उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले के अलापुर थाना क्षेत्र की ककराला पुलिस चौकी में का मामला. युवक की पहचान 22 वर्षीय रेहान शाह के रूप में हुई है. परिजनों का आरोप है कि चौकी के अंदर पूछताछ के दौरान रेहान को करंट का झटका दिया गया और उनके गुप्तांग में प्लास्टिक की पाइप डाल दी गई थी. बाद में पुलिसकर्मियों ने उन्हें छोड़ने के एवज में पांच हज़ार रुपये की रिश्वत भी ली थी.
बदायूं: उत्तर प्रदेश की बदायूं पुलिस द्वारा थाने में पूछताछ के दौरान एक 22 वर्षीय मुस्लिम युवक को बेरहमी से पीटने और प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है. मामला बीते मई महीने का है.
मामला सामने आने के बाद युवक को कथित रूप से प्रताड़ित करने के आरोप में पांच पुलिसकर्मियों और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस पर युवक को छोड़ने के बदले में पांच हजार रुपये रिश्वत लेने का भी आरोप है.
यह घटना बदायूं जिले के अलापुर थाना क्षेत्र की ककराला पुलिस चौकी में घटित हुई.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि रेहान शाह को बीते 2 मई को गोहत्या के एक मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. हालांकि उनकी संलिप्तता नहीं पाए जाने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था.
परिजनों का आरोप है कि चौकी के अंदर पूछताछ के दौरान रेहान को करंट का झटका दिया गया और उनके गुप्तांग में प्लास्टिक की पाइप डाल दी गई थी. बाद में पुलिसकर्मियों ने उन्हें छोड़ने के एवज में पांच हजार रुपये की रिश्वत भी ली.
मामला एक हफ्ते पहले तब सामने आया जब रेहान की मां नजमा बेगम ने बदायूं के पुलिस अधीक्षक डॉ. ओम प्रकाश सिंह के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे को बुरी तरह से प्रताड़ित किया और उसे 5,000 रुपये का भुगतान करने के बाद ही रिहा किया.
एसपी ने दातागंज पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) प्रेम कुमार थापा को सौंपी और जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद एसएसपी के निर्देश पर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
एसपी ने कहा, ‘जांच के दौरान यह पाया गया कि पुलिस ने गोहत्या मामले में पूछताछ के लिए रेहान को हिरासत में लिया था. गोहत्या मामले में गिरफ्तार एक व्यक्ति से पूछताछ के दौरान रेहान का नाम सामने आया था. चूंकि पुलिस के खिलाफ लगाए गए उत्पीड़न के आरोप सही पाए गए, इसलिए मैंने एफआईआर दर्ज करने और आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं.’
पांच पुलिसकर्मियों- सब-इंस्पेक्टर सतपाल सिंह, जो ककराला पुलिस चौकी के प्रभारी थे और चार पुलिस कॉस्टेबल (नरेंद्र, शेखर ज्वाला, सोनू और विपिन) पर आपराधिक धमकी देने, चोट पहुंचाने और दंगा करने का मामला दर्ज किया गया है.
सिंह को पहले पुलिस चौकी से स्थानांतरित कर दिया गया था, जबकि शेष पुलिसकर्मियों को एफआईआर के बाद पुलिस लाइन भेज दिया गया था.
इस संबंध में बीते तीन जून को अलापुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 भी लगाई है.
अलापुर थाने के एसएचओ संजय कुमार सिंह ने कहा, ‘मामले की जांच जारी है और अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है.’
रेहान के परिवार ने कहा कि हालांकि यह घटना 2 मई को हुई थी, लेकिन उन्होंने हफ्तों बाद शिकायत दर्ज कराई, क्योंकि उन्हें धमकी दी जा रही थी.
बदायूं के ककराला कस्बे के निवासी रेहान के बड़े भाई, सुरभ शाह ने कहा, ‘आरोपी पुलिसकर्मी और उनके सहयोगी नियमित रूप से हमें फर्जी मुठभेड़ में जान से मारने की धमकी दे रहे थे. वे हम पर कोई शिकायत दर्ज न करने का दबाव बना रहे थे.’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि पुलिस ने मेरे भाई की बेरहमी से पिटाई की, उसे करंट का झटका दिया गया और गुप्तांग में एक पाइप घुसा दिया, इसलिए हमने किसी भी तरह का समझौता नहीं करने का फैसला किया. हाल ही में कुछ लोगों ने हमें समर्थन देने का वादा किया था. इसके बाद हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया और पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया.’
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पेंटर का काम करने वाले रेहान शाह बीते अप्रैल महीने में ककराला स्थित अपने पैतृक घर लौटे थे.
उसकी मां नजमा बेगम ने बताया कि रेहान दो मई को मोटरसाइकिल से घर लौट रहा था, तभी पुलिसकर्मियों ने उसे हिरासत में ले लिया.
उन्होंने कहा, ‘यह जानने के बाद कि रेहान को पुलिस ने उठा लिया है मैं और उसका भाई रहीस पुलिस चौकी पहुंचे और पाया कि पुलिस उसे बेरहमी से लाठियों से पीट रही थी. पुलिसकर्मियों ने मुझे बताया कि रेहान मोटरसाइकिल चोरी में शामिल है. मैंने उन्हें बताया कि वह जिस मोटरसाइकिल को चला रहा था, वह उसी की है. बाद में मैं बाइक का कागज लेकर थाने गई और पुलिसकर्मियों को दिखाया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘पुलिसकर्मियों में से एक ने मुझे रेहान को रिहा करने के लिए 5,000 रुपये की व्यवस्था करने के लिए कहा. पैसे का इंतजाम करने के बाद हम फिर से पुलिस चौकी गए तो पाया कि रेहान चलने की हालत में नहीं है. पुलिसकर्मियों ने रुपये लेने के बाद रेहान को छोड़ दिया. जैसे ही हम जा रहे थे, एक पुलिसकर्मी ने उसे इलाज के लिए 100 रुपये दिए. उन्होंने हमें धमकी भी दी कि अगर हमने किसी से शिकायत की तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.’
परिवार ने कहा कि अगले दिन परिजनों ने रेहान को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. वहां के डॉक्टरों ने उसे बरेली रेफर कर दिया.
रेहान के भाई सुरभ ने कहा, ‘चूंकि पुलिसकर्मी और उनके सहयोगी हमें धमकाने के लिए नियमित रूप से बरेली अस्पताल जा रहे थे, इसलिए हमने रेहान को बुलंदशहर स्थानांतरित कर दिया, जहां हमारे कुछ रिश्तेदार रहते हैं और उसे वहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया. शनिवार (चार जून) को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)