केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने रायपुर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान जनसंख्या नियंत्रण क़ानून को लेकर किए सवाल के जवाब में कहा कि जब इससे बड़े और मज़बूत फ़ैसले लिए गए हैं, तो इसको भी पूरा किया जाएगा.
रायपुर: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने मंगलवार को कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द लाया जाएगा.
मंगलवार को केंद्रीय मंत्री पटेल आईसीएआर-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट संस्थान, बरौंदा में ‘गरीब कल्याण सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए रायपुर पहुंचे थे.
एक संवाददाता सम्मेलन में जब संवाददाताओं ने पटेल से जनसंख्या नियंत्रण कानून के संबंध में सवाल किया तब उन्होंने कहा, ‘इसे जल्द लाया जाएगा, चिंता न करें. जब इस तरह के मजबूत और बड़े फैसले लिए गए हैं तो बाकी को भी (पूरा) किया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि भाजपा शासित कई राज्यों विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और असम इस विचार को आगे बढ़ा रहे हैं कि कानूनी परिवर्तनों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है.
बीते साल यूपी ने दो बच्चों की नीति को लागू करने वाला एक मसौदा विधेयक जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि इस कानून का उल्लंघन करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा और वे सरकारी नौकरियों के योग्य नहीं होंगे.
उसी समय द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि इस तरह के कानूनों के कई परिणाम होते हैं, जिनमें कन्या भ्रूण हत्या में बढ़ोतरी, असुरक्षित गर्भपात और चुनिंदा समुदायों को निशाना बनाया जाना शामिल है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती आबादी का ठीकरा आमतौर पर संघ परिवार और उनके सहयोगी मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए उन पर फोड़ते हैं, जिससे एक झूठा नैरेटिव गढ़ा जाता है कि मुस्लिम देश में बहुसंख्यक बनने की योजना बना रहे हैं.
बता दें कि जुलाई 2021 में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मुस्लिम इलाकों में जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘युवाओं की सेना’ तैयार करने की बात कही थी.
बीते साल ही विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ऑफ वेलिंगटन में सेंटर फॉर साइंस इन सोसाइटी की वरिष्ठ व्याख्याता नयनतारा श्योरण एपलटन ने द वायर साइंस को बताया था, ‘यह वास्तविकता नहीं होती है. जनसंख्या विस्फोट का विचार देश की पहले से ही मुस्लिम विरोधी भावना को बढ़ाता है. इसे प्रमुख नेताओं के सांप्रदायिक बयानों के जरिये झूठी चिंताओं पर तैयार किया जाता है कि भारत में मुसलमानों की आबादी तेजी से हिंदुओं की आबादी को पीछे छोड़ रही है. हालांकि, असल में मुसलमानों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) हिंदुओं के मुकाबले तेजी से कम हो रही है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)