शीर्ष न्यायालय स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील के मेन्यू से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि 23 जून 2021 को केरल हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश जारी रहेगा. शीर्ष अदालत ने भारत संघ और लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को नोटिस भी जारी किया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को जारी रखने का निर्देश दिया, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन को स्कूली बच्चों को परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) में चिकन सहित मांस उत्पादों को शामिल करने के लिए कहा गया था.
शीर्ष न्यायालय स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील की व्यंजन सूची (मेन्यू) से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने और डेयरी फार्म बंद करने संबंधी लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर भारत संघ, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और अन्य को नोटिस जारी किया, जिसमें लक्षद्वीप प्रशासन के फैसले को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था.
न्यायालय ने कहा, ‘नोटिस जारी किया जाए और गर्मियों की छुट्टियों के बाद दो सप्ताह में सुनवाई शुरू होगी.’
पीठ ने कहा, ‘इस बीच, हाईकोर्ट द्वारा 22 जून 2021 को दिया गया अंतरिम आदेश जारी रहेगा.’
उल्लेखनीय है कि 22 जून 2021 को हाईकोर्ट ने लक्षद्वीप प्रशासन के दो आदेश, डेयरी को बंद करने और स्कूली बच्चों के मिड-डे मील की व्यंजन सूची से चिकन सहित मांस उत्पादों को हटाने के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी.
केरल हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया था कि डेयरी फार्मों का कामकाज अगले आदेश तक जारी रखा जाना चाहिए और लक्षद्वीप के स्कूली बच्चों को मिड-डे मील, जिसमें मांस, चिकन, मछली और अंडा और अन्य पदार्थ, तैयार और परोसा जाता है, पहले की तरह अगले आदेश तक जारी रखा जाए.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने तब कहा था, ‘हम यह समझने में असमर्थ हैं कि बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों के मेनू में बदलाव कैसे हो सकता है, जिसे स्वास्थ्य कारक के महत्वपूर्ण पहलू को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. प्रथमदृष्टया हमें मांस और चिकन हटाकर खाद्य पदार्थों में बदलाव का कोई कारण नहीं मिलता है. इसलिए, हम लक्षद्वीप में स्कूल के बच्चों को मांस और चिकन को शामिल करके, पहले की तरह भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिवादियों को निर्देश देते हुए एक अंतरिम आदेश पारित करने के लिए इच्छुक हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, 17 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट ने प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णयों को मंजूरी देते हुए रिट याचिका को खारिज कर दिया. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अजमल अहमद द्वारा दायर एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) पर विचार करते हुए निर्देश दिया कि 23 जून 2021 को हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश जारी रहेगा. शीर्ष अदालत ने भारत संघ और लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को नोटिस जारी किया है.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सितंबर 2021 में कवरत्ती के मूल निवासी अजमल अहमद द्वारा दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रफुल्ल्ल खोड़ा पटेल द्वारा द्वीप प्रशासक के रूप में कार्यभार संभाले जाने के बाद उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे डेयरी फार्म को बंद करना और प्राचीन काल से चली आ रही द्वीपवासियों की भोजन की आदतों पर ‘हमला’ करना है.
अहमद ने पशुपालन निदेशक के 21 मई 2021 के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें सभी डेयरी फार्म को बंद करने के निर्देश दिये गये थे. याचिकाकर्ता ने लक्षद्वीप में स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील के मेन्यू से चिकन और अन्य मांस उत्पादों को हटाने संबंधी प्रशासन के फैसले को भी चुनौती दी है.
बता दें कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला लक्षद्वीप पिछले साल लाए गए कुछ प्रस्तावों को लेकर विवादों में घिरा हुआ था. वहां के प्रशासक प्रफुल्ल्ल खोड़ा पटेल को हटाने की मांग की जा रही थी.
दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद प्रफुल्ल्ल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए थे, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे थे.
उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया था.
इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान भी शामिल था.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)