उत्तर प्रदेश पुलिस ने सहारनपुर में दो संपत्तियों को और कानपुर में एक इमारत को अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया है. इलाहाबाद में भी छात्र कार्यकर्ता आफ़रीन फ़ातिमा के घर को तोड़ने की कार्रवाई हुई है. ये संपत्तियां पैगंबर मोहम्मद को लेकर भाजपा नेताओं द्वारा की गई टिप्पणी के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले आरोपियों और उनसे जुड़े लोगों की थीं.
नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले आरोपियों और उनसे जुड़े लोगों के घरों को उत्तर प्रदेश की सहारनपुर और कानपुर पुलिस ने तोड़ दिया है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सहारनपुर के मामले में पुलिस ने खुद बुलडोजर से घर तोड़े जाने का वीडियो साझा किया है. वीडियो दिखाता है कि नगर निगम का दल बुलडोजर के साथ पुलिस की उपस्थिति में दो आरोपियों के घरों के हिस्से को तोड़ रहा है. दोनों आरोपी शांति और सामाजिक सद्भाव भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिए गए हैं.
सहारनपुर पुलिस ने आरोपी मुजम्मिल और अब्दुल वकीर के घरों के दरवाजों के हिस्से और बाहरी दीवारों को तोड़ दिया. पुलिस ने कहा कि ध्वस्त किए गए घर ‘अवैध निर्माण’ थे.
जिला पुलिस प्रमुख के मुताबिक, सहारनपुर में कुल 64 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
दूसरी ओर कानपुर में पुलिस ने मोहम्मद इश्तियाक से जुड़ी एक संपत्ति को ध्वस्त कर दिया. पुलिस ने कहा कि इश्तियाक 3 जून को कानपुर में हुए हिंसक प्रदर्शनों के मुख्य आरोपी जफर हयात हाशमी से जुड़ा था. विवादित संपत्ति स्वरूपनगर में स्थित थी, जो उस जगह से तीन किलोमीटर दूर है, जहां कानपुर में हिंसा हुई थी.
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) आनंद प्रकाश तिवारी ने जफर हयात का जिक्र करते हुए कहा कि नवनिर्मित इमारत ‘एक स्थानीय नेता से जुड़े भूमाफिया’ से संबंधित थी.
यह दावा करते हुए कि कार्रवाई ‘नियम-कायदों’ के अनुसार की गई थी, तिवारी ने कहा, ‘यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि निवेश (संपत्ति में) हिंसा मामले के मुख्य आरोपी द्वारा किया गया है.’
कार्रवाई को लेकर इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) का कहना है कि यह नियमित प्रक्रिया के तहत की गई कार्रवाई और भू-माफिया के खिलाफ अभियान का हिस्सा है.
एक बयान में प्राधिकरण ने भी कहा कि संपत्ति मोहम्मद इश्तियाक से जुड़ी है और पुलिस व प्रशासन ने भी इस संबंध में सूचित किया है कि इश्तियाक के प्रत्यक्ष संबंध माफिया से हैं, जिसकी जांच की जा रही है.
दर्जी के तौर पर काम करने वाले इश्तियाक के बेटे इफ्तेकार अहमद (45 वर्ष) ने अखबार को बताया कि इश्तियाक का 2018 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो चुका है.
कानपुर विकास प्राधिकरण के सचिव शत्रोहन वैश्य का कहना है कि मामला हाल की घटना (3 जून) से नहीं जुड़ा है. तोड़-फोड़ की कार्रवाई को अप्रैल में मंजूरी मिल गई थी. उसी कड़ी में कार्रवाई की गई है.
इफ्तेकार का कहना है, ‘तोड़ी गई संपत्ति मेरे पिता के नाम है. आरोपी हयात जफर से मेरे संबंध होने के आरोप आधारहीन हैं. अगर आप उन्हें मेरे सामने खड़ा कर दें तो मैं उसे पहचान भी नहीं पाऊंगा.’
उन्होंने कहा कि वे शुक्रवार (3 जून) के प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं थे.
इस बीच, कानपुर विकास प्राधिकरण ने अपने बयान में कहा है कि ध्वस्त की गई संपत्ति को लेकर पूर्व में नोटिस दिया गया था, लेकिन इफ्तेकार कहते हैं कि मुझे सूचित नहीं किया गया था.
इस बीच एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार 10 जून को ज़फर हयात हाशमी को जावेद अहमद खान, मोहम्मद राहिल और सूफियान के साथ 72 घंटों की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
तिवारी ने कहा, ‘अदालती आदेश के अनुसार आरोपियों को शनिवार सुबह पुलिस हिरासत में लिया गया था और वे 14 जून की सुबह तक हिरासत में रहेंगे.’
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि तीन जून की हिंसा के आरोपी निजाम कुरैशी को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया गया है.
उन्होंने बताया कि वह उन 36 आरोपियों में शामिल हैं, जिनके नाम का खुलासा तीन जून को हुई हिंसा के तुरंत बाद थाना प्रभारी (बेकनगंज) नवाब अहमद द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में किया गया था.
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कुरैशी ने एक वॉट्सऐप ग्रुप ‘टीम निजाम कुरैशी’ भी चलाया और इस समूह में कानपुर के समाजवादी पार्टी के तीन विधायक सदस्य थे और यह समूह लोगों को कानून अपने हाथ में लेने के लिए उकसाने के प्रमुख साधनों में से एक था.
अधिकारी ने बताया कि हाशमी के फोन पर 114 से अधिक वॉट्सऐप ग्रुप हैं, जिसमें तीन जून को कानपुर में दुकानें बंद करने के संदेशों पर चर्चा की गई थी और वह कानपुर हिंसा के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक था.
समाजवादी पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष डॉ इमरान ने बताया कि कुरैशी को 22 मई को उनके पार्टी विरोधी रवैये और कार्यक्रमों में दिलचस्पी न लेने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.
उन्होंने कहा कि कुरैशी कानपुर में कुरैशी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था जमीयतुल कुरैशी के प्रमुख हैं और मेरी जानकारी के अनुसार उनकी सभी अपीलें जमीयतुल कुरैशी के बैनर तले की गई थीं.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब तक इस मामले में राज्य भर में 255 लोगों को गिरफ्तार किया है. राज्य के सात जिलों में 11 मामले दर्ज किए गए हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में शुक्रवार 3 जून को भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के खिलाफ दुकान बंद करने को लेकर दो पक्षों में विवाद के बाद हिंसा भड़क गई थी.
नूपुर ने टीवी पर एक बहस के दौरान वह टिप्पणी की थी. चर्चा ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर हो रही थी. बाद में यह भारत के खिलाफ एक कूटनीतिक मुद्दा बन गया, जिसके चलते भाजपा ने शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया.
चार जून को पुलिस ने 1,000 से अधिक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज कीं, जिनमें से 55 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें सभी मुस्लिम हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि राज्य में स्थिति नियंत्रण में है. साथ ही कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की जुर्रत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी.
उन्होंने कहा कि हिंसा में भाग लेने वालों की संपत्ति जब्त कर ली जाएगी और निजी व सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के भुगतान के लिए उन्हें मजबूर किया जाएगा.
इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने कहा है कि पुलिस को ‘असामाजिक तत्वों’ के खिलाफ करने के लिए पहले ही स्वतंत्रता और निर्देश दिए गए थे.
इसी कड़ी में रविवार को इलाहाबाद में भी छात्र कार्यकर्ता आफ़रीन फ़ातिमा के घर को अवैध बताकर प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया.
बीते 10 जून को इलाहाबाद में हुई हिंसा के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे आफरीन के जावेद मोहम्मद को 10 अन्य लोगों के साथ ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया है. जावेद फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं.