पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को इलाहाबाद में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ़्तार किए गए वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे जावेद मोहम्मद के करेली स्थित मकान को प्रशासन ने अवैध बताते हुए गिरा दिया है. यूपी पुलिस ने जावेद को 10 अन्य लोगों के साथ हिंसा का ‘मुख्य साज़िशकर्ता’ बताया है. वह फिलहाल हिरासत में हैं.
इलाहाबाद: पैगंबर मोहम्मद को लेकर निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के बयानों के विरोध में इलाहाबाद में हुई हिंसा के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप को 10 अन्य लोगों के साथ ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया है.
शहर के अटाला और करेली में बीते 10 जून को हुए पथराव और हिंसा के बाद बीते रविवार को जावेद मोहम्मद के करेली स्थित दो मंजिला घर को इलाहाबाद प्रशासन ने अवैध बताते हुए बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया. ध्वस्तीकरण के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.
जावेद फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं. वह छात्र कार्यकर्ता आफ़रीन फ़ातिमा के पिता हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने बुलडोजर द्वारा मकान तोड़े जाने की कार्रवाई को अवैध बताया है.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह (कार्रवाई) पूरी तरह से अवैध है. भले ही आप एक पल के लिए भी मान लें कि निर्माण अवैध था, हालांकि करोड़ों भारतीय इसी तरह रह रहे हैं, फिर भी आपको यह अनुमति नहीं है कि आप रविवार को एक घर को तब तोड़ दें जब रहने वाले हिरासत में हों. यह तकनीकी मुद्दा नहीं है, बल्कि कानून के शासन पर खड़ा होता एक सवाल है.’
ये टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे माथुर ही थे, जिन्होंने 8 मार्च 2020 को लखनऊ प्रशासन के उस विवादित फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें सीएए विरोध प्रदर्शनों के आरोपियों के शहर भर में ‘नेम एंड शेम’ के पोस्टर चिपका दिए गए थे. अदालत ने सरकार के कदम को गैरकानूनी और आरोपी की निजता के अधिकार का हनन बताया था.
इधर, जिला अधिवक्ता मंच के पांच अधिवक्ताओं की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई पत्र याचिका में दावा किया गया है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने जिस मकान को ध्वस्त किया है, वास्तव में उस मकान के मालिक जावेद नहीं हैं, बल्कि उनकी पत्नी परवीन फातिमा है.
याचिका में बताया गया है कि उक्त मकान को परवीन फातिमा की शादी से पूर्व उनके माता-पिता ने उन्हें उपहार में दिया था. चूंकि जावेद का उस मकान और जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं है, इसलिए उस मकान का ध्वस्तीकरण कानून के मूल सिद्धांत के खिलाफ है.
इसमें यह दावा भी किया गया है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को सही ठहराने के लिए पीडीए ने 11 जून को परवीन फातिमा के मकान पर एक नोटिस चस्पा कर दिया और उसमें पूर्व की तारीख पर कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने का उल्लेख किया गया. यह नोटिस न तो जावेद और न ही उनकी पत्नी परवीन फातिमा को कभी प्राप्त हुआ.
याचिका के मुताबिक, सामाजिक कार्यकर्ता जावेद को 10 जून की रात गिरफ्तार किया गया और 11 जून को खुल्दाबाद थाना में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई .
इस याचिका के साथ परवीन फातिमा के स्वामित्व संबंधी दस्तावेज और 11 जून, 2022 की तारीख को मकान पर चस्पा किए गए ध्वस्तीकरण नोटिस को संलग्न किया गया है.
याचिका दायर करने वाले अधिवक्ताओं में केके राय, मोहम्मद सईद सिद्दीकी, राजवेंद्र सिंह, प्रबल प्रताप, नजमुस्सकिब खान और रवींद्र सिंह शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)