कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- ताजमहल और लाल किला भारतीय संस्कृति की पहचान नहीं, आज़म बोले- ताजमहल, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन सब ध्वस्त कर दो.
संसदीय राजनीति भाषा असंसदीय हो गई है और सोच-समझ मध्ययुग में वापस चली गई है. अभी तक देश के गौरव समझी जाने वाली इमारतों को लेकर तलवारें खिंच गई हैं कि वे भारतीय संस्कृति की पहचान हैं कि नहीं हैं. मुग़ल बादशाहों की विरासत पर महानुभावों में मुंहनोचउवल मची है. या यूं कहें कि ‘न्यू इंडिया’ में मध्ययुग को लेकर मध्ययुगीन अंदाज़ में महाभारत छिड़ गया है.
मुजफ्फरनगर दंगों के राजकुमार और भाजपा विधायक संगीत सोम ने फरमाया कि ताजमहल भारतीय संस्कृति पर कलंक है, इसे गद्दारों ने बनवाया था.
इसके जवाब में एक दूसरे बयानवीर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके फरमाया, ‘दिल्ली में हैदराबाद हाउस को भी ‘गद्दार’ ने ही बनाया था. क्या मोदी विदेशी मेहमानों को यहां आने से रोकेंगे. गद्दारों ने ही लाल किला भी बनवाया था, क्या मोदी वहां तिरंगा फहराना बंद कर देंगे? क्या मोदी और योगी देसी और विदेशी सैलानियों को ताजमहल नहीं जाने के लिए कहेंगे?’
सवाल तो सही है कि यदि ताजमहल और लाल किले को भारतीयता से नहीं जोड़ेंगे तो उनका क्या करेंगे? क्या उन्हें भारतीय मानचित्र और उनके इतिहास को हम मिटा देंगे? क्या होगा, यह तो बाद की बात है. फिलहाल संगीत सोम की ओर से भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उनके विरोध में आजम खान ने मोर्चा संभाल लिया है. आजम खान ने संगीत सोम को यह भी नसीहत दे डाली कि जो गोश्त के कारखाने चलाता हो उसे राय देने का अधिकार नहीं है.
जैसा आज संगीत सोग फरमा रहे हैं, योगी आदित्यनाथ के भी बोल वचन पहले ऐसे ही हुआ करते थे. वे भी ताजमहल को ‘तेजो महालय’ बता चुके हैं. लेकिन इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री पद की मर्यादा रखने की थोड़ी बहुत कोशिश की.
योगी ने कहा, यह मायने नहीं रखता कि ताजमहल को किसने और क्यों बनवाया. ताज भारत माता के सपूतों की खून पसीने से बना है. यह ऐतिहासिक धरोहर पूरी दुनिया में अपने वास्तु के लिए मशहूर है और यह हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है. खासतौर पर पर्यटन की दृष्टि से यह हमारी प्राथमिकता में है.’
लेकिन भाजपा और संघ परिवार का फ्रिंज परिवार अपनी मुख्यधारा के विषय पर प्रमुखता से पिल पड़ा है. भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि आगरा का ताजमहल और दिल्ली का लाल किला भारत की ऐतिहासिक धरोहर और स्थापत्य कला के बेमिसाल नमूने हैं, लेकिन मुगल बादशाह शाहजहां की बनाई दोनों इमारतों को देश की संस्कृति की पहचान नहीं माना जा सकता.
समाजवादी पार्टी के आजम खान भला क्यों पीछे रहते. उन्होंने भी मोर्चा संभालते हुए फरमाया है कि ताजमहल के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन, संसद भवन को भी ध्वस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि वे भी ताजमहल की तरह दासता के प्रतीक हैं.
इतिहास का पहाड़ खोदकर उन्माद की चुहिया निकालने को कुछ लोग गलत लिखे गए इतिहास में सुधार का नाम देते हैं. यह संघ परिवार के कथित फ्रिंज तत्वों की मुख्यधारा की बहस है. वे भारतीय इतिहास से मध्ययुग के 800 साल गायब कर देना चाहते हैं, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. सारी समस्या की जड़ यही है कि विश्वप्रसिद्ध इतिहासों को कैसे बदला जाए. हालांकि, संगीत सोम ने मेरठ में दावा किया है कि ‘हम इतिहास बदल डालेंगे… मैं आपको गारंटी देता हूं.’
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को पत्रकारों से फरमाया कि हम ताजमहल की खूबसूरती और इसकी स्थापत्य कला का सम्मान करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं मानते कि ताजमहल देश के संस्कारों और संस्कृति की प्रतिमूर्ति है. इसी तरह हम लाल किले को भी देश के संस्कारों और संस्कृति की प्रतिमूर्ति नहीं मानते. उन्होंने कहा, ये इमारतें हमारी ऐतिहासिक धरोहर और स्थापत्य कला के शानदार नमूने जरूर हैं.
विजयवर्गीय यहीं नहीं रुके, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों की बिक्री पर उच्चतम न्यायालय के लगाये प्रतिबंध से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, हमारे देश में न्यायपालिका स्वतंत्र है और वह किसी भी मामले में दखल दे सकती है. लेकिन मेरा निजी मत है कि न्यायपालिका को कम से कम तीज-त्योहारों को लेकर जन भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.
विजयवर्गीय ने कहा, ‘ऐसा क्यों होता है कि हमें सूखी होली मनाने की सलाह दी जाती है और दीपावली पर कहा जाता है कि बच्चों के हाथों से फूलझड़ी छीन ली जाए. लेकिन क्या कोई व्यक्ति ऐसे त्योहारों के मामले में पाबंदी की बात कर सकता है जिनमें बड़ी संख्या में बकरे काटे जाते हैं.’
समाजवादी पार्टी के महासचिव आजम खान ने कहा है कि राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और लाल किला जैसे स्मारकों को तोड़ा जाना चाहिए क्योंकि वे भी ताजमहल की तरह दासता के प्रतीक हैं. सपा विधायक की टिप्पणी भाजपा विधायक संगीत सोम के भारत की विरासत में ताजमहल के स्थान पर सवाल उठाने के जवाब में सोमवार रात आई. सोम ने कहा था कि इतिहास से मुगल शासकों को हटाने के लिये इसे फिर से लिखा जाएगा.
खान ने मीडिया से कहा, मेरी हमेशा यह राय रही है कि दासता के सभी प्रतीकों को हटाया जाना चाहिए. क्यों सिर्फ ताजमहल को? क्यों न संसद, राष्ट्रपति भवन, कुतुब मीनार और लालकिला को भी हटाया जाए! ये सब दासता के प्रतीक हैं.
आजम ने कहा कि अगर भाजपा और सोम ताजमहल को भारत की धरोहर स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं तो भाजपा विधायक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ इस स्मारक को ध्वस्त करने के लिए आगे आना चाहिए.
उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने भी अपने अखाड़े में मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय धरोहरों को क्यों गिराया जाएगा. देश की जो विरासत है, उसको रखा जाएगा.’
लेकिन ताजमहल और मुगल शासकों को लेकन संगीत सोम के बयान पर लक्ष्मी नारायण ने कहा कि ‘वह किसी की व्यक्तिगत राय हो सकती है. पर देश को जिसने भी नुकसान पहुंचाया उसको इतिहास में क्यों रखा जाएगा. जो हमारी महान विभूतियां इतिहास में नहीं हैं उनको जगह दी जाएगी.’
इस विवाद की शुरुआत वहां से हुई जब मीडिया में आई कुछ खबरों में कहा गया कि योगी सरकार ने राज्य पर्यटन विभाग की पुस्तिका से ताजमहल का नाम पर्यटन क्षेत्रों की सूची से कथित रूप से हटा दिया है.
इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान जारी कर कहा था कि 370 करोड़ रुपये की पर्यटन परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिसमें से 156 करोड़ रुपये की परियोजनाएं आगरा और ताजमहल के आसपास के सौंदर्यीकरण के लिए है. आज योगी ने यह भी कहा है कि वे 26 अक्टूबर को आगरा जाएंगे और पर्यटन परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे.
लेकिन भाजपा के मंत्रियों से लेकर फ्रिंज तत्वों तक, नेताओं से प्रवक्ताओं तक ने जैसा मोर्चा संभाला है, वह अद्भुत है. अब सवाल यह है कि बड़ी बड़ी ऐतिहासिक इमारतों का ये लोग क्या करेंगे? क्या 70 बरस से भारत की आजादी की गवाह रहती आई लाल किले की प्राचीर इस बार अपने बुर्ज पर तिरंगा फहराने से इनकार कर देगी? या फिर प्रधानमंत्री मोदी लाल किले की प्राचीर पर चढ़ने से इनकार कर देंगे? अगर यह नहीं होना है तो यह महाभारत क्यों ठनी है?
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)