पंजाब: ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ की 38वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर में ख़ालिस्तान समर्थक नारे लगे

स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथी सिख संगठनों के साथ-साथ शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थकों ने भी ख़ालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए. इस दौरान कई युवक जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने हाथ में तख्तियां थामे नज़र आए, जिन पर ‘ख़ालिस्तान जिंदाबाद’ लिखा हुआ था.

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स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथी सिख संगठनों के साथ-साथ शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थकों ने भी ख़ालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए. इस दौरान कई युवक जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहने हाथ में तख्तियां थामे नज़र आए, जिन पर ‘ख़ालिस्तान जिंदाबाद’ लिखा हुआ था.

स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर ख़ालिस्तान समर्थक नारे लगने के दौरान की तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

अमृतसर: ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ की 38वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर में कट्टरपंथी सिख संगठनों के साथ-साथ शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थकों ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए.

सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त के पास स्वर्ण मंदिर में संगमरमर के परिसर में खालिस्तान समर्थक नारों की गूंज सुनाई दी.

इस दौरान कई युवक हाथ में तख्तियां थामे नजर आए, जिन पर ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ लिखा हुआ था. उन्होंने मारे गए अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर वाली टी-शर्ट भी पहन रखी थी.

मौके पर मौजूद पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के कार्यकर्ताओं ने भी खालिस्तान समर्थक नारे लगाए. उन्होंने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मुद्दा भी उठाया और उनके परिवार के लिए न्याय की मांग की.

ज्ञात हो कि वर्ष 1984 में स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए एक सैन्य अभियान चलाया गया था, जिसे ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ के नाम से जाना जाता है.

‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ की 38वीं बरसी पर अमृतसर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं.

इस मौके पर सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने गुरु ग्रंथ साहिब के उस पवित्र ‘स्वरूप’ को प्रदर्शित किया, जिस पर गोली का निशान है. 1984 में सैन्य कार्रवाई के दौरान गर्भगृह में रखे ‘स्वरूप’ पर एक गोली लगी थी.

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इस मौके पर सिख समुदाय के लिए जारी अपने संदेश में कहा कि सिख प्रचारकों और विद्वानों को सिख धर्म को बढ़ावा देने तथा समृद्ध सिख सिद्धांतों एवं इतिहास के बारे में युवाओं को अवगत कराने के लिए सीमा क्षेत्रों का दौरा करना चाहिए.

अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 38वीं बरसी के दौरान मौजूद अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह एवं अन्य. (फोटो: पीटीआई)

उन्होंने मादक पदार्थों की समस्या से निपटने की जरूरत पर भी जोर दिया, जिससे कई युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है. सिंह ने यह भी कहा कि सिख समुदाय को सिख युवाओं को मार्शल आर्ट्स और हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘आज, हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जो हमें धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर कमजोर कर रही हैं. धार्मिक मोर्चे पर हमें कमजोर करने के लिए पंजाब में ईसाई धर्म का जोरदार प्रचार किया जा रहा है.’

पंजाब में ईसाई धर्म के प्रसार पर चिंता व्यक्त करते हुए अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि राज्य के ग्रामीण हिस्सों में काफी संख्या में चर्च और मस्जिद बनाए जा रहे हैं. उन्होंने सिख प्रचारकों से सिख धर्म को बढ़ावा देने के लिए गांवों का दौरा करने का आग्रह किया.

जत्थेदार ने यहां ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ की 38वीं बरसी के अवसर पर अकाल तख्त के मंच से सिख समुदाय को अपना पारंपरिक संबोधन देते हुए यह भी कहा कि सिख समुदाय को सिख मार्शल आर्ट और अन्य पारंपरिक व आधुनिक हथियारों को चलाने के लिए युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि पुराने सिखों और संतों की तरह सिख धर्म का प्रचार करने के लिए आगे आकर सिख संस्थानों और जत्थेबंदियों (संगठनों) को इससे निपटना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हमें यह समझने की जरूरत है कि अगर हम धार्मिक मोर्चे पर कमजोर हैं, तो हम आर्थिक और सामाजिक मोर्चों पर मजबूत नहीं होंगे और फिर राजनीतिक रूप से भी हम कमजोर होंगे.’

जत्थेदार ने कहा कि सिखों को गुरुओं के समय से राज (संप्रभुता) के दृढ़ संकल्प का आशीर्वाद मिला है, जिसे सिख अब भी अपनी दैनिक ‘अरदास’ में ‘राज करेगा खालसा’ के रूप में दोहराते हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए सिख युवाओं को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करके दुनिया में आगे बढ़ना होगा. साथ ही, सिख समुदाय के लिए विरासत के रूप में प्राप्त सिख मार्शल आर्ट (गतका) में कुशल होना अनिवार्य है.’

उन्होंने कहा कि सिख समुदाय को सिख मार्शल आर्ट और अन्य विरासती हथियारों को चलाने के लिए युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए और आवश्यकतानुसार आधुनिक हथियारों के प्रशिक्षण के वास्ते शूटिंग रेंज भी स्थापित करनी चाहिए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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