गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 14-16 मई तक हुए सालाना कार्यक्रम ‘टेक सृजन’ में इंडोनेशिया की पाॅप सिंगर जुबैला का एक परफॉरमेंस हुआ था. 19 मई को एबीवीपी कार्यकर्ता इसे ‘अश्लील’ बताते हुए यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां छात्रों से विवाद के बाद दोनों पक्षों में मारपीट हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए. एबीवीपी की शिकायत पर दो शिक्षकों पर केस दर्ज किया गया है.
गोरखपुर: गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमटीयू) के वार्षिक कार्यक्रम ‘टेक सृजन 2022’ में इंडोनेशिया की पाॅप सिंगर जुबैला के कार्यक्रम का विरोध करने पहुंचे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकर्ताओं और विश्वविद्यालय के छात्रों के बीच मारपीट हो गई, जिसमे दोनों पक्षों से आधा दर्जन छात्र घायल हो गए.
एबीवीपी ने कैंट थाने में प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दो शिक्षकों सहित तीन के खिलाफ हत्या के प्रयास, मारपीट व बलवा की एफआईआर दर्ज करवाई है. विश्वविद्यालय द्वारा भी एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ तहरीर दी गई है.
एमएमएमटीयू के छात्र-छात्राओं द्वारा हर वर्ष अपना वार्षिक महोत्सव ‘टेक सृजन’ के नाम से आयोजित होता है जिसमें विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं. इस बार यह आयोजन 14-16 मई को हुआ.
कार्यक्रम के पहले दिन शाम को सांस्कृतिक संध्या में इंडोनेशिया की पाॅप सिंगर जुबैला का कार्यक्रम था. आयोजन हो जाने के बाद एबीवीपी की गोरखपुर इकाई ने जुबैला के कार्यक्रम को अश्लील बताते हुए कहा कि प्रोग्राम में पॉर्न स्टार को बुलाया गया.
इसका विरोध करने के इरादे से 19 मई को 30-35 एबीवीपी कार्यकर्ता विश्वविद्यालय पहुंच गए, जहां प्रशासनिक भवन के पास विश्वविद्यालय के छात्रों और कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हुआ जो मारपीट में बदल गया. इसमें दोनों तरफ के कुछ छात्रों को चोट आई.
एबीवीपी का आरोप है कि छात्रों के हमले में उसके कार्यकर्ता सुयश पांडेय का सिर फट गया जबकि रवि गोस्वामी, प्रशांत मणि त्रिपाठी, सागर कसेरा को गंभीर चोट आई. प्रशांत का मोबाइल छीन लिया गया.
प्रशांत एबीवीपी के महानगर महामंत्री हैं. उन्होंने कैंट थाने में प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र क्रियाकलाप परिषद (काउंसिल ऑफ स्टूडेंट एक्टिविटी) के अध्यक्ष प्रोफेसर बीके पांडेय, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अभिजीत मिश्र, पूर्व छात्र आशुतोष सिंह बाला सहित कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश, मारपीट, बलवा, लूट और बंधक बनाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करवाई है.
उन्होंने आरोप लगाया है कि परिषद की ओर से 14 मई की शाम पोर्न स्टार का का कार्यक्रम कराया गया. इसके विरोध में एबीवीपी के कार्यकर्ता 19 जून को ज्ञापन देने गए तो प्रोफेसर पांडेय, डॉ. अभिजीत मिश्रा ने पूर्व में सुनियोजित तरीके से अफवाह फैलाकर और भड़काकर 300 से अधिक छात्रों को प्रशासनिक भवन के बाहर एकत्र किया और उन पर हमला करवाया गया.
एबीवीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नवनीत शर्मा ने द वायर को बताया, ‘जुबैला का कार्यक्रम विश्वविद्यालय के गरिमा के अनुरूप नहीं था. शिक्षा के संस्थान में इस तरह का कार्यक्रम नहीं होना चाहिए. उस रात कार्यक्रम के दौरान हुड़दंग व मारपीट भी हुई. हमें 16 मई को इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी हुई तो इसके विरोध में ज्ञापन देने का निर्णय हुआ. ज्ञापन देने पहुंचे कार्यकर्ताओं पर वहां के शिक्षकों ने छात्रों को भड़काकर हमला करवाया.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वहां कोई अश्लील प्रस्तुतियां हुईं, उन्होंने कहा, ‘कलाकार अश्लील बुलाया गया.’ उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास कार्यक्रम की कोई वीडियो फुटेज नहीं है.
उधर, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने एबीवीपी के आरोपों को आधारहीन और विश्वविद्यालय को बदनाम करने वाला बताया है.
उन्होंने कहा, ‘एबीवीपी के कार्यकर्ता बिना किसी सूचना के ज्ञापन देने आए और कैंपस में पहुंचकर नारेबाजी करने लगे. उनका रवैया उग्र था. किसी तरह उन्हें शांत कर बातचीत के लिए बुलाया और बताया कि उनके आरोप सही नहीं हैं. फिर भी हमने आरोपों की जांच के लिए चार शिक्षकों की कमेटी बना दी है. कमेटी की रिपोर्ट आने पर समुचित कार्यवाही की जाएगी.’
प्रोफेसर पांडेय ने यह भी जोड़ा, ‘एबीवीपी कार्यकर्ता शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे जिससे विश्वविद्यालय के छात्र नाराज हुए. मारपीट में फाइनल ईयर के एक छात्र शुभम चौरसिया को गंभीर चोटें आई हैं. छात्र-छात्राएं एबीवीपी कार्यकर्ताओं के व्यवहार व आरोपों से आहत थे. उन्हें किसी तरह नियंत्रण में रखा गया नहीं तो स्थिति और खराब हो सकती थी.’
उन्होंने बताया कि छात्र क्रियाकलाप परिषद में छात्र और शिक्षक दोनों शामिल हैं. परिषद ने पूरे कार्यक्रम को आयोजित किया था और इसमें कहीं कोई अश्लीलता नहीं हुई थी. चार शिक्षकों वाली कमेटी को अब 19 मई की घटना पर भी रिपोर्ट देने को कहा गया है.
इस बीच कुलपति ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इस कमेटी में एक प्रशासनिक अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया है ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से एफआईआर दर्ज करने के लिए कैंट थाने में तहरीर दी गई है.
(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)