आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में बैंकिंग प्रणाली में मिले 500 रुपये के जाली नोटों की संख्या में दोगुने से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, दो हज़ार रुपये के जाली नोटों की संख्या में 54.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
मुंबई: बीते वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकिंग प्रणाली में मिले जाली 500 रुपये के नोटों की संख्या इससे पिछले वित्त वर्ष (2020-21) की तुलना में दोगुना से भी अधिक होकर 79,669 पर पहुंच गई. यह 102 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में 2,000 रुपये मूल्य के 13,604 जाली नोटों का पता चला. 2020-21 की तुलना में यह 54.6 प्रतिशत अधिक हैं.
बीते वित्त वर्ष में बैंकिंग क्षेत्र में मिले विविध मूल्यों की कुल जाली भारतीय करेंसी नोट (एफआईसीएन) की संख्या बढ़कर 2,30,971 हो गई जो 2020-21 में 2,08,625 थी. 2019-20 में 2,96,695 जाली नोट पकड़ में आए थे.
रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट 2021-22 में कहा गया, ‘पिछले वर्ष की तुलना में, इस वर्ष 10 रुपये, 20 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये (नए नोट) और 2,000 रुपये मूल्य के जाली नोटों की संख्या क्रमश: 16.4 प्रतिशत, 16.5 प्रतिशत, 11.7 प्रतिशत, 101.9 प्रतिशत और 54.6 प्रतिशत बढ़ गई.’
वहीं 50 रुपये और 100 रुपये मूल्य के जाली नोटों की संख्या क्रमश: 28.7 फीसदी और 16.7 फीसदी कम हो गई.
बैंकिंग प्रणाली में 2021-22 में मिले कुल जाली नोटों में से 6.9 प्रतिशत रिजर्व बैंक में पकड़ में आए और 93.1 फीसदी अन्य बैंकों में मिले.
सरकार ने 2016 में नोटबंदी का कदम फर्जी करेंसी पर लगाम लगाने के लिए उठाया था. इसमें 500 रुपये और 1,000 रुपये मूल्य के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया कि एक अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 के बीच सुरक्षित छपाई पर कुल 4,984.8 करोड़ रुपये का खर्च आया जबकि एक जुलाई, 2020 से 31 मार्च, 2021 के बीच 4,012.1 करोड़ रुपये का खर्च आया था.
दो हजार के नोट की संख्या में गिरावट जारी, चलन वाले कुल नोट में हिस्सेदारी घटकर 1.6% पर
दो हजार रुपये के बैंक नोट की संख्या में पिछले कुछ साल से गिरावट का सिलसिला जारी है. इस साल मार्च अंत तक चलन वाले कुल नोट में इनकी हिस्सेदारी घटकर 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत रह गई. आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है.
इस साल मार्च तक सभी मूल्यवर्ग के नोटों की कुल संख्या 13,053 करोड़ थी. इससे एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 12,437 करोड़ था.
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 के अंत में चलन में शामिल 2000 रुपये के मूल्यवर्ग वाले नोटों की संख्या 274 करोड़ थी. यह आंकड़ा चलन में कुल करेंसी नोटों की संख्या का 2.4 प्रतिशत था.
इसके बाद मार्च 2021 तक चलन में शामिल 2000 के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ या दो प्रतिशत रह गई. पिछले वित्त वर्ष के अंत में यह आंकड़ा 214 करोड़ या 1.6 प्रतिशत तक रह गया.
उपरोक्त आंकड़े मात्रा के लिहाज से हैं. यदि मूल्य के संदर्भ में बात करें तो मार्च 2020 में 2000 रुपये के नोट का कुल मूल्य, सभी मूल्यवर्ग के नोटों के कुल मूल्य का 22.6 प्रतिशत था. मार्च 2021 में यह आंकड़ा घटकर 17.3 प्रतिशत और मार्च 2022 में 13.8 प्रतिशत रह गया.
रिपोर्ट के अनुसार इस साल मार्च के अंत में 500 रुपये के नोटों की संख्या बढ़कर 4,554.68 करोड़ हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 3,867.90 करोड़ थी.
मात्रा के लिहाज से चलन में सबसे अधिक 500 रुपये के नोट (34.9 प्रतिशत) थे. इसके बाद 21.3 प्रतिशत के साथ 10 रुपये के नोटों का स्थान रहा.
रिपोर्ट के अनुसार सभी मूल्य वर्ग में चलन वाली मुद्रा का कुल मूल्य इस साल मार्च में बढ़कर 31.05 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो मार्च 2021 में 28.27 लाख करोड़ रुपये था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)