असम पुलिस के अनुसार, नागांव ज़िले में भीड़ को थाने में हिंसा के लिए उकसाने के मुख्य आरोपी आशिकुल इस्लाम ने उन्हें पुलिस वाहन से हथियारों की निशानदेही के लिए ले जाने के दौरान भागने की कोशिश की और पीछे चल रहे एस्कॉर्ट वाहन की चपेट में आने उनकी मौत हो गई.
गुवाहाटी: असम के नागांव जिले में भीड़ को पुलिस थाने में हिंसा के लिए उकसाने के मुख्य आरोपी की सोमवार सुबह कथित तौर पर पुलिस ‘हिरासत से भागने’ की कोशिश करने के दौरान एक हादसे में मौत हो गई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि आशिकुल इस्लाम जिस पुलिस दल के साथ जा रहा था, उसके काफिले में शामिल एक वाहन की टक्कर से वह उस समय घायल हो गए, जब वह ‘हिरासत से भागने’ का प्रयास कर रहे थे.
नागांव की पुलिस अधीक्षक लीना डोले ने पत्रकारों से कहा कि आरोपी को नागांव सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. लीना के मुताबिक, घटना में एक उप-निरीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों को मामूली चोटें आई हैं.
गौरतलब है कि आशिकुल इस्लाम को रविवार को गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ के आधार पर पुलिसकर्मियों का एक दल हथियार और गोला-बारूद बरामद करने के लिए उन्हें सोमवार सुबह जुरिया स्थित उसके आवास पर ले जा रहा था.
लीना डोले के अनुसार, पुलिस ने आरोपी के घर से दो पिस्तौल, गोला-बारूद और एक लाल टी-शर्ट बरामद की है. यह कथित तौर पर वही टी-शर्ट है, जिसे आशिकुल इस्लाम 21 मई को एक पुलिस थाने पर भीड़ के हमले से जुड़े वीडियो में पहने नजर आ रहे थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लीना डोले ने कहा, ‘आरोपी आशिकुल इस्लाम के खिलाफ रविवार को पुलिस ने मामला दर्ज किया था और हम उसे पूछताछ के लिए ले गए थे. पूछताछ के दौरान आशिकुल ने स्वीकारा था कि उसने अपने घर में हथियार रख रखे थे.’
उन्होंने आगे बताया, ‘इसलिए हमारी टीम हथियारों की तलाश में गई. तलाशी अभियान समाप्त होने के बाद, वापस लौटते समय रास्ते में उसने कार से भागने की कोशिश की और दुर्घटनावश उसके पीछे चल रहे एस्कॉर्ट वाहन ने उसे कुचल दिया.’
दिसंबर 2021 में, जोरहाट में एक छात्र नेता की लिंचिंग के मुख्य आरोपी नीरज दास की भी इसी तरह मौत हो गई थी, जब वह कथित तौर पर हिरासत से बचने की कोशिश कर रहे थे, तब एक पुलिस वाहन ने उसे कुचल दिया था.
उल्लेखनीय है कि सलोनाबोरी गांव के 39 वर्षीय स्थानीय मछली विक्रेता सफीकुल इस्लाम की कथित हिरासत में मौत के बाद पिछले शनिवार को बटाद्रवा पुलिस थाने में आग लगा दी गई थी.
बताया गया था कि पुलिस ने कथित तौर पर शराब के नशे में धुत सफीकुल को शुक्रवार रात गिरफ्तार किया था. पुलिस ने हिरासत में उनकी मौत से इनकार करते हुए दावा किया है कि बीमार होने के चलते उनकी जान गई.
वहीं, सफीकुल के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें रिहा करने के लिए 10,000 रुपये और एक बत्तख की रिश्वत मांगी थी और हिरासत में उनकी पिटाई की, जिससे उनकी मौत हो गई.
शनिवार की दोपहर उग्र भीड़ ने, जिसमें मुख्य तौर पर इस्लाम की पत्नी और बेटियां शामिल थे, ने पुलिस थाने में आग लगा दी. भीड़ की हिंसा और थाने में आगजनी के बाद पुलिस ने रविवार को उन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस थाने में आग लगाई थी. इसमें सफीकुल का घर भी शामिल था.
पुलिस के अनुसार, आरोपी सरकारी जमीन पर फर्जी दस्तावेज बनाकर अतिक्रमण करके रह रहे थे. इस सिलसिले में सफिकुल की पत्नी समेत कई आरोपियों पर आतंकियों से संबंध के शक में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.
तब से 11 लोगों (आशिकुल और सफीकुल के परिजनों समेत) पर आगजनी का मामला दर्ज किया गया. पुलिस ने कहा है कि जिन पर मामला दर्ज किया गया है, उनकी पहचान घटना के वीडियो फुटेज से की गई थी, जो कि वहां मौजूद लोगों ने बनाया था.
डोले ने कहा, ‘आशिकुल को वीडियो में लाल टीशर्ट पहने हुए लोगों को भड़काते देखा जा सकता है.’
घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा था कि यह घटना उस भयावह समय का प्रतिबिंब है जिसमें असम के लोग रह रहे थे. उन्होंने कहा था, ‘एक पुलिस थाने को जला दिया गया, जब तक हमारी सरकार सत्ता में है, हमें ऐसे अपराधों को माफ नहीं करेंगे.’
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2021 से मई 2022 के बीच कम से कम 47 लोग पुलिस कार्रवाई में मारे गए हैं और 116 घायल हुए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की या पुलिस पर हमला किया.
पिछले 24 घंटे में दो लोग (विश्वनाथ जिले का एक गैंडे का शिकार करने वाला और कार्बी आंगलोंग जिले में एक कथित बलात्कारी) पुलिस हिरासत से बचने की कोशिश में पुलिस कार्रवाई में घायल हो गए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)