याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र शर्मा ने कथित रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर मौजूद केशव देव मंदिर के गर्भ गृह का ‘शुद्धिकरण’ करने की अनुमति अदालत से मांगी है. दिनेश अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष हैं और उन्होंने 19 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में भी ऐसी ही एक याचिका दाख़िल की थी. दोनों याचिकाएं अदालत में लंबित हैं.
मथुरा: उत्तर प्रदेश में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में कथित रूप से मस्जिद के अंदर मौजूद केशव देव मंदिर के गर्भ गृह का ‘शुद्धिकरण’ करने की अनुमति मांगने से संबंधित एक याचिका सोमवार को दीवानी अदालत में दाखिल की गई.
याचिकाकर्ता के वकील दीपक शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र शर्मा शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर स्थित गर्भ गृह की शुचिता की बहाली के लिए गंगा और यमुना के जल से उसका शुद्धिकरण करना चाहते हैं.
वकील ने बताया कि दिनेश चंद्र शर्मा अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष हैं और उन्होंने 19 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में भी ऐसी ही एक याचिका दाखिल की थी. शर्मा ने इस अर्जी पेशकर शाही ईदगाह को भगवान श्रीकृष्ण मंदिर का गर्भगृह बताते हुए वहां जलाभिषेक किए जाने की मांग की है.
दोनों याचिकाएं अदालत में लंबित हैं.
शर्मा के मुताबिक, दिनेश चंद्र शर्मा ने 26 फरवरी 2021 को खुद को कृष्ण भक्त बताते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में एक वाद दायर कर कहा था कि अदालत शाही ईदगाह मस्जिद को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आदेश दे, क्योंकि यह मस्जिद कथित तौर पर कटरा केशव देव मंदिर के 13.37 एकड़ क्षेत्र के एक हिस्से पर बनी है.
इन मामलों में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, इंतजामिया कमेटी शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट पक्षकार हैं.
गौरतलब है कि विवाद में अनेक मुकदमे दायर किए गए हैं और लगभग सभी में शाही ईदगाह मस्जिद को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की गुजारिश की गई है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद कटरा केशव देव मंदिर की जमीन के एक हिस्से पर बनी है.
कुछ मुकदमों में यह अपील भी की गई है कि अदालत अधिवक्ता आयुक्त या भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम को मस्जिद के अंदर हिंदू मंदिरों की निशानियों की कथित मौजूदगी का पता लगाने का निर्देश दे.
इससे पहले मथुरा की जिला अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में मौजूद शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर वह भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास को सौंपने के मामले में आदेश के पुनरीक्षण पर विचार करते हुए बीते 19 मई को इस मामले को सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया था.
जिला शासकीय अधिवक्ता शिवराम सिंह तरकर ने बताया था कि सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री सहित छह कृष्ण भक्तों द्वारा 25 सितंबर, 2020 में पहली बार पेश किए गए इस मामले पर सुनवाई करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने इसे खारिज कर दिया था, जिसके बाद यह प्रकरण पुनरीक्षण के लिए जिला जज की अदालत में पेश किया गया था.
उन्होंने बताया था कि इस बीच 12 से अधिक और मामले में भी इसी प्रकार की मांग को लेकर स्थानीय अदालतों में चल रहे हैं.
तरकर ने बताया था कि रंजना अग्निहोत्री समेत याचिकाकर्ताओं का कहना है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि में से जिस जमीन पर शाही ईदगाह खड़ी है, वहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान और मंदिर का गर्भगृह स्थित रहा है, इसलिए ईदगाह को वहां से हटाकर वह भूमि जन्मभूमि न्यास को सौंप दी जाए.
बीते 13 मई को मथुरा की एक अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियो सर्वेक्षण का हवाला देते हुए शाही ईदगाह मस्जिद के भी वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण की मांग की गई थी.
गौरतलब है कि शाही ईदगाह मस्जिद कटरा केशव देव मंदिर परिसर में स्थित है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के अंदर ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)