (पीएजीडी) ने भी प्रशासन के निर्णय को निंदनीय करार दिया था.
गठबंधन के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी ने कहा था कि प्रशासन के निर्णय से हजारों लोग मस्जिद में सामूहिक नमाज से वंचित हो जाएंगे.
उन्होंने कहा था कि यह फैसला लोगों के धार्मिक मामले में सीधा दखल है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सामूहिक नमाज पर प्रतिबंध को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए था, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है. वे कहते हैं कि स्थिति लगभग सामान्य है. अगर यह सामान्य है, तब जामिया मस्जिद में शब और जुमात-उल-विदा (नमाज) की इजाजत क्यों नहीं?’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)