आयकर जांच शाखा ने रिलायंस (एडीए) समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी की लगभग आठ सौ करोड़ रुपये की अघोषित ऑफशोर संपत्ति और निवेश का विवरण देते हुए काला धन अधिनियम के तहत अंतिम आदेश पारित किया है. फरवरी 2020 में अंबानी ने ब्रिटेन के एक कोर्ट में ख़ुद को दिवालिया घोषित करते हुए उनकी कुल संपत्ति शून्य बताई थी.
नई दिल्ली: अघोषित ऑफशोर संपत्ति और निवेश का पता लगाते हुए आयकर जांच शाखा की मुंबई इकाई ने मार्च 2022 में रिलायंस (एडीए) समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी के खिलाफ काला धन अधिनियम, 2015 (बीएमए) के तहत एक अंतिम आदेश पारित किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, काला धन अधिनियम संबंधी आदेश अंबानी को कई नोटिस जारी करने के बाद दायर किया गया था. पहला नोटिस 2019 में जारी किया था.
आदेश में ऑफशोर संस्थाओं और बैंक खातों में 800 करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन का विवरण सूचीबद्ध है. सूत्रों का कहना है कि इस आंकड़े की गणना रुपये-डॉलर की मौजूदा विनिमय दर के आधार पर की गई थी.
अख़बार के मुताबिक, अंबानी को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला. बता दें कि फरवरी 2020 में अंबानी ने यूके (ब्रिटेन) की एक अदालत के समक्ष खुद को दिवालिया घोषित करते हुए अपनी कुल संपत्ति शून्य बताई थी.
बीएमए के आदेश को दो ऑफशोर हैवेंस- बहामास और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में अनिल अंबानी के निवेश के विस्तार को समझने की दृष्टि से देखा जा सकता है.
बहामास में उन्होंने 2006 में एक ऑफशोर कंपनी ड्रीमवर्क होल्डिंग्स इंक के साथ डायमंड ट्र्स्ट की स्थापना की. सीबीडीटी द्वारा विदेशी कर और कर अनुसंधान (एफटीटीआर) डिवीजन के माध्यम से बहामास को भेजे गए अनुरोधों के बाद इससे जुड़े एक स्विस बैंक खाते का अस्तित्व सामने आया जो यूबीएस बैंक की ज्यूरिख शाखा में था.
ब्रिटिश वर्जिन द्वीप में 2010 में अनिल अंबानी द्वारा बनाई ऑफशोर कंपनी का नाम नॉर्थ अटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड है. इस कंपनी का बैंक ऑफ साइप्रस के साथ एक बैंक खाता पाया गया.
यह इकाई अनिल अंबानी से जुड़ीं उन 18 इकाइयों में से एक थी जो इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित ‘पैंडोरा पेपर्स’ जांच में सामने आई थीं. प्रमाण बताते हैं कि यह आयकर अधिकारियों की नजर इस पर पड़ चुकी थी.
अनिल अंबानी मामले में बीएमए 2015 की धारा 10 (3) के तहत अंतिम मूल्यांकन आदेश पारित किया गया है, जिसके तहत एक आकलन अधिकारी सभी एकत्रित ‘खातों, दस्तावेजों या साक्ष्य’ को ध्यान में रखते हुए अंतिम आदेश पारित करता है.
इससे पहले रिलायंस एडीए समूह के अध्यक्ष का नाम इंडियन एक्सप्रेस और अन्य मीडिया समूहों के साथ साझेदारी में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा की गई ऑफशोर कंपनियों की जांचों में भी सामने आया था.
वहीं, 2015 में स्विस लीक की जांच में खुलासा हुआ था कि अनिल अंबानी उन 1100 भारतीयों में शामिल थे, जिनका एचएसबीसी की जिनेवा शाखा में खाता था. वर्ष 2006-07 के लिए एचएसबीसी खाते में उनका बैलेंस 26.6 मिलियन डॉलर था.