जम्मू कश्मीर: 11 साल पुराने ‘राजद्रोही’ लेख के लिए ‘द कश्मीर वाला’ के अस्थाई संपादक से पूछताछ

जम्मू कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी ने 'द कश्मीर वाला' के कार्यवाहक संपादक यशराज शर्मा को समन जारी कर 2011 में पत्रिका में छपे एक विवादित लेख के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था. लेख के प्रकाशन के समय यशराज की उम्र 12 वर्ष थी.

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An image tweeted in May 2022 by Yashraj Sharma, acting editor of 'The Kashmir Wallah', with Fahad Shah, the magazine's editor-in-chief, who is in SIA custody. Photo: Twitter@yashjournals

जम्मू कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी ने ‘द कश्मीर वाला’ के कार्यवाहक संपादक यशराज शर्मा को समन जारी कर 2011 में पत्रिका में छपे एक विवादित लेख के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था. लेख के प्रकाशन के समय यशराज की उम्र 12 वर्ष थी.

‘द कश्मीर वाला’ के कार्यकारी संपादक यशराज शर्मा द्वारा फहद शाह के साथ मई 2022 में ट्वीट की गई एक तस्वीर. (फोटो साभार: Twitter@yashjournals)

श्रीनगर: श्रीनगर स्थित डिजिटल पत्रिका द कश्मीर वाला के खिलाफ जम्मू कश्मीर पुलिस की काउंटर-इंटेलिजेंस विंग द्वारा शुरू की गई आतंकवाद विरोधी जांच के सिलसिले में कश्मीर के एक युवा पत्रकार को तलब किया गया.

जम्मू कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने पत्रिका के कार्यवाहक संपादक 23 वर्षीय यशराज शर्मा को समन जारी करते हुए 2 जून तक जम्मू के संयुक्त पूछताछ केंद्र में अपने पुलिस स्टेशन में पेश होने के लिए बुलाया था. उन्हें पूछताछ के बाद जाने दिया गया.

यह पूछताछ 2011 में एक ‘राजद्रोही’ (seditious) लेख प्रकाशित करने को लेकर पत्रिका के खिलाफ दर्ज एक मामले (एफआईआर नंबर 01/2022) को लेकर थी.

द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह पत्रिका में एक विवादास्पद लेख के प्रकाशन के संबंध में पूछताछ के लिए पहले से ही एसआईए की हिरासत में हैं. इसके लेखक कश्मीर विश्वविद्यालय के पीएचडी के छात्र अब्दुल आला फाजिल को एसआईए ने 17 अप्रैल को श्रीनगर में उनके आवास पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था.

यशराज, जो द कश्मीर वाला में फहद की गैरमौजूदगी में उनकी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, उस समय महज 12 वर्ष के थे जब ‘द शेकल्स ऑफ स्लेवरी विल ब्रेक’ शीर्षक वाला यह लेख 6 नवंबर 2011 को प्रकाशित हुआ था.

राजस्थान के रहने वाले यशराज श्रीनगर की इस डिजिटल पत्रिका से 2018 में जुड़े थे और वह विभिन्न भूमिकाओं में श्रीनगर से बाहर काम कर रहे हैं.

द कश्मीर वाला और आला के खिलाफ अपने मामले में एसआईए ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) व 18 (आतंकी कृत्यों में संलिप्तता) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र के लिए सजा), 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या छेड़ने का प्रयास या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना), 124 (राजद्रोह), 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता के प्रति पूर्वाग्रह और लांछन) लगाई थीं.

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 160 के तहत यशराज को जारी समन में कहा गया था, ‘जबकि ऐसा प्रतीत होता है कि आप मामले की परिस्थितियों से अवगत हैं, जिसकी जांच जम्मू के जेआईसी/एसआईए पुलिस थाने में चल रही है, इस कारण मामले से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने हेतु आपको 02-06-2022 या उससे पहले जम्मू के जेआईसी मिरां साहिब पुलिस थाने में उपस्थित होना आवश्यक है.’

आतंक-विरोधी जांचों पर काम करने के लिए पिछले साल गठित की गई काउंटर इंटेलिजेंस एजेंसी ने 30 मई को अदालत को बताया कि 2011 के लेख के चलते ‘जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद और गैरकानूनी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है.’

एजेंसी ने कहा कि लेख ‘अत्यधिक भड़काऊ, राजद्रोही प्रवृत्ति का था और इसका मकसद जम्मू और कश्मीर में अशांति पैदा करना था और इसे आतंकवाद का महिमामंडन करके युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए उकसाने, बढ़ावा देने… झूठा नैरेटिव गढ़ने के उद्देश्य से लिखा गया था.’

आला और फहद के अलावा एसआईए ने मामले में ‘मासिक डिजिटल पत्रिका के अन्य सहयोगियों’ पर भी मामला दर्ज किया.

श्रीनगर की यह पत्रिका इस साल सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आई है और फहद के खिलाफ कथित रूप से ‘राजद्रोही’ और ‘राष्ट्र-विरोधी’ लेख प्रकाशित करने के लिए कई जांचें शुरू की गई हैं.

मुसीबत तब शुरू हुई, जब फहद को पहली बार पुलवामा पुलिस ने सोशल मीडिया पर कथित तौर पर ‘राष्ट्र-विरोधी सामग्री’ पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया और इस साल फरवरी में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया. एक अदालत ने उन्हें 22 दिन के बाद जमानत दे दी.

हालांकि, हिरासत से बाहर निकलने से कुछ घंटे पहले शाह को शोपियां पुलिस द्वारा एक समान मामले में गिरफ्तार करके हिरासत में ले लिया, उन्हें 5 मार्च को मामले में जमानत मिल गई. तब उन्हें तुरंत तीसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया गया.

14 मार्च को श्रीनगर की एक अदालत में फहद की जमानत याचिका पर सुनवाई से कुछ ही घंटों पहले उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया गया और उन्हें उत्तरी कश्मीर की कुपवाड़ा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.

23 मई को फहद की कुपवाड़ा की जेल से एसआईए को सौंप दी गई. यह उनके खिलाफ पांचवा मामला है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)