पैगंबर पर टिप्पणी: जमीयत ने गिरफ़्तारियों, बुलडोज़र का इस्तेमाल और पुलिस गोलीबारी की निंदा की

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी का विरोध करना मु​सलमानों का संवैधानिक अधिकार है. पुलिस गोलीबारी, बुलडोज़र का इस्तेमाल और ‘अंधाधुंध तरीके से लोगों को गिरफ़्तार करके’ इस अधिकार का हनन करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए ‘शर्म की बात’ है.

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Panvel: Members of Muslim community stage a protest over the controversial remarks by two now-suspended BJP leaders against Prophet Mohammad, after offering Friday prayers at a ground in Muslim Naka, in Old Panvel, Friday, June 10, 2022. (PTI Photo)(PTI06 10 2022 000185B)

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी का विरोध करना मु​सलमानों का संवैधानिक अधिकार है. पुलिस गोलीबारी, बुलडोज़र का इस्तेमाल और ‘अंधाधुंध तरीके से लोगों को गिरफ़्तार करके’ इस अधिकार का हनन करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए ‘शर्म की बात’ है.

बीते 10 जून शुक्रवार को महाराष्ट्र में पनवेल के मुस्लिम नाका स्थित एक मैदान में पैंगबर के खिलाफ​ टिप्पणी के विरोध में जुटे मुस्लिम समुदाय के लोग. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पैगंबर मोहम्मद के ‘अपमान’ का विरोध करने को मुसलमानों का संवैधानिक अधिकार बताते हुए शनिवार को कहा कि पुलिस गोलीबारी, बुलडोजर का इस्तेमाल और ‘अंधाधुंध तरीके से लोगों को गिरफ्तार करके’ इस अधिकार का हनन करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए ‘शर्म की बात’ है.

उल्लेखनीय है कि निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी को लेकर उनकी गिरफ्तारी की मांग पर बीते 10 जून को देश भर के कई शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए थे.

झारखंड की राजधानी रांची में हिंसक प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भी विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था. श्रीनगर में बंद के अलावा दिल्ली और मध्य प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे.

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और सहारनपुर समेत कई जिलों में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भाजपा की निलंबित नेता नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद लोगों ने नारेबाजी और पथराव किया था.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार की हिंसा के संबंध में राज्य के विभिन्न जिलों से 255 लोगों को गिरफ्तार किया है. कानपुर में तीन जून को भड़की हिंसा के एक सप्ताह बाद कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) ने शनिवार को कथित मुख्य आरोपी के एक करीबी सहयोगी के स्वामित्व वाली एक ऊंची इमारत को ध्वस्त कर दिया.

जमीयत के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने एक बयान में कहा कि पैगंबर पर टिप्पणी के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के दौरान ‘पुलिस की ज्यादतियों’ और स्थिति को नियंत्रित करने में उसकी अक्षमता ने ‘आग में घी डालने’ का काम किया.

उन्होंने कहा कि पैगंबर का ‘अपमान’ कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, ‘इसका विरोध करना मुसलमानों और देश के न्यायप्रिय नागरिकों का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है.’

कासमी ने कहा, ‘अंधाधुंध तरीके से लोगों को गिरफ्तारी, पुलिस गोलीबारी और बुलडोजर का इस्तेमाल करके इस अधिकार का हनन करना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के लिए शर्मनाक है.’

उन्होंने कहा कि सरकारों को यह समझना चाहिए कि प्रदर्शनकारी देश के नागरिक हैं और इसलिए उनके साथ ‘विदेशी दुश्मन’ जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए.

बहरहाल, उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रदर्शनों में शरारती तत्व शामिल हो सकते हैं. कासमी ने कहा, ‘इसलिए मैं युवाओं से इस प्रकार के तत्वों से सतर्क रहने और शांतिपूर्ण नजरिया अपनाने की अपील करता हूं.’

कासमी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों को कानूनी मदद मुहैया कराने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.

पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी के लिए भाजपा ने बीते पांच जून को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निलंबित और दिल्ली इकाई के प्रवक्ता नवीन जिंदल को निष्कासित कर दिया था. पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणियों का कतर, ईरान और कुवैत समेत खाड़ी क्षेत्र के महत्वपूर्ण देशों ने विरोध किया है.

इस बीच बीते नौ जून को दिल्ली पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व प्रवक्ताओं- नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संत यति नरसिंहानंद समेत 31 लोगों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित तौर पर सार्वजनिक शांति भंग करने और लोगों को भड़काने वाले संदेश पोस्ट तथा साझा करने के लिए एफआईआर दर्ज की हैं.

विवादों में घिरीं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ बीते 10 जून को बिहार के मुजफ्फरनगर जिले की एक अदालत में अर्जी दी गई है. इसमें कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद का नाम भी सह-आरोपी के रूप में दिया गया है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि शर्मा, जिंदल और नरसिंहानंद के बयान से सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है. नूपुर शर्मा के खिलाफ इस संबंध में महाराष्ट्र के कई थानों में केस भी दर्ज किए गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)