न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने इस सप्ताह की शुरुआत में दिए गए चार आदेशों में ज़ी न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, इंडिया टीवी, आज तक और न्यूज़18 के दिल्ली दंगों, किसान आंदोलन, मुस्लिम आबादी और ‘थूक जिहाद’ संबंधी प्रसारणों को ग़लत बताते हुए इनके वीडियो हटाने का निर्देश दिया है.
नई दिल्ली: न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने सोमवार, 13 जून को मीडिया प्रसारणों से संबंधित चार आदेश जारी किए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, जिनमें ज़ी न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, इंडिया टीवी, आज तक और न्यूज़18 के कुछ प्रसारणों को गलत जानकारी देने और तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के चलते तुरंत हटाने का निर्देश दिया गया.
पूर्व में न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) के रूप में जाना जाने वाला एनबीडीएसए निजी टीवी चैनलों का एक स्व-नियामक निकाय है, जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी है. एनबीडीएसए का गठन प्रसारण के बारे में शिकायतों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए बनाया गया था और इसके आदेश उन सभी चैनलों पर लागू होते हैं जो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) के सदस्य हैं.
मीडिया निकाय ने पहले ज़ी न्यूज़ के खिलाफ आदेश जारी किया था, जिसमें एक वीडियो को हटाने का निर्देश दिया गया था, जिसमें जो किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, उन्हें ‘खालिस्तानी’ कहा गया था. एनबीडीएसए द्वारा जारी आदेशों की पूरी सूची यहां देखी जा सकती है.
उमर खालिद का ‘मीडिया ट्रायल’
30 नवंबर, 2020 को अधिवक्ता इंद्रजीत घोरपड़े द्वारा दायर पहली याचिका दिल्ली दंगों के मामले में उमर खालिद के खिलाफ कथित मीडिया ट्रायल पर ज़ी न्यूज़, ज़ी हिंदुस्तान, इंडिया टीवी और आज तक के कुछ प्रसारणों के खिलाफ थी. एनबीडीएसए ने ब्रॉडकास्टरों को आदेश प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर वेबसाइट और यूट्यूब, साथ ही अन्य लिंक्स से भी संबंधित शो को हटाने का निर्देश दिया.
अपने 13 जून के फैसले में, एनबीडीएसए ने कहा, ‘मीडिया को जनहित से संबंधित किसी भी विषय पर रिपोर्ट करने की स्वतंत्रता है. यह सच है कि दिल्ली में दंगे हुए थे. यह भी एक तथ्य है कि उमर खालिद को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और पुलिस ने आरोप पत्र दायर कर यह आरोप लगाया है कि इन दंगों के पीछे उमर खालिद ही मास्टरमाइंड था… हालांकि, इस स्तर पर एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि क्या मीडिया के पास अधिकार है कि वह पुलिस रिपोर्ट को अंतिम सच मान ले और उसके आधार पर कार्यक्रमों में चर्चा करे जैसे मानो कि उमर खालिद के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप साबित हो गया है? जाहिर है, इसकी अनुमति नहीं है…’
निकाय ने कहा कि अगर मीडिया इस आधार पर आगे बढ़ता है कि मामले की जांच खालिद के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त है, तो यह मीडिया द्वारा मुकदमा चलाने और किसी व्यक्ति को उन आरोपों, जो कानून की अदालत में भले ही अभी तक साबित न हुए हों, का दोषी ठहराने के बराबर होगा.’
गौरतलब है कि पैनल की चर्चाएं खालिद के खिलाफ पुलिस के आरोपों तक ही सीमित होनी चाहिए थीं, जो कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा प्रदत्त पत्रकारिता की स्वतंत्रता के तहत स्वीकार्य होता.
लेकिन क्योंकि मीडिया ने इस रेखा को पार कर लिया, एनबीडीएसए ने उक्त चैनलों के ‘प्रसारण के दौरान प्रसारित सनसनीखेज टैगलाइन और टिकर (स्क्रीन पर नीचे दिखने वाली पट्टी) पर गंभीर आपत्ति जताई, जहां ‘उमर खालिद दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड’, ‘उमर खालिद ने दिल्ली दंगों की साजिश रची’, ‘उसने दिल्ली को जला दिया’, वह कॉमरेड नहीं है, वह दंगाई है’, ‘उमर खालिद और शरजील इमाम सबसे बड़े मास्टरमाइंड’, ‘शरजील-उमर ने हिंसा भड़काई’…’ जैसे वाक्य लिखे गए थे, जिन्होंने ऐसा दिखाया कि ‘आरोपी को पहले ही दोषी घोषित किया जा चुका है’.
एनबीडीएसए ने कहा कि जब इन कार्यक्रमों को उनकी संपूर्णता में देखा जाता है, तो ‘प्रसारक इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि ये टैगलाइन जनता के बीच एक निश्चित धारणा पैदा करते हैं.’ संस्था ने कहा कि इन टैगलाइन या हैशटैग का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए, खासकर विवादास्पद मामलों में.
NBDSA order against news ch… by The Wire
एनबीडीएसए ने कहा, ‘उपरोक्त के मद्देनजर, इन प्रसारकों/चैनलों को संयम बरतने और ऐसी टैगलाइन और/या हैशटैग प्रसारित न करने की सलाह दी जाती है, जो आरोपी को इस तरह से पेश करते हैं जैसे कि वह दोषी है.’
वेब से जिन पांच वीडियो को हटाने के लिए कहा गया है, वे हैं: ज़ी हिंदुस्तान पर ‘दिल्ली दंगों को लेकर बड़ा खुलासा: उमर खालिद, शरजील इमाम की साजिश’; ज़ी न्यूज़ का ‘ताल ठोंक के (विशेष एडिशन): 2016 के जेएनयू प्लान से 2020 में दिल्ली दंगे?’; इंडिया टीवी का ‘कैसे भड़काऊ मुद्दों पर शरजील इमाम और उमर खालिद ने जामिया, शाहीन बाग और अलीगढ़ में में हिंसा की योजना बनाई; ‘दिल्ली दंगे: उमर खालिद, शरजील इमाम के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल. पांचवां वीडियो फिलहाल यूट्यूब पर उपलब्ध नहीं है.
मुस्लिम आबादी पर बहस
इसके अलावा, मीडिया निकाय ने 13 जून को ज़ी न्यूज़ को एक अन्य शो को हटाने का भी निर्देश दिया, जिसे पिछले साल मुस्लिम आबादी के मुद्दे पर ‘कुदरत बहाना है, मुस्लिम आबादी बढ़ाना है?’ शीर्षक से प्रसारित किया गया था.
यह याचिका घोरपड़े के साथ पत्रकार और ट्रांसपेरेंसी के लिए काम करने वाले अधिवक्ता सौरव दास और सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस के साथ 26 जून, 2021 को दायर की थी.
Last year, @cjpindia , @OfficialSauravD and me had filed this case against Zee’s never-ending Islamophobia. Today, NBDSA delivered a slap on the wrist penalty that barely undoes the damage that this show has caused. https://t.co/i0KIGiDgC6
— Jeet (@jeetxg) June 14, 2022
लाइव लॉ के अनुसार, एनबीडीएसए ने कहा कि कार्यक्रम का शीर्षक ‘बिना किसी डेटा या इसके समर्थन में पर्याप्त सामग्री के बिना’ प्रसारित किया गया था और सुनवाई के दौरान चैनल शीर्षक में बताए कथन को सही नहीं ठहरा सका.
इसने आगे जिक्र किया गया है कि चैनल में बहस के दौरान दिखाए गए टैगलाइन जैसे- ‘निज़ाम-ए-कुदरत या हिंदुस्तान पर आफ़त?’; ‘कुदरत बहाना है, मुस्लिम आबादी बढ़ाना है?’; ‘हम दो हमारे दो पर मजहबी रुकावट क्यों?’; ‘यूपी में चुनाव, इसलिए आबादी पर तनाव?’, बिना किसी सहायक डेटा या तथ्यों के इस्तेमाल किए गए थे.
एनबीडीएसए ने कहा कि इन टैगलाइन ने यह धारणा बनाई कि देश में जनसंख्या वृद्धि के लिए केवल एक ही समुदाय जिम्मेदार है. इसलिए, यह स्पष्ट किया गया कि यदि कार्यक्रम प्राधिकरण द्वारा जारी आचार संहिता और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है, तो बहस सहित किसी भी कार्यक्रम में ‘डिस्क्लेमर’ जोड़ देने भर से प्रसारक (ब्रॉडकास्टर) अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाता है.
NBDSA order against Zee New… by The Wire
किसान आंदोलन
एनबीडीएसए ने 13 जून को ही ज़ी न्यूज़, न्यूज़18 मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ और न्यूज़18 राजस्थान के खिलाफ एक वीडियो स्निपेट पर एक और आदेश जारी किया, जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत को कहते दिखाया गया था कि ‘अगला टारगेट मीडिया हाउस हैं.’ चैनलों ने वीडियो प्रसारित करते हुए आरोप लगाया था कि टिकैत ने मीडिया को किसानों का समर्थन न करने पर उन्हें बर्बाद करने की धमकी दी थी.
हालांकि, यह किसान नेता का पूरा बयान नहीं था. उन्होंने आगे कहा था, ‘आप को बचना है तो साथ दे दो, वरना आप भी गए.’
यह याचिका अधिवक्ता घोरपड़े ने 30 सितंबर 2021 को दायर की थी.
एनबीडीएसए ने कहा, ‘चूंकि प्रसारकों ने (टिकैट के) पूरे बयान की रिपोर्ट नहीं की, इसलिए टेलीकास्ट को मिसरिपोर्टेड यानी गलत तरीके से पेश माना जाएगा गया.’
प्रसारकों को भविष्य में उपरोक्त उल्लंघनों को न दोहराने के लिए चेतावनी देते हुए निकाय ने निर्देश दिया कि उक्त प्रसारण का वीडियो, यदि अभी भी वेब पर उपलब्ध है, तो आदेश प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर उसे तुरंत हटा दिया जाए.
NBDSA order against news ch… by The Wire
‘थूक जिहाद’
एक अन्य आदेश में, एनबीडीएसए ने न्यूज़ 18 इंडिया को 2021 में प्रसारित हुआ एक शो हटाने का निर्देश दिया, जिसे चैनल ने ‘थूक जिहाद’ कहते हुए पेश किया था. निकाय ने इसे यह कहते हुए कि यह ‘एक विशेष समुदाय को निशाना बनाना है’ इसे पिछले साल नवंबर में चैनल के संपादक अमन चोपड़ा ने एक बहस का आयोजन किया था, जिसका शीर्षक था ‘खाने में थूकना, जिहाद या जहालत?’
निकाय के इसे लेकर दिए आदेश में कहा गया है, ‘एनबीडीएसए ने प्रसारित प्रसारण में प्रसारक द्वारा रचे जा रहे नैरेटिव, जो सनसनीखेज और दुर्भावनापूर्ण है और जो धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है, सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का सकता है, पर कड़ी आपत्ति जताई है.
निकाय द्वारा चैनल को यह वीडियो को हटाने का आदेश दिया गया.