जुलाई 2020 में कानपुर स्थित बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस दल पर हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी. पुलिस की विभागीय जांच में सामने आया है कि दुबे को पुलिस की छापेमारी की सूचना तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रभारी और उप-निरीक्षक ने दी थी.
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित बिकरू गांव में करीब दो साल पहले हुए नरसंहार की पुलिस द्वारा की गई विभागीय जांच में छापेमारी से पहले ही सूचना गैंगस्टर विकास दुबे को लीक करने में दो पुलिस कर्मियों की कथित संलिप्तता पाई गई, जिन्हें अब बर्खास्त कर दिया गया है.
अपर पुलिस आयुक्त (अपराध और मुख्यालय), सुरेशराव ए. कुलकर्णी ने गुरुवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘चौबेपुर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन थाना प्रभारी विनय तिवारी और उप-निरीक्षक केके शर्मा को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.’ उन्होंने बताया कि दोनों को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापे के बारे में जानकारी लीक करने का दोषी पाया गया था.
कुलकर्णी ने बताया कि लीक सूचना के आधार पर दुबे ने अपने गुर्गों की मदद से बिकरू गांव में पुलिस पार्टी पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें एक पुलिस क्षेत्राधिकारी (डिप्टी एसपी) सहित आठ पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी.
बता दें कि घटना के बाद चौबेपुर थाने में तैनात सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था.
कुलकर्णी ने बताया कि 2 जुलाई 2020 की रात इस घटना को अंजाम देने के बाद दुबे अपने गुर्गों के साथ मौके से फरार हो गया था. कुछ दिनों बाद, विनय तिवारी और केके शर्मा को गैंगस्टर के घर पर पुलिस छापे में कथित ढिलाई के लिए निलंबित कर दिया गया था.
अधिकारी ने बताया कि जांच में पाया गया कि तिवारी और शर्मा के सहयोगियों पर जब घात लगाकर हमला किया गया था, तो इस घटना में उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई थी. इसके अलावा दोनों पर घटनास्थल से भागने का आरोप भी लगाया गया था.
प्रारंभिक जांच के दौरान पता चला कि थाना प्रभारी विनय तिवारी और एसआई केके शर्मा ने विकास दुबे को छापेमारी की जानकारी लीक की थी.
इस बात की जानकारी होने के बाद दोनों को जेल भेज दिया गया था. केके शर्मा ने अपने ऊपर इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी. दुबे के एक साथी दयाशंकर अग्निहोत्री ने भी गिरफ्तारी के बाद बताया था कि थाने से फोन आने के बाद दुबे ने पच्चीस से तीस लोगों को हथियारों सहित इकट्ठा किया था.
गौरतलब है कि 2-3 जुलाई 2020 की दरमियानी रात कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू निवासी एवं दुर्दांत अपराधी विकास दुबे को पकड़ने उसके गांव पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया था, जिसमें एक क्षेत्राधिकारी, थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे.
मुठभेड़ में पांच पुलिसकर्मी, एक होमगार्ड और एक आम नागरिक घायल हो गए थे. बाद में, दुबे को 10 जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश से गिरफ्तार करके पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था. मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए उस पर कई सवालिया निशान भी खड़े हुए थे.
दुबे के खिलाफ करीब 60 आपराधिक मामले दर्ज थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)