असम: कथित तौर पर हिरासत में मारे गए शख़्स की पत्नी समेत पांच पर यूएपीए का केस दर्ज

ये पांचों उन छह लोगों में से हैं, जिन पर पहले ही कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई सफीकुल इस्लाम की मौत के विरोध में नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में आग लगाने का आरोप लगाया गया है. रविवार को पुलिस ने थाने में आगजनी के आरोपियों को 'अतिक्रमणकारी' बताते हुए उनके घरों को ध्वस्त कर दिया था. इनमें मृतक सफीकुल का घर भी शामिल है.

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नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में लगी आग. (फोटो: पीटीआई)

ये पांचों उन छह लोगों में से हैं, जिन पर पहले ही कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई सफीकुल इस्लाम की मौत के विरोध में नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में आग लगाने का आरोप लगाया गया है. रविवार को पुलिस ने थाने में आगजनी के आरोपियों को ‘अतिक्रमणकारी’ बताते हुए उनके घरों को ध्वस्त कर दिया था. इनमें मृतक सफीकुल का घर भी शामिल है.

नागांव ज़िले के बटाद्रवा थाने में लगी आग. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: असम पुलिस ने सोमवार (23 मई) को बताया कि उन्होंने पांच लोगों के खिलाफ कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है- इनमें उस व्यक्ति की पत्नी भी शामिल हैं, जिनकी कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी

रिपोर्ट के अनुसार, ये पांचों उन छह लोगों में से हैं, जिन पर पहले ही कथित हिरासत में हुई मौत के विरोध में नागांव के बटाद्रवा पुलिस थाने में आग लगाने का आरोप लगाया गया है.

नागांव की एसपी लीना दोलेय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वीडियो फुटेज में मृतक सफीकुल इस्लाम की पत्नी और बेटी दोनों को थाने में आग लगाते देखा जा सकता. गिरफ्तार किए गए अन्य लोग भी उनके रिश्तेदार हैं.’ उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटी को किशोर न्याय नियमों के तहत गिरफ्तार किया गया है.

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन ने रविवार को सलोनाबारी गांव में अतिक्रमणकारियों को हटाने का एक अभियान शुरू किया, जिसके निवासियों ने एक दिन पहले एक स्थानीय व्यक्ति सफीकुल इस्लाम की हिरासत में कथित मौत के बाद कथित रूप से हमला किया था और पुलिस थाने में आग लगा दी थी.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रविवार की सुबह बुलडोजर लेकर प्रशासन के लोग पुलिस थाने से करीब छह किलोमीटर दूर गांव पहुंचे और थाने में आग लगाने वालों के ‘अवैध’ घरों को ध्वस्त कर दिया. इस्लाम को घटना से पहले वाली रात (20 मई) हिरासत में लिया गया था.

नागांव एसपी ने यह भी बताया कि इस घटना के संबंध में तीन केस दर्ज किए गए हैं- सफीकुल की हिरासत में मौत के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला; थाने में आगजनी का मामला; और यूएपीए का मामला, क्योंकि पुलिस को संदेह है कि आगजनी के आरोपियों के ‘आतंकवादी लिंक’ हैं.

जहां पहले दो मामले बटाद्रवा थाने में दर्ज किए गए हैं, वहीं यूएपीए का मामला ढिंग पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है, जिसके अधिकार क्षेत्र में आरोपी लोगों का गांव आता है.

दोलेय ने आगे कहा, ‘हमें आरोपियों की कई आपराधिक गतिविधियों के बारे में बताया गया है… हमें शक है कि (उनके) आतंकवादी लिंक भी हैं, और इसकी पुष्टि करने के लिए हमने बारपेटा और बोंगाईगांव जिलों की पुलिस से संपर्क किया है कि उनमें से कोई अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) से जुड़ा हुआ है या नहीं.’

एबीटी बांग्लादेश का प्रतिबंधित आतंकी संगठन है. मार्च के बाद से असम पुलिस ने बारपेटा और बोंगाईगांव जिलों में एबीटी से कथित संबंधों के चलते कम से कम 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.

गौरतलब है कि पुलिस ने कथित तौर पर शराब के नशे में धुत सफीकुल को शुक्रवार रात गिरफ्तार किया था. पुलिस ने हिरासत में उनकी मौत से इनकार करते हुए दावा किया है कि बीमार होने के चलते उनकी जान गई.

वहीं, सफीकुल के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें रिहा करने के लिए 10,000 रुपये और एक बत्तख की रिश्वत मांगी थी और हिरासत में उनकी पिटाई की, जिससे उनकी मौत हो गई.

इसके बाद शनिवार को  भीड़ की हिंसा और थाने में आगजनी के बाद पुलिस ने रविवार को उन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस थाने में आग लगाई थी. इसमें सफीकुल का घर भी शामिल था.

पुलिस के अनुसार, आरोपी ‘अतिक्रमणकारी’ थे और ‘जाली’ दस्तावेजों के साथ सरकारी जमीन पर रह रहे थे.

इस बीच, विपक्षी एआईयूडीएफ और कांग्रेस के नेताओं ने सोमवार को गांव का दौरा किया और भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना की.

एआईयूडीएफ विधायक अशरफुल हुसैन ने न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा कि यह घटना पुलिस की ‘विफलता’ को दर्शाती है.

उन्होंने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि इस घटना के हर अपराधी को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए दंडित किया जाए. अगर पुलिस को इस तरह कानून का दुरुपयोग करने की अनुमति है तो अदालत और संविधान किसलिए हैं?’

तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा, ‘कानून को अपना काम करने क्यों नहीं करने दिया जा रहा है? यह भाजपा राज है या हिटलर राज?’

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