यूपी: गोडसे के जन्मदिन पर हिंदू महासभा ने की विशेष पूजा, मेरठ का नाम ‘गोडसे नगर’ करने की मांग

मेरठ में हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जन्मदिन पर अपने कार्यालय में विशेष पूजा-अर्चना करते हुए ‘हिंदू विरोधी गांधीवाद’ को ख़त्म करने की शपथ ली और दावा किया कि भारत जल्द ‘हिंदू राष्ट्र’ बनेगा.

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नाथूराम गोडसे. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

मेरठ में हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जन्मदिन पर अपने कार्यालय में विशेष पूजा-अर्चना करते हुए ‘हिंदू विरोधी गांधीवाद’ को ख़त्म करने की शपथ ली और दावा किया कि भारत जल्द ‘हिंदू राष्ट्र’ बनेगा.

नाथूराम गोडसे. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

मेरठ: हिंदू महासभा ने बृहस्पतिवार के महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के जन्मदिन पर यहां स्थित अपने कार्यालय में विशेष पूजा-अर्चना की और मेरठ शहर का नाम बदलकर ‘नाथूराम गोडसे नगर’ करने की मांग की.

हिंदू महासभा के प्रवक्ता अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि संगठन के कार्याकर्ता यहां शारदा रोड स्थित कार्यालय में गोडसे की जयंती मनाने के लिए जुटे और ‘हिंदू विरोधी गांधीवाद’ को खत्म करने की शपथ ली.

उन्होंने दावा किया कि भारत जल्द ‘हिंदू राष्ट्र’ बनेगा. अग्रवाल ने मेरठ शहर का कथित संबंध गोडसे परिवार से होने का हवाला देते हुए शहर का नाम ‘नाथूराम गोडसे नगर’ करने की मांग की.

उन्होंने कहा कि शहर का नाम बदलने के लिए केंद्र सरकार को खुला पत्र भेजा गया है. अग्रवाल ने कहा कि 1989 के लोकसभा चुनाव में नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे ने मेरठ से चुनाव लड़ा था.

उन्होंने दावा किया कि मेरठ की मस्जिदों का निर्माण मंदिरों को तोड़कर किया गया है. उन्होंने मंदिर के अवशेष प्राप्त करने के लिए यहां की दो बड़ी मस्जिदों की खुदाई कराने की मांग की. अग्रवाल ने कहा, ‘जहां-जहां खुदाई होगी वहां महादेव प्रकट होंगे.’

उन्होंने यह मांग वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में कथित शिवलिंग मिलने के दावे के बाद की है.

गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में हिंदू वकीलों ने दावा किया था कि अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद में ‘वज़ूखाना’ जलाशय में पाया गया एक ढांचा ‘शिवलिंग’ है.

मस्जिद समिति के सदस्यों ने यह कहते हुए दावे का खंडन किया कि संरचना ‘वज़ूखाना’ में फव्वारा तंत्र का हिस्सा थी, जहां लोग नमाज़ अदा करने से पहले अनुष्ठान करते हैं.

शीर्ष अदालत ने 17 मई को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में वाराणसी की एक अदालत के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित करने के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की. साथ ही वाराणसी की अदालत, जिसके समक्ष इस मामले की कार्यवाही लंबित है, से कहा कि इस मामले में तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाए.

विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा की मांग की थी.

इसके साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए अदालत से सर्वे कराने का अनुरोध किया था.

बता दें कि इससे पहले जनवरी में हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे और गांधी की हत्या मामले में एक अन्य आरोपी नारायण आप्टे को श्रद्धांजलि दी थी. हिंदू महासभा ने इस दिन को गोडसे-आप्टे स्मृति दिवस के रूप में मनाया था.

पिछले साल नवंबर में हिंदू महासभा ने कहा था कि वह हरियाणा के अंबाला सेंट्रल जेल से लाई गई मिट्टी से नाथूराम गोडसे की प्रतिमा तैयार करेंगे. इसी जेल में 1949 में गोडसे को फांसी दी गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)