असम: मुख्यमंत्री ने उल्फा (आई) से माफ़ी मांगने पर अपने मंत्री को कारण बताओ नोटिस भेजा

असम के तिनसुकिया से विधायक और कैबिनेट मंत्री संजय किशन ने बीते 13 मई को विधानसभा में प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ को झूठा कहा था. अगले दिन इस संगठन ने एक बयान जारी कर मंत्री से माफ़ी मांगने को कहा. उसके कुछ ही घंटों में मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बरुआ से माफ़ी मांग ली थी.

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संजय किशन. (फोटो साभार: फेसबुक)

असम के तिनसुकिया से विधायक और कैबिनेट मंत्री संजय किशन ने बीते 13 मई को विधानसभा में प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ को झूठा कहा था. अगले दिन इस संगठन ने एक बयान जारी कर मंत्री से माफ़ी मांगने को कहा. उसके कुछ ही घंटों में मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बरुआ से माफ़ी मांग ली थी.

संजय किशन. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुवाहाटी: असम के कैबिनेट मंत्री संजय किशन द्वारा प्रतिबंधित सशस्त्र समूह ‘यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम-इंडिपेंडेंट’ (उल्फा-आई) के सुप्रीमो परेश बरुआ को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्हें ‘झूठा’ कहने के लिए माफीनामा जारी करने के लगभग दो हफ्ते बाद मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने उन्हें (किशन) कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

मंत्री संजय किशन ने संगठन के प्रमुख को सार्वजनिक रूप से झूठा कहने के कुछ देर बाद ही माफी मांग ली थी. एक आधिकारिक सूत्र ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि मुख्यमंत्री ने बीते 28 मई को संजय किशन को नोटिस जारी किया. मंत्री संजय किशन से जवाब मांगा गया है कि उन्होंने एक प्रतिबंधित संगठन के प्रमुख से माफी मांगने का विकल्प क्यों चुना.

सरकार की 28 मई की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष ने मांग की है कि किशन को मंत्रालय से हटा दिया जाए क्योंकि वह संविधान के खिलाफ गए थे, जिस पर उन्होंने शपथ ली थी.

सूत्र ने कहा, ‘किशन को नोटिस का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है. मुख्यमंत्री ने किशन से पूछा है कि उन्होंने उल्फा (आई) से माफी क्यों मांगी.’

सूत्र ने बताया कि तिनसुकिया से विधायक किशन ने 13 मई को उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ को झूठा कहा था. अगले दिन संगठन ने एक बयान जारी कर मंत्री से माफी मांगने को कहा.

साल 1990 में गृह मंत्रालय द्वारा उल्फा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद संगठन दो गुटों में टूट गया था, जिसमें से एक ने साल 2000 की शुरुआत से शांति वार्ता के लिए केंद्र सरकार के साथ जुड़ना जारी रखा और बरुआ गुट (उल्फा-आई) ने इसका विरोध तब तक किया जब तक कि असम की संप्रभुता के मुद्दे को चर्चा की मेज पर नहीं रखा गया.

माना जाता है कि परेश बरुआ म्यांमार-चीन सीमा पर कहीं रहता है.

राज्य की समाचार रिपोर्टों के अनुसार, भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार में चाय जनजाति और रोजगार मंत्री किशन ने 13 मई को नागांव जिले में राज्य शिक्षा मंत्रालय के एक ‘गुणोत्सव’ कार्यक्रम में जब एक रिपोर्टर ने किशन से उल्फा-आई द्वारा कथित तौर पर पुलिस का मुखबिर होने के कारण दो युवकों की हत्या करने और एक अन्य युवक बिजॉय गोगोई, जिसे आत्महत्या से मरा हुआ घोषित किया गया था, के बारे में पूछने पर किशन ने बरुआ को ‘झूठा’ कहा था.

16 मई को उल्फा-आई के शीर्ष पदाधिकारी अरुणोदय असोम ने राज्य के कुछ समाचार संगठनों को ईमेल भेजकर 24 घंटे के भीतर किशन से माफी मांगने और माफी जारी नहीं करने पर ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया जिलों से भाजपा नेता का बहिष्कार करने की धमकी दी थी. किशन उसी इलाके के चाय-क्षेत्र (T-Belt) से ताल्लुक रखते हैं.

उसके कुछ ही घंटों में संजय किशन ने तिनसुकिया में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बरुआ से सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी.

इस दौरान भाजपा मंत्री ने कहा था, ‘हमारे मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा असम में शांति स्थापित करने के लिए उल्फा-आई को बातचीत की मेज पर लाने के लिए माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं नहीं चाहता कि माहौल खराब हो. मैंने अभी कुछ युवाओं के उल्फा में शामिल होने की बात की है और अगर मेरी टिप्पणी से परेश बरुआ की भावना किसी भी तरह से आहत हुई है, तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)