पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक: 180 देशों में सबसे नीचे भारत, सरकार ने कहा- पैमाना ‘पक्षपाती’

अमेरिकी संस्थानों द्वारा जारी सूचकांक रिपोर्ट कहती है कि तेज़ी से ख़तरनाक होती वायु गुणवत्ता और बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है. भारत की स्थिति म्यांमार, वियतनाम, बांग्लादेश और पाकिस्तान से बदतर है. भारत सरकार ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए आकलन के पैमाने और तरीकों पर सवाल उठाए हैं.

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A man cleans garbage along the banks of the river Ganges in Kolkata, India, April 9, 2017. REUTERS/Danish Siddiqui
कोलकाता में गंगा नदी का किनारा. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

अमेरिकी संस्थानों द्वारा जारी सूचकांक रिपोर्ट कहती है कि तेज़ी से ख़तरनाक होती वायु गुणवत्ता और बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है. भारत की स्थिति म्यांमार, वियतनाम, बांग्लादेश और पाकिस्तान से बदतर है. भारत सरकार ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए आकलन के पैमाने और तरीकों पर सवाल उठाए हैं.

A man cleans garbage along the banks of the river Ganges in Kolkata, India, April 9, 2017. REUTERS/Danish Siddiqui
कोलकाता में गंगा नदी का किनारा. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: पर्यावरणीय प्रदर्शन के मामले में अमेरिका स्थित संस्थानों के एक सूचकांक में भारत 180 देशों की सूची में सबसे निचले पायदान पर है. हालांकि, भारत सरकार ने इस सूचकांक को पक्षपाती बताकर खारिज कर दिया है.

‘येल सेंटर फॉर एनवायर्मेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा हाल में प्रकाशित 2022 पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) में डेनमार्क सबसे ऊपर है. इसके बाद ब्रिटेन और फिनलैंड को स्थान मिला है. इन देशों को हालिया वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लिए सर्वाधिक अंक मिले.

ईपीआई दुनिया भर में स्थिरता की स्थिति का डेटा-आधारित सार मुहैया कराता है.

ईपीआई 11 श्रेणियों में 40 प्रदर्शन संकेतकों का उपयोग करके 180 देशों को जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन, पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति के आधार पर अंक देता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सबसे कम अंक भारत (18.9), म्यांमार (19.4), वियतनाम (20.1), बांग्लादेश (23.1) और पाकिस्तान (24.6) को मिले हैं. कम अंक पाने वाले अधिकतर वे देश हैं, जिन्होंने स्थिरता पर आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी या जो अशांति और अन्य संकटों से जूझ रहे हैं.’

इसमें कहा गया, ‘तेजी से खतरनाक होती वायु गुणवत्ता और तेजी से बढ़ते ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के साथ भारत पहली बार रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर आ गया है.’

चीन को 28.4 अंकों के साथ 161वां स्थान मिला है. अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि उत्सर्जन वृद्धि दर पर अंकुश लगाने के हालिया वादे के बावजूद, चीन और भारत के 2050 में ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े उत्सर्जक देश बनने का अनुमान है.

अमेरिका को पश्चिम के 22 धनी लोकतांत्रिक देशों में 20वां और समग्र सूची में 43वां स्थान मिला है. ईपीआई रिपोर्ट में कहा गया है कि अपेक्षाकृत कम रैंकिंग अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान पर्यावरण संरक्षण के कदमों से पीछे हटने के कारण है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि डेनमार्क और ब्रिटेन सहित फिलहाल केवल कुछ मुट्ठी भर देश ही 2050 तक ग्रीनहाउस गैस कटौती स्तर तक पहुंचने के लिए तैयार हैं.

इसमें कहा गया है, ‘चीन, भारत और रूस जैसे प्रमुख देशों में तेजी से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ रहा है और कई अन्य देश गलत दिशा में बढ़ रहे हैं.’

रूस इस सूची में 112वें स्थान पर है.

ईपीआई अनुमानों से संकेत मिलता है कि अगर मौजूदा रुझान बरकरार रहा, तो 2050 में 50 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए सिर्फ चार देश – चीन, भारत, अमेरिका और रूस – जिम्मेदार होंगे.

सरकार ने खंडन किया

भारत की इस पर्यावरणीय स्थिति के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने बुधवार को पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक- 2022 को खारिज कर दिया. मंत्रालय ने कहा कि सूचकांक में उपयोग किए गए सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हाल ही में जारी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई) 2022 में कई सूचक निराधार मान्यताओं पर आधारित हैं. प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए कुछ सूचक अनुमानों व अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बुधवार को इन द्विवार्षिक सूचकांक के निष्कर्षों पर एक खंडन जारी किया. जिसमें कहा गया कि ईपीआई 2022 द्वारा उपयोग किए जाने वाले कई संकेतक निराधार मान्यताओं पर आधारित हैं.

मंत्रालय ने कहा है कि वह विश्लेषण और निष्कर्षों को स्वीकार नहीं करता है और प्रदर्शन का आकलन करने के लिए उपयोग किए गए इन संकेतकों में से कुछ अनुमानों और अवैज्ञानिक तरीकों पर आधारित हैं.

बिंदु दर बिंदु विस्तृत खंडन में मंत्रालय ने कहा कि 2022 के ईपीआई में एक नया संकेतक शामिल किया है, 2050 में अनुमानित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन स्तर. इसमें भारत 180 देशों में 171वें पायदान पर है. इसकी गणना पिछले दस सालों में उत्सर्जन में परिवर्तन की औसत दर के आधार पर की जाती है और इसमें नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता व उपयोग की सीमा, अतिरिक्त कार्बन सिंक, ऊर्जा दक्षता की गणना नहीं हुई है. वन और आर्द्रभूमि, महत्वपूर्ण कार्बन सिंक को भी इन उत्सर्जनों की गणना में शामिल नहीं किया है.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि जिन संकेतकों पर भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा था, उनका महत्व कम कर दिया, और बदलाव के कारणों की व्याख्या नहीं की गई. इसने भारत की रैंक गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत 2020 के ईपीआई में 168वें पायदान पर था.

मंत्रालय ने कहा, ‘विभिन्न संकेतकों का महत्व तय करने के लिए कोई विशिष्ट तर्क नहीं अपनाया गया है. ऐसा लगता है कि यह प्रकाशन संस्था की पसंद पर आधारित हैं, जो वैश्विक सूचकांक के लिए उपयुक्त नहीं है.’

बयान में आगे कहा गया है कि कोई भी संकेतक अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता आदि पर बात नहीं करता है. संकेतकों का चयन पक्षपाती और अपूर्ण है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)