विस्थापित ब्रू परिवारों का त्रिपुरा में अगस्त तक पूरा होगा पुनर्वास: केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रगति की समीक्षा की गई और ऐसा प्रतीत होता है कि पुनर्वास के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. केवल 500 परिवारों को अभी तक ज़मीन नहीं मिली है और उन सभी को 20 मई तक प्लॉट दिए जाएंगे.

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(फाइल फोटोः पीटीआई)

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रगति की समीक्षा की गई और ऐसा प्रतीत होता है कि पुनर्वास के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. केवल 500 परिवारों को अभी तक ज़मीन नहीं मिली है और उन सभी को 20 मई तक प्लॉट दिए जाएंगे.

(फोटोः पीटीआई)

अगरतला: केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने सोमवार को कहा कि मिजोरम से विस्थापित हुए सभी ब्रू परिवारों का त्रिपुरा में पुनर्वास इस साल अगस्त तक पूरा हो जाएगा.

इससे पहले यह निर्णय लिया गया था कि आंतरिक रूप से विस्थापित और त्रिपुरा में वर्षों से राहत शिविरों में रह रहे सभी 37,000 ब्रू आदिवासी लोगों का 31 मार्च, 2022 तक राज्य के भीतर स्थायी रूप से पुनर्वास किया जाएगा.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा, ‘हमने ब्रू लोगों के पुनर्वास की प्रगति की समीक्षा की और ऐसा प्रतीत होता है कि पुनर्वास के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. केवल 500 परिवारों को अभी तक जमीन नहीं मिली है और उन सभी को 20 मई तक प्लॉट दिए जाएंगे.’

ब्रू समुदाय के लोगों का पुनर्वास पिछले साल 20 अप्रैल को समुदाय, केंद्र और त्रिपुरा तथा मिजोरम की सरकारों के प्रतिनिधियों के बीच जनवरी 2020 में हस्ताक्षरित एक समझौते के बाद शुरू हुआ था.

भौमिक ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास में बाधा उत्पन्न की, अन्यथा यह निर्धारित समय के भीतर पूरा हो गया होता.

मंत्री ने कहा, ‘हम अगस्त तक पुनर्वास की प्रक्रिया को पूरा करना चाहते हैं.’

वहीं, मुख्य सचिव कुमार आलोक ने कहा, ‘विस्थापित ब्रू लोगों का पुनर्वास संतोषजनक ढंग से चल रहा है और हमें उम्मीद है कि अगस्त 2022 तक सभी विस्थापित ब्रू परिवारों का पुनर्वास हो जाएगा.’

वर्ष 1997 से हजारों ब्रू आदिवासी कंचनपुर और पानीसागर उप-मंडलों में राहत शिविरों में रह रहे हैं. वे जातीय संघर्ष के कारण मिजोरम से त्रिपुरा आ गए थे.

जनवरी 2020 के समझौते के अनुसार, प्रत्येक पुनर्वासित ब्रू परिवार को सरकार की ओर से 1.5 लाख रुपये की राशि के साथ घर बनाने के लिए 1200 वर्ग फुट का भूखंड मिलेगा.

यह समझौता प्रत्येक परिवार के लिए चार लाख रुपये की सावधि जमा, 5,000 रुपये की मासिक राशि, दो साल के लिए मुफ्त मासिक राशन और सभी क्लस्टर गांवों में स्कूलों की गारंटी देता है.

इसमें कहा गया है कि पुनर्वास पूरा हो जाने के बाद ब्रू परिवार त्रिपुरा के स्थायी निवासी बन जाएंगे और राज्य में मतदान करने के पात्र होंगे.

मालूम हो कि पिछले महीने त्रिपुरा के ब्रू आदिवासियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके पुनर्वास की प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया था.

अमित शाह को भेजे गए पत्र में ब्रू विस्थापित युवा संघ (बीडीवाईए) ने पुनर्वास प्रक्रिया को पूरा करने में देरी के लिए त्रिपुरा की बिप्लव देब सरकार के लापरवाही भरे रवैये को जिम्मेदार ठहराया था.

मालूम हो कि मिजोरम के ब्रू समुदाय के लोग 1997 में मिजो समुदाय के लोगों के साथ हुए भूमि विवाद के बाद शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से त्रिपुरा पलायन करने लगे थे. उस वक्त समुदाय के ब्रू समुदाय के तकरीबन 37 हजार लोग मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा के मामित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों में भाग आए थे. इनमें से लगभग 5,000 नौ चरणों में वापस लौटे थे, लेकिन लगभग इतने ही 2009 में दोबारा हुए संघर्षों में विस्थापित हुए और त्रिपुरा आए.

ये लोग पिछले 23 सालों से उत्तर त्रिपुरा जिले के कंचनपुर और पानीसागर उप-संभागों के छह शिविरों- नैयसंगपुरा, आशापारा, हजाचेर्रा, हमसापारा, कासकऊ और खाकचांग में रहते आ रहे थे.

ब्रू और बहुसंख्यक मिज़ो समुदाय के लोगों की बीच हुई यह हिंसा इनके पलायन का कारण बना था. इस तनाव की नींव 1995 में तब पड़ी, जब शक्तिशाली यंग मिज़ो एसोसिएशन और मिज़ो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्य की चुनावी भागीदारी में ब्रू समुदाय के लोगों की मौजूदगी का विरोध किया. इन संगठनों का कहना था कि ब्रू समुदाय के लोग राज्य के नहीं हैं.

इस तनाव ने ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट (बीएनएलएफ) और राजनीतिक संगठन ब्रू नेशनल यूनियन (बीएनयू) को जन्म दिया, जिसने राज्य के चकमा समुदाय की तरह एक स्वायत्त जिले की मांग की.

इसके बाद 21 अक्टूबर 1996 को बीएनएलफए ने एक मिजो अधिकारी की हत्या कर दी, जिसके बाद से दोनों समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़क उठी.

दंगे के दौरान ब्रू समुदाय के लोगों को पड़ोसी उत्तरी त्रिपुरा की ओर धकेलते हुए उनके बहुत सारे गांवों को जला दिया गया था. इसके बाद से ही इस समुदाय के लोग त्रिपुरा के कंचनपुर और पानीसागर उप-संभागों में बने राहत शिविरों में रहते आ रहे थे.

आदिवासी समुदाय के इन लोगों को मिजोरम वापस भेजने के लिए जुलाई 2018 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन यह क्रियान्वित नहीं हो सका, क्योंकि अधिकतर विस्थापित लोगों ने मिजोरम वापस जाने से इनकार कर दिया था.

जनवरी 2020 में उनके स्थायी पुनर्वास के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुआ. इसके तहत फैसला किया गया है कि मिजोरम से विस्थापित हुए 30 हज़ार से अधिक ब्रू आदिवासी त्रिपुरा में ही स्थायी रूप से बसाए जाएंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)