भाजपा की अपदस्थ प्रवक्ता नूपुर शर्मा के एक टीवी चैनल की बहस में पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान को लेकर कानपुर में हुई हिंसा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई आलोचना को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने प्रसारकों से कड़ी सतर्कता बरतने का आह्वान करते हुए कहा कि वे ठहरकर सोचें कि कैसे जानबूझकर विभाजनकारी हालात तैयार किए जा रहे हैं.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि वह उन राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के ‘गैर-जिम्मेदाराना रवैये से परेशान है, जो जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं जो कमजोर समुदायों को, उनके और उनकी मान्यताओं के प्रति नफरत फैलाकर निशाना बनाती हैं.’
गिल्ड ने उन्हें (चैनल को) एक पल ठहरकर आलोचनात्मक रूप से इस बात पर विचार करने को कहा कि उन्होंने कानपुर हिंसा के दौरान सिर्फ दर्शकों की संख्या (टीआरपी) और लाभ बढ़ाने के लिए क्या किया है?
ईजीआई ने प्रसारकों और पत्रकार निकायों द्वारा कड़ी सतर्कता बरतने का आह्वान करते हुए कहा कि कानपुर में हिंसा की हालिया घटना और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भाजपा की अपदस्थ प्रवक्ता की टिप्पणी को लेकर हुई अंतरराष्ट्रीय आलोचना ने देश को ‘अनावश्यक शर्मिंदगी’ का कारण बना दिया है.
गिल्ड ने कहा, ‘कानपुर में एक दंगा हुआ और इसके साथ ही कई देशों की अभूतपूर्व तीखी प्रतिक्रिया सामने आई, क्योंकि ये देश सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं की टिप्पणियों से आहत थे.’
इसने आगे कहा कि उन देशों के गुस्से भरे बयानों में मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बारे में सवाल खड़े किए गए हैं.
The Editors Guild of India is disturbed by the irresponsible conduct of some national news channels for deliberately creating circumstances that target vulnerable communities by spewing hatred towards them and their beliefs. pic.twitter.com/V0PBts3JqY
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) June 8, 2022
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद कानपुर के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी, क्योंकि दो समुदायों के सदस्यों ने एक टीवी परिचर्चा के दौरान भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में दुकानों को बंद करने के प्रयासों के तहत पत्थरबाजी की थी और पेट्रोल बम फेंके थे.
संपादकों के निकाय ने कहा, ‘एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया उन राष्ट्रीय समाचार चैनल के गैर-जिम्मेदाराना रवैये से परेशान है, जो जानबूझकर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर रहे हैं जो कमजोर समुदायों को उनके और उनकी मान्यताओं के प्रति नफरत फैलाकर निशाना बनाती हैं.’
ईजीआई ने कहा, ‘इस घटना से देश को अनावश्यक शर्मिंदगी से बचाया जा सकता था, यदि कुछ टीवी चैनल धर्मनिरपेक्षता को लेकर देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ पत्रकारिता की नैतिकता और पीसीआई की ओर से जारी दिशानिर्देशों के प्रति जागरूक होते, जिसे परिषद ने हिंसक सांप्रदायिक स्थिति से निपटने के लिए जारी किया है.’
गिल्ड ने कहा, ‘इसके बजाय, इनमें से कुछ चैनल दर्शकों की संख्या और लाभ बढ़ाने के इच्छुक थे और ‘रेडियो रवांडा’ के मूल्यों से प्रेरित थे, जिसके भड़काऊ प्रसारण इस अफ्रीकी राष्ट्र में नरसंहार का कारण बना था.
संपादकों के निकाय ने कहा, ‘ईजीआई मांग करता है कि ये चैनल (ऐसी चीजों को) विराम दें और विभाजनकारी एवं विषाक्त माहौल को वैध ठहराकर जिस राष्ट्रीय विवाद को बदतर बनाया है, उस पर एक आलोचनात्मक नज़र डालें. इस प्रकार के कृत्यों से दो समुदायों के बीच की खाई न पाटने योग्य बन गई है.’
अंत में इसने कहा, ‘मीडिया संविधान और कानून को मजबूत करने के लिए है, न कि सरासर गैर-जिम्मेदारी और जवाबदेही के अभाव में इसे तोड़ने के लिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)