हिजाब का मुद्दा फिर से सामने आने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जोर देकर कहा है कि सभी को हाईकोर्ट और सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए. इस मुद्दे के ख़त्म हो जाने का ज़िक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने छात्र-छात्राओं से ऐसे मुद्दों में पड़ने के बजाय शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.
बेंगलुरु: कर्नाटक के मंगलुरु स्थित मैंगलोर विश्वविद्यालय द्वारा यूनिफॉर्म अनिवार्य करने की एडवाइजरी जारी करने के एक दिन बाद शनिवार को हिजाब पहनकर लड़कियों का एक समूह कैंपस पहुंच गया था.
शनिवार सुबह रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो में मंगलुरु स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज की प्रिंसिपल अनुसूया राय को लड़कियों की काउंसलिंग करते और उन्हें बिना हेडस्कार्फ के कक्षाओं में भाग लेने की आवश्यकता के बारे में समझाने की कोशिश करते देखा जा सकता है.
#Karnatakahijabrow 12 students tried to make an appeal to the principal of #Mangalore university to allow them inside the class room wearing #Hijab. The principal said the management has decided hijab won't be allowed citing HC orders. They left after a while. #Karnataka pic.twitter.com/EfsnkDC2e2
— Imran Khan (@KeypadGuerilla) May 28, 2022
विश्वविद्यालय ने शनिवार को हिजाब पहनकर यूनिवर्सिटी में आई लड़कियों को वापस भेज दिया.
बीते 27 मई को मैंगलोर यूनिवर्सिटी के कुलपति, प्रिंसिपल और सिंडिकेट के सदस्यों के साथ कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च के फैसले के अनुसार कक्षाओं के अंदर किसी को भी हिजाब पहनने की अनुमति नहीं होगी.
मैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी. सुब्रमण्य यदापदिथया ने बीते 27 मई को कहा था कि अगर मुस्लिम छात्राओं ने कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने पर जोर दिया तो कॉलेज उन्हें अन्य संस्थानों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करेगा.
कुलपति ने कहा था कि हिजाब पहनने वाली छात्राओं की काउंसलिंग की जाएगी और उन्हें बिना हिजाब के कक्षाओं में भाग लेने की आवश्यकता के बारे में समझाने का प्रयास किया जाएगा.
इस बीच, मंगलुरु में हिजाब का मुद्दा फिर से सामने आने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को जोर देकर कहा कि सभी को हाईकोर्ट और सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए.
मैंगलोर विश्वविद्यालय में सिंडिकेट की बैठक के बाद इस मुद्दे के खत्म हो जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने छात्रों से ऐसे मुद्दों में पड़ने के बजाय शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.
बोम्मई ने कहा, ‘हिजाब विवाद (फिर से) पैदा करने की जरूरत नहीं है. अदालत ने अपना आदेश दिया है, सभी को अदालत और सरकार के आदेश का पालन करना होगा. उनमें से अधिकतर, लगभग 99.99 प्रतिशत, इसका पालन कर रहे हैं. सिंडिकेट का भी प्रस्ताव है कि अदालत के आदेश का पालन करना होगा. मेरे हिसाब से छात्रों के लिए पढ़ाई जरूरी होनी चाहिए.’
बोम्मई ने कहा, ‘विश्वविद्यालय की कल की बैठक के बाद यह मुद्दा खत्म हो चुका है.’
दरअसल हिजाब का मुद्दा बीते 26 मई को एक बार फिर सामने आया, जब मंगलुरु में कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि कुछ मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर कक्षाओं में भाग ले रही हैं.
Hindu students are protesting against Muslim students wearing hijab in the Mangalore University, India! If these are the futures of India, nothing can save the country. pic.twitter.com/zad6fVJBys
— Ashok Swain (@ashoswai) May 26, 2022
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण पर एक अध्याय शामिल करने और अन्य परिवर्तन को लेकर पाठ्यपुस्तक पुनरीक्षण समिति के अध्यक्ष रोहित चक्रतीर्थ को बर्खास्त करने की मांग के बारे में भी बोम्मई से सवाल किया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे. बोम्मई ने कहा, ‘वह (नागेश) तमाम घटनाक्रम से वाकिफ हैं, मैं उनसे बात करूंगा और फैसला लूंगा.’
मामलू हो कि हिजाब का विवाद कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में सबसे पहले तब शुरू हुआ था, जब छह लड़कियां पिछले साल दिसंबर में हिजाब पहनकर कक्षा में आईं और उन्हें कॉलेज में प्रवेश से रोक दिया गया.
उनके हिजाब पहनने के जवाब में कॉलेज में हिंदू विद्यार्थी भगवा गमछा पहनकर आने लगे. धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का माहौल पैदा हो गया था.
इस विवाद के बीच इन छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया था.
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को लेकर उपजे विवाद से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए बीते 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और उसने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने संबंधी मुस्लिम छात्राओं की खाचिकाएं खारिज कर दी थीं और राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा था.
मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था. बहरहाल उसी दिन इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
बीते 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले की तत्काल सुनवाई के लिए याचिकाओं को खारिज कर दिया था. याचिका को खारिज करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी. रमना ने कहा था, ‘इसका परीक्षा से कोई लेना-देना नहीं है. इसे सनसनीखेज मत बनाइए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)