बिप्लब देब के अचानक इस्तीफ़ा देने के बाद माणिक साहा ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिप्लब कुमार देब के शनिवार शाम मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफ़ा देने के बाद 69 वर्षीय माणिक साहा इस पद पर काबिज हुए हैं. शपथ ग्रहण के बाद साहा ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए त्रिपुरा के लोगों के लिए काम करेंगे.

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माणिक साहा ने रविवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. (फोटो साभार: ट्विटर)

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बिप्लब कुमार देब के शनिवार शाम मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफ़ा देने के बाद 69 वर्षीय माणिक साहा इस पद पर काबिज हुए हैं. शपथ ग्रहण के बाद साहा ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए त्रिपुरा के लोगों के लिए काम करेंगे.

माणिक साहा ने रविवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. (फोटो साभार: ट्विटर)

अगरतला: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य माणिक साहा ने रविवार सुबह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल एसएन आर्य ने अगरतला स्थित राजभवन में उन्हें नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई.

समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब भाजपा विधायकों और मंत्रियों के साथ उपस्थित थे. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले देब के शनिवार शाम मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद 69 वर्षीय साहा इस पद पर काबिज हुए हैं.

देब बीते शुक्रवार को दिल्ली में थे. त्रिपुरा में पार्टी के मामलों की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से चर्चा के लिए देब बृहस्पतिवार को वहां पहुंचे थे.

शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक भी शामिल हुईं.

शपथ समारोह के बाद साहा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए त्रिपुरा के लोगों के लिए काम करूंगा. कानून व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान दूंगा.’

उप-मुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा और मंत्री राम प्रसाद पॉल ने शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में साहा की नियुक्ति का विरोध किया था. दोनों शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होने के कुछ समय बाद राजभवन पहुंचे.

पॉल ने शनिवार को साहा की नियुक्ति के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बगावत कर दी थी और कहा था कि वह भाजपा के लिए काम नहीं करेंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने विरोध के साथ खड़े हैं, पॉल ने कहा, ‘ऐसा कभी-कभी होता है. यह एक लोकतांत्रिक पार्टी है. सब चलता है. जो होता है, अनुशासन में ही होता है. मैं पार्टी के लिए काम कर रहा हूं. मैं यहां पार्टी की सेवा करने के लिए हूं.

विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के नेतृत्व में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘कोई चुनौती नहीं है.’

विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायकों ने राज्य में भाजपा के शासन में ‘फासीवादी शैली में हिंसा’ होने का आरोप लगाते हुए समारोह का बहिष्कार किया.

तृणमूल कांग्रेस, जो राज्य में पैठ जमाने की कोशिश कर रही है, उसने दावा किया कि मुख्यमंत्री को बदल दिया गया, क्योंकि भाजपा को एहसास हुआ कि लोगों का राज्य सरकार पर से भरोसा उठ गया है.

सूत्रों के मुताबिक, यह कदम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएसएस) द्वारा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भेजे गए विश्लेषण के बाद उठाया गया है, जिसमें संकेत दिया गया था कि पार्टी और सरकार में बदलाव की जरूरत है.

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से स्नातक करने वाले डेंटल सर्जन साहा साल 2016 में भाजपा में शामिल होने से पहले विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य थे. वह 2020 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने.

बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके साहा त्रिपुरा क्रिकेट संगठन के अध्यक्ष भी हैं.

भाजपा में उनका कद उनकी स्वच्छ छवि और बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड के कारण बढ़ा है, जिसमें नवंबर 2021 में हुए चुनावों में सभी 13 नगर निगमों में भाजपा को जीत दिलाना शामिल है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह राज्य के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशों के तहत काम करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘बिप्लब देब जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने राज्य को आगे बढ़ाया है. हम यह काम आगे जारी रखने के लिए काम करेंगे, लोगों के लिए काम करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास करेंगे… विकास, विकास, विकास. मैं इन कार्यों को आगे बढ़ाऊंगा. मैं कानून और व्यवस्था की एक मजबूत स्थिति सुनिश्चित करने के लिए काम करूंगा.’

मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य साहा की नियुक्ति ने राज्य के मंत्रियों और भाजपा के नेताओं सहित सभी को हैरान कर दिया है.

मुख्यमंत्री के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान बिप्लब कुमार देब के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें ‘बिप्लब हटाओ, त्रिपुरा बचाओ’ का नारा और उनके कैबिनेट सहयोगी सुदीप रॉय बर्मन के विद्रोह शामिल थे, जिन्हें कैबिनेट से हटाए जाने के बाद पार्टी से बाहर कर दिया गया था.

बिप्लब कुमार देब ने 2018 में पहली बार त्रिपुरा विधानसभा चुनाव लड़ा था और 9,549 मतों के अंतर से अगरतला के बनमालीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे. इसके बाद वह त्रिपुरा में भाजपा के पहले कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)