असम: वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस ने पीपीई किट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई

आरोप है कि साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी और एक पारिवारिक मित्र के स्वामित्व वाली फर्मों को बाज़ार दरों से ऊपर पीपीई किट की आपूर्ति का ठेका दिया गया था. वाम दलों ने आरोप लगाया कि दो साल पहले कोविड-19 से निपटने के मद्देनज़र चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के ठेके देने के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), असम द्वारा सभी मानदंडों का उल्लंघन किया गया था.

//
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य पीपीई किट पहने हुए, पीपीई किट की आपूर्ति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई और ईडी द्वारा तत्काल जांच की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

आरोप है कि साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी और एक पारिवारिक मित्र के स्वामित्व वाली फर्मों को बाज़ार दरों से ऊपर पीपीई किट की आपूर्ति का ठेका दिया गया था. वाम दलों ने आरोप लगाया कि दो साल पहले कोविड-19 से निपटने के मद्देनज़र चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के ठेके देने के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), असम द्वारा सभी मानदंडों का उल्लंघन किया गया था.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य पीपीई किट पहने हुए, पीपीई किट की आपूर्ति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई और ईडी द्वारा तत्काल जांच की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा की फर्म को स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट के लिए एक ‘तत्काल’ आपूर्ति आदेश प्राप्त करने में ‘द वायर’ और ‘द क्रॉस करंट’ द्वारा जांच ने एक राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है.

असम में विपक्षी वाम दलों भाकपा, माकपा, भाकपा(माले) और आरसीपीआई तथा तृणमूल कांग्रेस ने बीते बुधवार को राज्य में हुए कथित पीपीई किट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई.

आरोप है कि साल 2020 में कोविड महामारी के दौरान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी और एक पारिवारिक मित्र को बाजार दरों से ऊपर पीपीई किट की आपूर्ति का ठेका दिया गया था.

संयुक्त बयान जारी कर वाम दलों ने आरोप लगाया कि दो साल पहले कोविड-19 से निपटने के मद्देनजर चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के ठेके देने के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), असम द्वारा सभी मानदंडों का उल्लंघन किया गया था.

बयान में कहा गया, ‘दो मीडिया संस्थानों- ‘द वायर’ और ‘द क्रॉस करंट’ द्वारा खोजी रिपोर्ट की शृंखला के जरिये खुलासा हुआ कि भारी घोटाले हुए थे. इसलिए, हम तथ्यों को उजागर करने के लिए हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई द्वारा मामले की जांच की मांग करते हैं.’

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए गुवाहाटी स्थित राजभवन तक मार्च निकाला, हालांकि, रास्ते में पुलिस ने उन्हें रोक लिया.

इसके बाद पार्टी ने असम के राज्यपाल जगदीश मुखी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए नेताओं ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री वास्तव में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस में विश्वास करते हैं, तो उन्हें शर्मा और उनके परिवार द्वारा की गई सभी कथित अनियमितताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा निष्पक्ष जांच का आदेश देना चाहिए.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि जब हिमंता बिस्वा शर्मा असम के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रभारी थे, दो मीडिया संगठनों की जांच से पता चला है कि पीपीई किट और अन्य कोविड-19 महामारी संबंधी आपूर्ति के लिए शर्मा की पत्नी और परिवार के व्यावसायिक सहयोगियों के स्वामित्व वाली फर्मों को अनुबंध प्रदान करते समय नियमों का उल्लंघन किया गया था.

इसे एक घोटाला बताते हुए बोरा ने कहा कि शर्मा की पत्नी, जेसीबी इंडस्ट्रीज के स्वामित्व वाली फर्म को बाजार की कीमतों की तुलना में 65 प्रतिशत अधिक दरों पर आपूर्ति के आदेश दिए गए थे.

बोरा ने आगे कहा कि सीबीआई या ईडी द्वारा जांच का आदेश दिए जाने तक कांग्रेस पीपीई किट पहनकर अपना विरोध जारी रखेगी.

राज्य में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष देवव्रत सैकिया ने भी शर्मा को सरकारी सौदों में अपनी पत्नी का पक्ष लेने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि शर्मा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और मंत्रियों के लिए आचार संहिता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है, जिसमें विभाग में उनके मंत्री या मुख्यमंत्री के रूप में प्रभारी होने से एक दिशानिर्देश किसी भी जन-प्रतिनिधि को अपने रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों को लाभ पहुंचाने से रोकता है.

अलग से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए असम जातीय परिषद के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई ने कहा कि शर्मा की पत्नी और उनके करीबी व्यापारिक सहयोगी ऐसे समय में अमीर बन गए, जब पूरी दुनिया एक महामारी के परिणाम भुगत रही थी.

यह कहते हुए कि खरीद आदेशों की उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है, गोगोई ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भेजकर असम में कोविड-19 वस्तुओं की आपूर्ति में अनियमितताओं की केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच की मांग की है.

आम आदमी पार्टी के असम राज्य संयोजक डॉ. भाबेन चौधरी ने रिनिकी भुइयां शर्मा की फर्म आरबीएस रियल्टर्स की भूमि सौदों में संलिप्तता की ‘द वायर’ और ‘द क्रॉस करंट’ की पिछली जांच का जिक्र करते हुए कहा कि भले ही सीएम के परिवार से जुड़े कई कथित घोटाले सामने आए हैं, बाद में खुद को दोषी साबित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

आप ने शर्मा की पत्नी के स्वामित्व वाली फर्म और असम सरकार के बीच सभी लेनदेन की न्यायिक जांच की मांग की है.

शर्मा और उनकी पत्नी ने अनियमितताओं से इनकार किया

इस बीच मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री  हिमंता बिस्वा शर्मा ने पूरे मामले को कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि उनकी पत्नी की फर्म द्वारा पीपीई किट की आपूर्ति एक दान थी.

शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘उस समय (मार्च 2020) जब राज्य के अस्पतालों में एक भी पीपीई किट उपलब्ध नहीं थी, ये पीपीई किट बिना एक पैसा लिए दान किए गए थे. उस समय एक भी कांग्रेस नेता ने कुछ भी दान नहीं किया था, यहां तक ​​कि प्लाज्मा भी, अब किसी के चंदे पर विवाद कैसे हो सकता है?’

शर्मा का बयान उसी पंक्ति में था जैसा कि उनकी पत्नी रिंकी भुइयां शर्मा ने बुधवार को अपने बयान में कहा था.

हालांकि, रायजोर दल के कार्यकारी अध्यक्ष भास्को डी. सैकिया ने शर्मा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि शर्मा की पत्नी की फर्म ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) गतिविधियों के तहत 1,498 पीपीई किट दान की, जब उनकी फर्म आपूर्ति आदेश को पूरा करने में विफल रही.

सैकिया ने एनएचएम द्वारा विभिन्न कंपनियों को उनकी सीएसआर गतिविधियों के लिए भेजे गए तीन पत्रों को भी सार्वजनिक किया और कहा कि इन मामलों में वस्तुओं की दर का उल्लेख नहीं है. एनएचएम ने रिंकी भुइयां शर्मा की जेसीबी इंडस्ट्रीज को लिखे पत्र में पीपीई किट के रेट का साफ जिक्र किया था.

उन्होंने कहा, ‘अगर इस भ्रष्टाचार की गहन जांच की जाए तो कई नए पहलू सामने आएंगे. इसलिए हम इन मामलों की सीबीआई जांच की मांग करते हैं.’

बीते एक जून को प्रकाशित ‘द वायर’ और गुवाहाटी स्थित ‘द क्रॉस करंट’ की एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि असम सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोविड-19 संबंधित चार आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति के ऑर्डर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी और उनके परिवार के व्यापारिक सहयोगी के स्वामित्व वाली तीन फर्मों को दिए थे.

महत्वपूर्ण रूप से जेसीबी इंडस्ट्रीज, जिसमें शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा मालिक हैं, को राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय से तत्काल आपूर्ति आदेश (Order) उस समय मिला था, जब उनके पति हिमंता बिस्वा शर्मा स्वास्थ्य मंत्री थे.

इस कंपनी का चिकित्सा उपकरण और सुरक्षा गियर की आपूर्ति या उत्पादन का कोई इतिहास नहीं था. गुवाहाटी स्थित यह फर्म सैनिटरी नैपकिन का उत्पादन करने के लिए जानी जाती है, लेकिन उसे 5,000 पीपीई किट की आपूर्ति के लिए एक तत्काल कार्य आदेश दिया गया था.

24 मार्च, 2020 की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड 19 महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से कुछ दिन पहले पीपीई किट डिलिवर करने का यह ऑर्डर 18 मार्च, 2020 को जेसीबी इंडस्ट्रीज को दिया गया था.

अधिकांश अन्य राज्यों की तरह भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली असम की राज्य सरकार ने भी प्रधानमंत्री के अचानक लॉकडाउन आदेश के तत्काल बाद में सुरक्षा गियर (जैसे पीपीई किट) और कोविड-19 परीक्षण किट स्टॉक करने के लिए ‘तत्काल आपूर्ति आदेश’ दिया था.

हालांकि, राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के आरटीआई जवाब से पता चलता है कि तब शर्मा के नेतृत्व वाले स्वास्थ्य विभाग ने लॉकडाउन से पहले न केवल उनकी पत्नी की फर्म को बल्कि दो कंपनियों- जीआरडी फार्मास्युटिकल्स और मेडिटाइम हेल्थकेयर को भी ‘तत्काल आपूर्ति’ आदेश दिया था, जो उनके परिवार के व्यापारिक सहयोगी घनश्याम धानुका के स्वामित्व में हैं.

घनश्याम के पिता अशोक धानुका आरबीएस रियल्टर्स (अब वशिष्ठ रियल्टर्स) के निदेशक हैं, जिसमें हिमंता बिस्वा शर्मा के बेटे नंदिल बिस्वा शर्मा वर्तमान में बहुसंख्यक शेयरधारक हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)