असम मंत्रिमंडल ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने का फैसला किया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने कहा कि हमारे पास अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं हैं, अल्पसंख्यकों के लिए एक अलग विभाग है. लेकिन अल्पसंख्यक कौन हैं? कोई पहचान नहीं है. उनकी पहचान करने की ज़रूरत है, ताकि ऐसी योजनाएं उन तक पहुंच सकें.
गुवाहाटी: असम में मुस्लिमों सहित छह धार्मिक समुदायों को अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने रविवार को दी.
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद महंत ने मीडिया से कहा कि मंत्रिमंडल ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने का फैसला किया है और इसी के अनुरूप नियमों पर काम होगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, महंत ने कहा, ‘यह पहली बार है जब इस तरह के प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे.’ फैसले के पीछे का कारण बताते हुए महंत ने कहा कि इससे पहचान में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं हैं, हमारे पास अल्पसंख्यकों के लिए एक अलग विभाग है, लेकिन अल्पसंख्यक कौन हैं? कोई पहचान नहीं है. हमें उनकी पहचान करने की जरूरत है, ताकि ऐसी योजनाएं उन तक पहुंच सकें. प्रमाण-पत्र के लिए अनुरोध असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड से आया था.’
अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के अध्यक्ष हबीब मोहम्मद चौधरी ने कहा कि इस कदम से असम के अल्पसंख्यकों को लाभ होगा, खासकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में.
उन्होंने कहा, ‘यह हमारी लंबे समय से मांग रही है. अक्सर बिना प्रमाण-पत्र के हमें सरकारी योजनाओं और यहां तक कि छात्रवृत्ति या परीक्षा के मामले में मुद्दों का सामना करना पड़ता है. छात्र अपनी अल्पसंख्यक स्थिति साबित करने में असमर्थ हैं और योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते हैं. कई बार उनके अनुरोध के बाद हम (अल्पसंख्यक) बोर्ड से प्रमाण के रूप में आधिकारिक पत्र जारी करते हैं, लेकिन कई मामलों में उन्हें स्वीकार नहीं किया जाता है.’
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने अभी तक उन्हें यह नहीं बताया है कि वे इन प्रमाण-पत्रों को कैसे जारी करने जा रहे हैं.
साल 2011 की जनगणना के अनुसार, हिंदुओं की संख्या असम की कुल आबादी का 61.47 प्रतिशत है, जबकि मुसलमानों की संख्या 34.22 प्रतिशत है. ईसाइयों की संख्या 3.74 प्रतिशत है, जबकि बौद्ध, सिख और जैन एक प्रतिशत से भी कम हैं.
इसके अलावा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में डोलू चाय बागान में काम करने वाले 1,263 परिवारों को 12.63 करोड़ रुपये की राशि सिल्चर में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा बनाने में सहयोग करने के लिए सद्भावना राशि के तौर पर देने का फैसला किया गया.
उन्होंने बताया कि प्रत्येक परिवार को सहयोग के लिए एक-एक लाख रुपये की राशि मुआवजे के तौर पर दी जाएगी.
राज्य सरकार ने इससे पहले सिल्चर हवाई अड्डे के लिए डोलू लालबाग और मैनागढ़ चाय बागान की ली गई जमीन के लिए 50 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी और इसके तहत पहली किस्त के रूप में 2.37 करोड़ रुपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है.
महंत ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राज्य सरकार के स्वामित्व वाले असम चाय निगम लिमिटेड (एटीसीएल) के कर्मचारियों की लंबित भविष्य निधि के लिए 142.50 करोड़ रुपये की राशि जारी करने का फैसला किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, महंत ने कहा कि चाय बागान में काम करने वाले स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के मजदूरों को जमीन के अधिग्रहण की लागत के लिए चाय बागानों को देय मुआवजे की राशि का 10 प्रतिशत प्राप्त होगा.
मंत्रिमंडल ने एक जनवरी, 2022 से तीन साल की अवधि के लिए हरी चाय की पत्तियों पर कर छूट के विस्तार को सक्षम करने के लिए एक अध्यादेश लाने का भी निर्णय लिया.
महंत ने कहा कि बैठक में 1979-85 के बीच विदेशियों के खिलाफ असम आंदोलन के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए 288 लोगों और 57 महिलाओं को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का भी फैसला किया गया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)