सीबीआई ने एफ़आईआर में समिति के पूर्व अध्यक्ष शांति प्रसाद सिन्हा, स्कूल सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सौमित्र सरकार, आयोग के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा और इसके पूर्व कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य को नामजद किया है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के नाम का भी उल्लेख है.
कोलकाता: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की सलाहकार समिति के पांच सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एजेंसी ने यह कदम राज्य सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में समूह ‘सी’ के कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के तहत उठाया है. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने एफआईआर में समिति के पूर्व अध्यक्ष शांति प्रसाद सिन्हा, स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के पूर्व अध्यक्ष सौमित्र सरकार, आयोग के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा और इसके पूर्व कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य को नामजद किया है.
उन्होंने बताया कि एफआईआर में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के नाम का भी उल्लेख है.
अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने इन अधिकारियों पर आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है.
सीबीआई के अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसी ने पांचों अधिकारियों को अपने बैंक खातों और आयकर रिटर्न की जानकारी देने के साथ-साथ उन संपत्तियों का ब्योरा मुहैया कराने को कहा है जिनकी खरीद उन्होंने दूसरों के नाम पर की है.
उन्होंने बताया कि एफआईआर में सीबीआई ने उल्लेख किया है कि स्कूल सेवा आयोग की सलाहकार समिति का गठन तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के जोर देने पर किया गया था.
यह कदम राज्य सरकार के मंत्री परेश अधिकारी से 21 मई को लगातार तीसरे दिन पूछताछ के बाद उठाया गया है. परेश अधिकारी से सरकार से सहायता प्राप्त स्कूल में उनकी बेटी की ‘अवैध’ तरीके से की गई नियुक्ति को लेकर पूछताछ की गई थी.
सीबीआई ने स्कूलों में नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं को लेकर चटर्जी से भी पूछताछ की है.
चटर्जी इस समय राज्य की ममता बनर्जी सरकार में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री हैं. कथित अवैध नियुक्तियों के समय वह शिक्षा मंत्री थे.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 18 मई को पश्चिम बंगाल के शिक्षा राज्य मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी की सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्ति को रद्द कर दिया था और उनसे 41 महीने की नौकरी के दौरान प्राप्त सारा वेतन लौटाने का निर्देश.
पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें स्कूल सेवा आयोग की अनुशंसा पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में की गई ‘अवैध’ नियुक्तियों की सीबीआई जांच कराने को कहा गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)