लेखक गीतांजलि श्री के मूल रूप से हिंदी में लिखे गए उपन्यास ‘रेत समाधि’ के डेज़ी रॉकवेल द्वारा किए अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बुकर पाने वाला यह किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है.
नई दिल्ली/लंदन: लेखक गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘टूम्ब ऑफ सैंड’ (रेत समाधि) को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया है. यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है.
गुरुवार को लंदन में आयोजित समारोह में चौंसठ वर्षीय गीतांजलि श्री ने कहा कि वह इस पल के लिए तैयार नहीं थीं और पुरस्कार पाकर पूरी तरह से अभिभूत हैं.
लेखक ने 50,000 ब्रिटिश पाउंड का पुरस्कार डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया. रॉकवेल ने गीतांजलि श्री के उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया है, जिसका मूल शीर्षक ‘रेत समाधि’ है.
पुस्तक की अनुवादक डेजी रॉकवेल एक पेंटर एवं लेखक हैं, जो अमेरिका में रहती हैं. उन्होंने हिंदी और उर्दू की कई साहित्यिक कृतियों का अनुवाद किया है.
We are delighted to announce that the winner of the #2022InternationalBooker Prize is ‘Tomb of Sand’ by Geetanjali Shree, translated from Hindi to English by @shreedaisy and published by @tiltedaxispress@Terribleman @JeremyTiang @mervatim @VascoDaGappah @VivGroskop pic.twitter.com/TqUTew0Aem
— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) May 26, 2022
‘रेत समाधि’ उत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है और 80 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला की कहानी बयां करता है. बुकर पुरस्कार के निर्णायक दल ने इसे ‘मधुर कोलाहल’ और ‘बेहतरीन उपन्यास’ करार किया.
टूम्ब ऑफ सैंड ’13 लॉन्ग लिस्ट किए गए उपन्यासों में से एक था, जिसका 11 भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था..
गीतांजलि श्री ने पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान अपने संबोधन में कहा, ‘मैंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं यह कर सकती हूं. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं अभिभूत हूं, प्रसन्न हूं और सम्मानित महसूस कर रही हूं.’
उन्होंने कहा,‘रेत समाधि/टूम्ब ऑफ सैंड एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं. यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो आशंकाओं के बीच उम्मीद की किरण जगाती है. बुकर पुरस्कार मिलने से यह पुस्तक अब और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचेगी.’
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से ताल्लुक रखने वाली गीतांजलि श्री तीन उपन्यास और कई कथा संग्रह की लेखक हैं. उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है. हिंदी में उनकी अन्य रचनाएं- ‘माई’, ‘हमारा शहर उस बरस’ और ‘तिरोहित’ है.
‘टूम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है. इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है.
गीतांजलि श्री ने कहा, ‘मेरे लिए यह बिलकुल अप्रत्याशित है लेकिन अच्छा है. मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह पुरस्कार हासिल कर सकती हूं. यह बहुत बड़े स्तर की मान्यता है जिसको पाकर मैं विस्मित हूं. मैं प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. मैं बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने रेत समाधि को चुना. इसके पुरस्कृत होने में एक उदास संतुष्टि है. रेत समाधि इस दुनिया की प्रशस्ति है जिसमें हम रहते हैं, एक विहंसती स्तुति जो आसन्न कयामत के सामने उम्मीद बनाए रखती है. बुकर निश्चित रूप से इस उपन्यास को कई और लोगों तक ले जाएगा, जिन तक अन्यथा यह नहीं पहुंच पाता.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब से यह किताब बुकर की लॉन्ग लिस्ट आई तब से हिंदी के बारे में पहली बारे में बहुत कुछ लिखा गया. मुझे अच्छा लगा कि मैं इसका माध्यम बनी लेकिन इसके साथ ही मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं की अत्यंत समृद्ध साहित्यिक परंपरा है. इन भाषाओं के बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर विश्व साहित्य समृद्ध होगा. इस तरह के परिचय से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी.’
उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ अंग्रेजी में प्रकाशित (मूल या अनूदित) कृति को ही दिया जाता है। ‘रेत-समाधि’ साल 2018 में राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया था, जिसका डेजी रॉकवेल द्वारा किया गया अंग्रेजी अनुवाद 2021 में ब्रिटेन में टिल्टेड एक्सिस प्रेस द्वारा प्रकाशित हुआ. इसके बाद इसे पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित किया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)