दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में कथित रूप से खोजे गए ‘शिवलिंग’ की एक तस्वीर पोस्ट की थी और खोज की प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए व्यंग्य किया था. वहीं, ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर की गई टिप्पणी पर लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत चंदन के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर ख़ारिज करने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दी है.
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाए जाने के दावों पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में शुक्रवार रात को गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस के मुताबिक, एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने) और 295ए (धर्म का अपमान कर किसी वर्ग की धार्मिक भावना को जान-बूझकर आहत करना) के तहत साइबर पुलिस ने गिरफ्तार किया.
शनिवार को प्रोफेसर रतन लाल को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पेश किया गया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रोफेसर रतन लाल की जमानत याचिका या न्यायिक हिरासत पर आदेश सुरक्षित रखा था. इसके बाद अदालत ने उन्हें 50,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत गारंटी लेने पर जमानत दे दी.
#WATCH | Delhi University's history professor Ratan Lal is being produced before Tis Hazari Court
He was arrested on Friday regarding a social media post allegedly intended to outrage religious beliefs after the alleged discovery of Shivling inside Gyanvapi Mosque complex. pic.twitter.com/KincKtq9i2
— ANI (@ANI) May 21, 2022
A Delhi court granted bail to Delhi University professor Ratan Lal on furnishing a bond of Rs 50,000 and surety on like amount
— ANI (@ANI) May 21, 2022
दिल्ली के एक वकील की शिकायत के आधार पर 17 मई की रात इतिहास के प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
अपनी शिकायत में अधिवक्ता विनीत जिंदल ने कहा था कि रतन लाल ने ‘शिवलिंग के बारे में अपमानजनक, उकसाने वाला और भड़काऊ ट्वीट साझा किया था.
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के मुद्दे पर बयान (रतन लाल का) पोस्ट किया गया, जबकि यह एक बहुत संवेदनशील विषय है और मामला अदालत में लंबित है.
एफआईआर दर्ज होने के बाद एसोसिएट प्रोफेसर लाल ने कहा था, ‘भारत में, यदि आप कुछ बोलते हैं, तो किसी व्यक्ति या अन्य की भावनाएं आहत होंगी. इसलिए, इसमें कुछ नया नहीं है. मैं एक इतिहासकार हूं और कई अवलोकन किए हैं. मैंने उन्हें लिखते वक्त अपने पोस्ट में बहुत ही संयमित भाषा का उपयोग किया, लेकिन फिर भी ऐसा हुआ. मैं अपना बचाव करूंगा.’
रतन लाल के ट्वीट के स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कथित रूप से खोजे गए ‘शिवलिंग’ की एक तस्वीर पोस्ट की थी और खोज की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए व्यंग्य किया था.
मालूम हो कि शीर्ष अदालत ने बीते 17 मई को वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था.
हालांकि मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग मिलने के दावे को गलत करार दिया है. ज्ञानवापी मस्जिद की रखरखाव करने वाली संस्था ‘अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी’ के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि मुगल काल की बनी जितनी भी मस्जिदें हैं, उन सभी के वजू खाने में फव्वारा लगाया जाता था. उन्होंने कहा कि बाकी मस्जिदों की तरह ज्ञानवापी मस्जिद के फव्वारे में भी एक हरा पत्थर लगाया गया था, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है.
इससे पहले वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने बीते 12 मई को ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कर बीते 17 मई को इससे संबंधित रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था.
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की एफआईआर खारिज करने की मांग अस्वीकार
लखनऊ: इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने काशी विश्वनाथ मंदिर के संबंध में कथित रूप से विवादास्पद बयान देने को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत चंदन के खिलाफ दर्ज एफआईआर (एफआईआर) को रद्द करने से इनकार कर दिया है.
हालांकि न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध जिन आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज है, उनमें अधिकतम सजा सात साल से कम है, लिहाजा सीआरपीसी के सम्बंधित प्रावधानों के तहत ही उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. न्यायालय ने जिन प्रावधानों का जिक्र किया है उनमें अभियुक्त को पहले नोटिस भेजकर तलब करने की बात कही गई है.
जस्टिस अरविंद कुमार मिश्रा (प्रथम) एवं जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने प्रोफेसर रविकांत चंदन की याचिका यह आदेश दिया.
प्रोफेसर चंदन के खिलाफ हसनगंज थाने में समुदायों के बीच नफरत उत्पन्न करने एवं सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने, शांति भंग करने के लिए भड़काने के उद्देश्य से जानबूझकर अपमानजनक बातें कहने तथा वर्गों के बीच शत्रुता उत्पन्न करना समेत 66 आईटी एक्ट के आरोपों के तहत 10 मई को एफआईआर दर्ज की गई है.
प्रोफेसर ने इसी एफआईआर को निरस्त करने के लिए अदालत में अर्जी दी थी.
न्यायालय ने कहा कि एफआईआर को देखने से याचिकाकर्ता के विरुद्ध संज्ञेय अपराध बनता है, लिहाजा एफआईआर खारिज नहीं की जा सकती.
न्यायालय ने इस आधार पर एफआईआर खारिज करने की मांग को अस्वीकार कर दिया. हालांकि न्यायालय ने याची को यह राहत जरूर दी है कि उसके खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, उनमें अधिकतम सजा सात वर्ष से कम है, लिहाजा हसनगंज पुलिस को सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुपालन के बिना प्रोफेसर की गिरफ्तारी को प्रभावी नहीं करने का निर्देश दिया है.
इस बीच प्रोफेसर रविकांत चंदन पर बीते 18 मई को विश्वविद्यालय परिसर में ही एक छात्र ने हमला कर दिया गया था.
प्रोफेसर रविकांत ने आरोप लगाया था कि दोपहर करीब एक बजे प्रॉक्टर कार्यालय के बाहर कार्तिक पांडे नामक छात्र नेता ने उन पर हमला किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उसने उनके साथ गाली-गलौज की और जाति सूचक शब्द कहे, उसके बाद मारपीट भी की.
यह घटना काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर के बारे में कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद प्रोफेसर रविकांत चंदन के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की प्रदेश समिति के सदस्य अमन दुबे द्वारा प्रोफेसर रविकांत चंदन के खिलाफ भावनाएं भड़काने तथा आईटी अधिनियम की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के एक हफ्ते बाद हुई है.
मालूम हो कि एबीवीपी के सदस्यों ने बीते 10 मई को लखनऊ विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर रविकांत चंदन की उन टिप्पणियों को लेकर उन्हें धमकाया और उनके साथ मारपीट की थी, जो उन्होंने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद पर की थीं.
हिंदी समाचार मंच ‘सत्य हिंदी’ द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन बहस के दौरान प्रोफेसर चंदन के द्वारा की गईं टिप्पणियों के लिए हिंदुत्ववादी संगठन ने अपना गुस्सा जाहिर किया था.
रविकांत चंदन ने बहस के दौरान आंध्र प्रदेश के एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिक नेता पट्टाभि सीतारमैया की किताब ‘फेदर्स एंड स्टोन्स’ की एक कहानी का हवाला दिया था, जिसमें उन कथित परिस्थितियों का वर्णन किया गया है, जिसके तहत विवादित स्थान पर एक मंदिर को नष्ट कर दिया गया था और उसके स्थान पर एक मस्जिद बनाई गई थी.
1946 में प्रकाशित ‘फेदर्स एंड स्टोन्स’ सीतारमैया द्वारा लिखी गई एक जेल डायरी है, जब उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अहमदनगर में अंग्रेजों द्वारा कैद किया गया था और लेखक ने इसे ‘हास्य, बुद्धि और ज्ञान की पुस्तक’ के रूप में वर्णित किया था.
हालांकि, इस बहस की एक संपादित क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गई, जिसमें रविकांत चंदन द्वारा किताब के बारे में दी गई यह जानकारी गायब कर दी गई थी.
जैसे ही क्लिप वायरल हुई विभिन्न हिंदू संगठनों के सदस्यों ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि प्रोफेसर, जो एक दलित हैं, ने हिंदू देवताओं का अपमान किया है. इस आक्रोश ने अंतत: एबीवीपी सदस्यों और अन्य लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में धावा बोल दिया, भड़काऊ नारे लगाए और उन्हें धमकी भी दी.
एबीवीपी के सदस्य अमन दुबे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि प्रोफेसर रविकांत ने एक यूट्यूब चैनल पर परिचर्चा के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने इसके बाद उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया था. प्रोफेसर रविकांत ने भी पुलिस से इसकी शिकायत की थी.
सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत करने पर युवक गिरफ्तार
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की नकुड़ थाना पुलिस ने सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से ‘शिवलिंग’ को गलत रूप में दर्शाने और मजाक बनाने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) सूरज राय ने बताया कि नकुड़ थाना क्षेत्र के छाप्पुर निवासी प्रमोद कुमार ने शिकायत दर्ज कराई थी.
उन्होंने कहा कि कुमार ने इसी थाने में अम्बेहटा निवासी नासिर फरहत के खिलाफ बीते 18 मई वॉट्सऐप के जरिये ‘शिवलिंग’ को गलत रूप से दर्शाने और मजाक बनाने की शिकायत की थी.
शिकायत के आधार पर नासिर फरहत के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 19 मई की शाम नासिर फरहत को गिरफ्तार कर उसका मोबाइल जब्त कर लिया.
बीते 18 मई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग के मिलने संबंधी खबरों को लेकर ट्विटर पर एक कथित टिप्पणी करने को लेकर गुजरात की अहमदाबाद पुलिस ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता दानिश कुरैशी को गिरफ्तार किया था.
एआईएमआईएम नेता के अलावा नागपुर पुलिस ने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की पृष्ठभूमि में भगवान शिव के बारे में फेसबुक पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में 18 मई को ही नागपुर के गणेश पेठ इलाके के रहने वाले और ऑडियो रिकॉर्डिंग की दुकान चलाने वाले चारुदत्त जिचकर को गिरफ्तार किया था.
बदायूं में भगवान राम की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट करने पर युवक गिरफ्तार
इसी तरह उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की मूसाझाग थाने की पुलिस ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर भगवान राम की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट करने के आरोप में एक युवक को गिरफ्तार कर लिया.
बदायूं के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ओपी सिंह ने बताया कि मूसाझाग थाना इलाके के गुलड़िया निवासी इमरान हुसैन को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
उन्होंने बताया कि बदायूं पुलिस के ट्विटर पर जानकारी दी गई कि किसी ने श्रीराम लिखकर अश्लील फोटो ट्विटर पर पोस्ट किया है. पुलिस ने तत्काल इस मामले को प्राथमिकता पर लेते हुए आरोपी इमरान हुसैन की पहचान कर ली और उसके विरूद्ध संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर विधिक प्रक्रिया पूरी कर उसे जेल भेज दिया.
धर्मस्थल के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट पर हिंदू कार्यकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज
मुजफ्फरनगर: वही उत्तर प्रदेश में ही मुजफ्फरनगर कोतवाली में एक समुदाय विशेष के पवित्र धर्म स्थल के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में एक हिंदू कार्यकर्ता के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. मुसलमानों के पवित्र धर्म स्थल मक्का-मदीना के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट करने वाले हिंदू कार्यकर्ता राघव अग्रवाल के खिलाफ कोतवाली में मामला दर्ज किया गया है.
थाना प्रभारी आनंद देव मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने राघव अग्रवाल के खिलाफ कोतवाली थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी धर्म या जाति के खिलाफ टिप्पणी कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और आईटी कानून की धारा 67 केतहत मामला दर्ज किया है.
उन्होंने बताया कि इस मामले में मुजफ्फरनगर के अताउर्रहमान ने अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस को तहरीर दी थी.