बागपत ज़िले के छपरौली थाना क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान ज़हर खाने वाली मां और दो बेटियों की मौत के मामले में आरोपी दारोगा को निलंबित कर दिया गया है. वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेज चार हफ्ते के अंदर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
बागपत/लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के छपरौली क्षेत्र के बाछौड़ गांव में पुलिस दबिश के दौरान जहर खाने वाली मां और दो बेटियों की मौत के मामले में नामजद आरोपी दारोगा को निलंबित कर दिया गया है. पुलिस ने इसकी जानकारी दी.
वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करके चार हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है.
बागपत के पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने शुक्रवार को बताया कि जांच में यह तथ्य सामने आया है कि दबिश के दौरान दारोगा नरेश पाल की मौजूदगी में ही मां और बेटियों ने जहर खाया था. उस वक्त दारोगा ने सूझबूझ का परिचय देने के बजाय लापरवाही बरती, इसके मद्देनजर उन्हें निलंबित कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जादौन ने यह भी बताया कि मामले में आगे की जांच के लिए तीन-सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है, जिसमें बागपत की मानव-तस्करी रोधी इकाई की इंचार्ज अंजू तेवतिया भी शामिल हैं.
इससे पहले मृतकाओं के परिवार की तहरीर के आधार पर छपरौली थाने के दारोगा नरेश पाल समेत छह लोगों के खिलाफ उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया था तथा उसकी जांच अपराध शाखा को सौंपी गई थी.
वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी करके चार हफ्ते के अंदर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है.
रिपोर्ट में मामले की जांच की स्थिति और अगर पीड़ित परिवार को कोई सहायता दी गई है तो उसके बारे में विस्तार से जानकारी देनी होगी.
आयोग ने नोटिस जारी करते हुए माना कि मामले की मीडिया रिपोर्टों पर गौर करने से ऐसा लगता है कि कानून लागू कराने वाली एजेंसियां हालात को विवेकपूर्ण तरीके से संभालने में विफल रहीं, जिसकी वजह से मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ.
गौरतलब है कि बागपत में पुलिस एक आरोपी को पकड़ने उसके घर गई थी, इस कार्रवाई के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों ने कथित रूप से जहरीला पदार्थ खा लिया जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
जहर खाने के बाद गंभीर हालत में मेरठ के अस्पताल में इलाज के दौरान मृत महिला अनुराधा (47) और उसकी छोटी बेटी प्रीति (17) का शव पोस्टमार्टम के बाद गांव में लाया गया तो महिलाओं ने सड़क पर ही एंबुलेंस रोक ली और धरने पर बैठ गईं और हंगामा किया.
बाद में वरिष्ठ अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को उचित मदद करने का आश्वासन दिया. उसके बाद शवों का अंतिम संस्कार किया गया.
गौरतलब है कि पिछली तीन मई को छपरौली थाना क्षेत्र के बाछौड़ गांव निवासी कांतिलाल नामक व्यक्ति ने पुलिस को तहरीर दी थी कि उसकी पुत्री को गांव का ही युवक प्रिंस लेकर चला गया है.
इस मामले में मंगलवार की रात पुलिस की दबिश के दौरान अभियुक्त की मां अनुराधा और दो बहनों स्वाति तथा प्रीति ने जहर खा लिया था. तीनों को मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां बुधवार को स्वाति और गुरुवार को अनुराधा और प्रीति की मौत हो गई.
अनुराधा के पति महक सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उसका बेटा प्रिंस यदि किसी युवती को लेकर चला गया तो बेटे के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने परिवार के सभी सदस्यों को परेशान करना शुरू कर दिया.
उन्होंने बताया, ‘पुलिस कई बार घर आई और परेशान किया, आए दिन पुलिस परिवार के सदस्यों को थाने ले जाकर मारपीट करती थी. पत्नी और दो बेटियों की मौत के बाद तो मेरा परिवार ही उजड़ गया है.’
मालूम हो कि मई महीने में यह चौथी घटना है, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस की दबिश के दौरान महिलाओं की जान गई है.
इससे पहले बीते 14 मई को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के सदर थाना क्षेत्र के एक गांव में पुलिस की दबिश के दौरान एक महिला की कथित तौर पर गोली लगने से मौत हो गई थी. इस मामले में 15 मई को सिद्धार्थ नगर कोतवाली के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था.
सात मई को प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के पचोखरा क्षेत्र में कथित रूप से पुलिस द्वारा हिंसात्मक रूप से धक्का दिए जाने से गिरी एक 60 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला की मौत का मामला सामने आया था.
मृतक राधा देवी के चार बेटे पिछले महीने अपने रिश्तेदारों से मारपीट के आरोप में जेल गए थे और सात मई की शाम को ही जेल से छूटकर आए थे. पुलिस का दस्ता उनसे पूछताछ करने गया था, जब यह घटना हुई.
इससे पहले बीते एक मई को उत्तर प्रदेश में चंदौली जिले के सैयदराजा क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में एक युवती की मौत हो गई थी. इस मामले में निलंबित थानाध्यक्ष समेत छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था.
सैयदराजा थाना क्षेत्र के मनराजपुर गांव में पुलिस का एक दल एक बालू कारोबारी कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुंचा था. यादव के खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी हुआ था.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि इस दौरान एक पुलिसकर्मी ने कारोबारी की 24 साल की बेटी से बलात्कार किया तथा मारपीट और जोर-जबर्दस्ती के कारण उसकी मौत हो गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)