उत्तराखंड: इस साल की चारधाम यात्रा में अब तक 78 तीर्थयात्रियों की जान गई

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, तीन मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अब तक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते केदारनाथ जाते समय 41, यमुनोत्री जाते समय 20, बद्रीनाथ के रास्ते में 13 और गंगोत्री जाने के दौरान चार तीर्थयात्रियों की जान गई है.

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06 मई 2022 को केदारनाथ के कपाट खुलने के दौरान तीर्थयात्री. (फोटो: पीटीआई)

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, तीन मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अब तक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते केदारनाथ जाते समय 41, यमुनोत्री जाते समय 20, बद्रीनाथ के रास्ते में 13 और गंगोत्री जाने के दौरान चार तीर्थयात्रियों की जान गई है.

06 मई 2022 को केदारनाथ के कपाट खुलने के दौरान तीर्थयात्री. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/देहरादून: इस महीने की शुरुआत में शुरू हुई चारधाम यात्रा में शुक्रवार तक 78 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि इनकी स्वास्थ्य संबंधी वजहें रहीं, जिनमें हृदयाघात प्रमुख है.

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारधाम यात्रा के चार तीर्थ स्थल उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री और गंगोत्री और रुद्रप्रयाग में केदारनाथ और चमोली जिले में बद्रीनाथ हैं.

अक्षय तृतीया पर तीन मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई थी जबकि केदारनाथ के कपाट छह मई को और बद्रीनाथ के कपाट आठ मई को खुले थे.

यहां के रास्ते में हृदय संबंधी समस्याओं के कारण श्रद्धालुओं की मौत की घटनाएं हर साल होती हैं, लेकिन इस बार यह संख्या कहीं ज्यादा है.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अब तक केदारनाथ जाते समय 41, यमुनोत्री जाते समय 20, बद्रीनाथ के रास्ते में 13 और गंगोत्री जाने के दौरान चार तीर्थयात्रियों की जान गई.

तीन मई से यात्रा शुरू होने के बाद बीते बुधवार (25 मई) तक 3.35 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने केदारनाथ, 3.15 लाख बद्रीनाथ, 1.49 लाख यमुनोत्री और 2 लाख से ज्यादा गंगोत्री के दर्शन किए.

चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट  ने कहा कि इस साल यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत अधिक है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि 2020 और 2021 में कोविड महामारी के कारण यात्रा रद्द कर दी गई थी.

इस अख़बार से बात करते हुए उत्तरकाशी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केएस चौहान ने कहा कि जिले में जिन तीर्थयात्रियों की मौत  हुई, वे सभी पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालु थे.

उन्होंने बताया, ‘ट्रैकिंग के इन रास्तों पर चढ़ाव है, और ऐसे में जब लोग चलते रहते हैं तब उन्हें ऑक्सीजन के स्तर में अचानक होने वाली कमी का एहसास नहीं होता. लोग बिना पर्याप्त आराम के चलते रहते हैं और फिर उन्हें चक्कर आने की शिकायतहोती है. जिन लोगों की जान गई  है, उनमें ज्यादातर लोगों को हाइपरटेंशन, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं थीं. कुछ लोग पिछले सालों में कोविड से भी उबरे थे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘लोगों को बड़ी संख्या में हो रही मेडिकल समस्याओं के बारे में मालूम चलने के बाद हमने 5 मई को गहन जांच शुरू की. हम तीर्थयात्रियों का ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, ऑक्सीजन लेवल और उनकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच कर रहे हैं… हमने चिकित्सा जांच केंद्रों के साथ-साथ जीवन रक्षक एम्बुलेंस की संख्या भी बढ़ा दी है.’

चौहान ने यह भी जोड़ा कि जिन्हें कोई संभावित मेडिकल समस्या हो सकती है, वे लोग यात्रा से बचने की सलाह कम ही मानते हैं.

आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में लगभग 38 लाख लोग यात्रा में शालिम हुए थे और इसमें से 90 से अधिक की जान गई थी. इससे पहले 2017 और 2018 में क्रमशः 112 और 102 तीर्थयात्रियों की यात्रा के दौरान मृत्यु हुई थी.

गौरतलब है कि ये आंकड़े अप्रैल-मई में यात्रा शुरू होने से लेकर अक्टूबर-नवंबर में उसके बंद होने तक यानी छह माह की अवधि के हैं.

श्रद्धालुओं की मौतों की बढ़ती संख्या चिंता का कारण: विशेषज्ञ

कोविड-19 के कारण दो साल बाधित रहने के बाद इस बार पूरी तरह से शुरू हुई चारधाम यात्रा के शुरूआती माह में ही 78 श्रद्धालुओं की मौत होने से अधिकारी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ दोनों चिंतित हैं.

केदारनाथ में निशुल्क चिकित्सा ​सुविधाएं उपलब्ध करा रही सिग्मा हेल्थकेयर के प्रमुख प्रदीप भारद्वाज ने श्रद्धालुओं की मौत में वृद्धि के कई कारण बताए जिनमें तीर्थयात्रियों के लिए जलवायु के अनुकूल ढलने की प्रक्रिया की कमी, ज्यादातर लोगों की कोविड के कारण क्षीण शरीर प्रतिरोधक क्षमता, उच्च हिमालयी क्षेत्र में अनिश्चित मौसम और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए अपर्याप्त इंतजाम शामिल हैं.

प्रशिक्षित चिकित्सक भारद्वाज ने कहा कि चारधाम में आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु दस हजार फीट से अधिक ऊंचाई वाली जगहों के आदी नहीं होते इसलिए रास्ते में कई ऊंचाई वाले स्थानों पर उन्हें रोका जाना चाहिए जिससे वे उसके अनुकूल खुद को ढाल सकें.

उन्होंने कहा कि कई श्रद्धालु अपने साथ सही प्रकार के कपड़े भी नहीं लाते क्योंकि उन्हें उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में भीषण ठंड की मौसमी दशाओं का पता ही नहीं होता.

उन्होंने कहा, ‘हमने देखा कि केदारनाथ के रास्ते में मरने वाले कई तीर्थयात्रियों की मौत हाइपोथर्मिया यानी अत्यधिक ठंड के कारण शरीर का तापमान कम होने से हुई.’

भारद्वाज ने कहा कि केदारनाथ में दोपहर के बाद अक्सर मौसम खराब हो जाता है और खिली हुई धूप में अचानक कहीं से बादल आ जाते हैं और बारिश भी हो जाती है.

उन्होंने कहा कि केदारनाथ में तीन किलोमीटर के दायरे में बारिश से बचने के लिए कोई शेड नहीं है और श्रद्धालु पानी में भीगने के बाद अक्सर हाइपोथर्मिया से बीमार हो जाते हैं.

चारधामों में से केदारनाथ में अब तक सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं जहां 41 तीर्थयात्रियों ने जान गंवाई है.

उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की मौतों की संख्या बढ़ने का एक कारण उनका कोविड इतिहास भी है. मंदिरों के लिए कठिन पैदल रास्ते पर चलने से पहले यात्रियों के लिए स्वास्थ्य जांच जरूरी है.

भारद्वाज ने केदारनाथ के रास्ते में ज्यादा सामुदायिक रसोईघरों की जरूरत भी बताई. उन्होंने कहा कि दस हजार की जगह 50 हजार श्रद्धालु आ रहे हैं और उनके लिए केवल तीन सामुदायिक किचन ही हैं.

इस संबंध में केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि तीर्थयात्री राज्य सरकार द्वारा इस संबंध मे जारी परामर्श को अनदेखा कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इस बार हिमालयी धामों में श्रद्धालुओं की आमद उनकी क्षमता से कहीं अधिक है जिससे उन्हें असुविधाएं हो रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘कोविड इतिहास या कोविड से ठीक होने के बाद भी समस्यायें जारी रहने की दशा में हिमालयी धामों की यात्रा न करने की सरकार की सलाह को दरकिनार करते हुए श्रद्धालु आ रहे हैं और यही उनके लिए खासतौर से बुजुर्गों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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