अल्पसंख्यकों को सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग लेकर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति कोर्ट पहुंची

जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का सरकार को निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. समिति का कहना है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू घाटी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.

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Jammu: Jammu-based government employees, posted in Kashmir, during a protest rally demanding their transfer to their home districts, Jammu, Saturday, June 4, 2022. (PTI Photo) (PTI06 04 2022 000024B)

जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का सरकार को निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. समिति का कहना है कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू घाटी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.

जम्मू में शनिवार को अपने गृह जिलों में ट्रांसफर की मांग को लेकर एक विरोध रैली के दौरान कश्मीर में तैनात जम्मू के रहने वाले सरकारी कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में लक्षित हत्याओं (Targeted Killings) की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) ने सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने का सरकार को निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.

मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए केपीएसएस प्रमुख संजय के. टिक्कू ने दावा किया कि कश्मीर में रहने वाले हिंदू घाटी छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने नहीं दे रही है.

टिक्कू ने कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ई-मेल के माध्यम से याचिका दायर की है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के तहत (धार्मिक अल्पसंख्यकों के) जीवन के अधिकार की गारंटी देने और धार्मिक पुनर्वास सहित विभिन्न उपाय किए जाने का अनुरोध किया गया है.

उन्होंने ई-मेल में लिखा है, ‘केंद्र शासित प्रदेश/केंद्र सरकार को कश्मीर घाटी में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को घाटी से बाहर ले जाने/स्थानांतरित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए, क्योंकि धार्मिक अल्पसंख्यकों को आतंकवादियों से सीधे खतरा है.’

टिक्कू ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले जून 2020 में अनंतनाग में एक सरपंच अजय पंडिता की हत्या के साथ शुरू हुए.

उन्होंने हाल की हत्याओं का जिक्र करते हुए कहा, ‘तब से लेकर 31 मई, 2022 तक स्थानीय धार्मिक अल्पसंख्यकों के 12 लोगों पर हमला किया गया, जिनमें से 11 की मौत हो गई.’

इन हत्याओं में सरकारी कर्मचारी राहुल भट और शिक्षक रजनी बाला की हत्याएं शामिल हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, टिक्कू ने दावा किया कि हिंदू कश्मीर छोड़ना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें जाने नहीं दे रही है, जिसे प्रेस समाचार रिपोर्टों और सोशल मीडिया बयानों से इकट्ठा किया जा सकता है.

उन्होंने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि वह संबंधित अधिकारियों को तलब करे और उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अपनाई गई नीति और तंत्र की व्याख्या करने का निर्देश दे.

टिक्कू ने कुछ ‘विशेष’ लोगों के कथित स्थानांतरण की भी जांच की मांग की, जो 12 मई को राहुल भट की हत्या से कुछ दिन पहले प्रवासियों के लिए प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत कार्यरत थे.

उन्होंने दावा किया कि इससे संकेत मिलता है कि प्रशासन में कुछ लोगों को यह स्पष्ट विचार था कि कश्मीर में स्थिति खराब होने वाली है.

द हिंदू के मुताबिक, टिक्कू ने कहा, ‘मेरी याचिका को एक जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश और केंद्रीय प्रशासन के अनैतिक और कठोर दृष्टिकोण के कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों का जीवन दांव पर लगा है. केंद्र शासित प्रदेश और केंद्र सरकार को कश्मीर घाटी में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को स्थानांतरित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए.’

उन्होंने कश्मीर में पिछले आठ महीनों में सभी लक्षित हत्याओं की जांच की मांग की.

उन्होंने कहा, ‘सभी अधिकारी, जिनकी संलिप्तता या चूक प्रारंभिक आरोपों में साबित होती है, उन्हें बिना किसी और देरी के निलंबित कर दिया जाना चाहिए. एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाना चाहिए, जो निर्धारित समय के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे और हाईकोर्ट द्वारा इसकी निगरानी की जानी चाहिए.’

टिक्कू ने बताया कि उन्हें अभी तक हाईकोर्ट से कोई जवाब नहीं मिला है.

मालूम हो कि कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरपंचों सहित कम से कम 16 हत्याएं (Targeted Killings) हुई हैं.

बीते 12 मई को जम्मू कश्मीर के राजस्व विभाग के एक कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी राहुल भट, जो पीएम पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे थे, की बडगाम जिले के चदूरा स्थित तहसील कार्यालय के अंदर गोली मार हत्या दी गई थी, जिसका समुदाय के लोगों ने व्यापक विरोध किया था.

25 मई को बडगाम जिले के चदूरा में ही 35 वर्षीय कश्मीरी टीवी अभिनेत्री अमरीन भट की उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बीते 31 मई  को कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल की शिक्षक रजनी बाला की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इसके बाद दो जून को कुलगाम के इलाकाई देहाती बैंक के कर्मचारी विजय कुमार को आतंकियों ने गोली मारी और इसी शाम बडगाम में दो प्रवासी मजदूर आतंकियों की गोली का निशाना बने.

कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)