खुदरा व संस्थागत निवेशकों के लिए एलआईसी के आईपीओ को खोलते हुए सरकार का लक्ष्य अपने 3.5% शेयर बेचकर 21,000 करोड़ रुपये जुटाना है. वहीं, कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने ऑफरिंग का मूल्य काफी कम रखा है और इसे 30 करोड़ पॉलिसीधारकों के भरोसे की कीमत पर औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है.
नई दिल्ली: भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम [ Initial Public Offering] (आईपीओ) बुधवार को खुदरा एवं संस्थागत निवेशकों के लिए खुल गया.
सरकार का लक्ष्य इससे अपने 3.5 फीसदी शेयरों की बिक्री करके 21,000 करोड़ रुपये जुटाना है. एलआईसी का आईपीओ नौ मई को बंद होगा.
एलआईसी ने निर्गम (offering) के लिए शेयर का मूल्य दायरा 902-949 रुपये तय किया है. इसमें मौजूदा पॉलिसीधारकों एवं एलआईसी के कर्मचारियों के लिए कुछ शेयर आरक्षित रखे गए हैं.
खुदरा निवेशकों एवं पात्र कर्मचारियों को 45 रुपये प्रति शेयर और पॉलिसीधारकों को 60 रुपये प्रति शेयर की छूट दी जाएगी.
निर्गम के दौरान बिक्री के लिए 22.13 करोड़ इक्विटी शेयरों की पेशकश की जाएगी. एलआईसी के शेयर 17 मई को बाजार में सूचीबद्ध होने की संभावना है.
एलआईसी ने बताया कि उसने एंकर निवेशकों से 5,627 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं जिनमें घरेलू कंपनियों की बहुतायत है. एंकर निवेशकों के लिए 949 रुपये प्रति इक्विटी शेयर की दर पर 5.92 करोड़ शेयर आरक्षित रखे गए थे.
कांग्रेस ने शेयर भाव और मूल्यांकन को लेकर सवाल उठाए
आईपीओ खुलने के एक दिन पहले कांग्रेस ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की एलआईसी के शेयर भाव को लेकर सवाल उठाए.
प्रमुख विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि एलआईसी के निर्गम (ऑफरिंग) की कीमत काफी कम रखी गई है और इसे 30 करोड़ पॉलिसीधारकों के भरोसे की कीमत पर औने-पौने दाम पर बेचा रहा है.
कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने एलआईसी का मूल्यांकन फरवरी में 12-14 लाख करोड़ रुपये आंका था और केवल दो महीने में इसे घटाकर छह लाख करोड़ रुपये कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कांग्रेस ने कहा कि उसे आईपीओ से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह मोदी सरकार की विनिवेश नीति का हिस्सा है.
सुरजेवाला ने कहा, ‘हम इसके विरोध में नहीं है. यह भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ है. हम यह भी जानते हैं. लेकिन इसकी मंशा, उद्देश्य और इसके तौर-तरीके… एलआईसी आईपीओ को सूचीबद्ध करने के लिए सरकार की जल्दबाज़ी पर, वह भी कम मूल्यांकन के बावजूद प्रमुख मूल्यांकन सूचकांकों, वैश्विक अनिश्चितताओं और अस्थिर बाजार को ध्यान में रखते हुए सवाल उठते हैं. हमारी आपत्ति इसी से है.’
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस साल फरवरी में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 70,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन इसे अब घटाकर 21,000 करोड़ रुपये और हिस्सेदारी बिक्री को कम कर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया है.
सुरजेवाला ने कहा, ‘आखिर सरकार क्यों ऐसे समय एलआईसी में हिस्सेदारी बेचने जा रही है जब रूस-यूक्रेन युद्ध समेत विभिन्न कारणों से घरेलू और वैश्विक वित्तीय बाजारों में उठापटक जारी है.’
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश को देखने वाले सचिव ने कहा था कि अगर बाजार की स्थिति अनुकूल नहीं रही, तो सरकार सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी नहीं बेचेगी. फिर एलआईसी का आईपीओ इस नीति से अलग क्यों है? देश इसका जवाब चाहता है.’
सुरजेवाला ने कहा कि इस साल फरवरी में जब आईपीओ के लिए विवरण पुस्तिका जमा की गई थी, उस समय एलआईसी के विनिवेश के लिए मूल्यांकन (शुद्ध संपत्ति मूल्य जमा भविष्य में होने वाले लाभ का मौजूदा मूल्य) 2.5 गुना किया गया था, लेकिन बाद में आईपीओ का मूल्यांकन अंतर्निहित मूल्य (मूल्यांकन) का 1.1 गुना ही रखा गया.
उन्होंने कहा कि इसकी तुलना में एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस मूल्यांकन के 3.9 गुना पर कारोबार कर रही है. एसबीआई लाइफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ मूल्यांकन के क्रमश: 3.2 गुना और 2.5 गुना पर कारोबार कर रही हैं.
कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि जनवरी-फरवरी, 2022 एलआईसी के निर्गम के लिए मूल्य दायरा 1100 रुपये प्रति शेयर रखा गया था जबकि अब इसे कम कर 902 से 949 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मूल्यांकन कम करने और कीमत दायरा घटाये जाने से सरकारी खजाने को 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, ‘आखिर नरेंद्र मोदी सरकार ने देश-विदेश में प्रचार-प्रसार के बाद अचानक से एलआईसी का मूल्यांकन और निर्गम के आकार कम क्यों कर दिया?’
सुरजेवाला ने दावा किया कि सरकार ने पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 70,000 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य के साथ फरवरी, 2022 में पेंशन कोष, म्यूचुअल फंड, इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन जैसे बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए व्यापक तौर पर प्रचार-प्रसार किया था.’
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सितंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार एलआईसी के 30 करोड़ पॉलिसीधारक हैं और उसकी कुल संपत्ति 39,60,000 करोड़ रुपये (526 अरब डॉलर) है. कंपनी के पास 52,000 करोड़ रुपये के शेयर हैं.
उन्होंने कहा कि एलआईसी को अपने निवेश पर अप्रैल-सितंबर, 2021 के दौरान 3.35 लाख करोड़ रुपये की आय हुई.
सुरजेवाला ने कहा कि कंपनी हर साल तीन करोड़ पॉलिसी जारी करती है, जो प्रतिदिन एक लाख पॉलिसी बैठता है और यह दुनिया का 10वां सबसे बड़ा बीमा ब्रांड है.
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों द वायर ने भी एक लेख में बताया था कि वैश्विक बाजार स्थिति के चलते जहां कई अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है, वहीं भारतीय जीवन बीमा निगम के साथ ऐसा नहीं हुआ है.
लेख में वरिष्ठ पत्रकार और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु ने बताया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश के प्रभारी सचिव ने रिकॉर्ड पर कहा है कि अगर बाजार की स्थिति खराब होती है तो सरकार ब्लू-चिप पीएसयू (बड़े और लंबे समय से लाभ देने वाले सार्वजनिक उपक्रम) में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचेगी.
इसी आधार पर सरकार ने बीपीसीएल, कॉनकॉर आदि जैसी मुनाफा कमाने वाली कंपनियों की रणनीतिक बिक्री की गति धीमी की है. ऐसे में यदि यही एक स्थापित नीति है, तो एलआईसी, जो सबसे मूल्यवान बीमा कंपनी है, के साथ अलग व्यवहार क्यों किया जा रहा है?
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)