राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत पर आरोप है कि 2007-09 के बीच किसानों के लिए पोटाश म्यूरेट का निर्यात दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और अन्य बाज़ारों में ‘औद्योगिक सॉल्ट’ के रूप में किया गया था, जबकि यह निर्यात के लिए प्रतिबंधित है. छापेमारी पर कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ को लेकर दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शनों में अग्रिम भूमिका निभाई थी जिस कारण सरकार ने यह क़दम उठाया है.
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने किसानों के लिए खाद के निर्यात और इस पर मिलने वाली सब्सिडी में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के जोधपुर स्थित आवास पर शुक्रवार को छापेमारी की, अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी.
अधिकारियों के अनुसार 2007-09 के कथित घोटाले को लेकर गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 16 अन्य स्थानों पर भी छापेमारी की गई, जो मामले के अन्य आरोपियों से संबंधित हैं.
उन्होंने बताया कि एजेंसी ने इंडिया पोटाश लिमिटेड के अधिकृत डीलर अग्रसेन गहलोत और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने के बाद अभियान शुरू किया.
आरोप है कि 2007-09 के बीच किसानों के लिए पोटाश म्यूरेट का निर्यात दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, सऊदी अरब और अन्य बाजारों में ‘औद्योगिक सॉल्ट’ के रूप में किया गया था.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि खाद पर सरकारी सब्सिडी भी संबंधित कंपनियों के बीच फर्जी लेन-देन के माध्यम से आरोपियों को मिले थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि अग्रसेन, जो एक व्यवसायी हैं, पर कुछ सरकारी अधिकारियों सहित अन्य लोगों के साथ कथित भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है. अग्रसेन पहले से ही 2007-09 के दौरान उर्वरकों के कथित डायवर्जन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच का सामना कर रहे हैं.
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई का ताजा मामला ईडी द्वारा जांचे जा रहे मामले से अलग है.
राजस्थान में जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के बीच जहां पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की थी, ईडी ने उर्वरक डायवर्जन मामले में अग्रसेन के परिसरों में छापा मारा था.
22 जुलाई, 2020 को ईडी ने मामले के सिलसिले में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात और दिल्ली में 13 जगहों पर छापेमारी की थी. परिसर में अग्रसेन गहलोत और उनकी कंपनी अनुपम कृषि से जुड़े लोग शामिल थे.
कथित घोटाला पोटाश म्यूरेट से संबंधित है, जिसे इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) द्वारा आयात किया जाता है और कंपनियों के माध्यम से किसानों को रियायती दरों पर वितरित किया जाता है. इंडियन पोटाश लिमिटेड पूरे देश में पोटाश के आयात-प्रबंधन, प्रचार और विपणन से संबंधित है.
अधिकारियों के अनुसार, 2007 और 2009 के बीच अग्रसेन गहलोत, जो इंडियन पोटाश लिमिटेड के अधिकृत डीलर थे, ने रियायती दरों पर पोटाश म्यूरेट खरीदा और इसे कुछ कंपनियों को बेच दिया, जो इसे औद्योगिक सॉल्ट की आड़ में मलेशिया और सिंगापुर को निर्यात करते थे. पोटाश म्यूरेट उन वस्तुओं की सूची में है जिन्हें निर्यात के लिए प्रतिबंधित किया गया है. राजस्व खुफिया निदेशालय ने 2012-13 में घोटाले का खुलासा किया था.
सूत्रों ने बताया कि सिरोही के मेसर्स रामदेव केमिकल्स एंड मेसर्स संदीप सप्लायर्स के शांतिलाल माली ने अग्रसेन गहलोत के अनुपम कृषि, जोधपुर से पोटाश म्यूरेट खरीदा था, जो इंडियन पोटाश लिमिटेड का अधिकृत डीलर था.
अनुपम कृषि से पोटाश म्यूरेट प्राप्त करने के बाद कंपनियों ने कथित तौर पर राजस्थान के फलोदी में कोलकाता स्थित मेसर्स क्लासिक सेल्स एजेंसी और मेसर्स अशोका साल्ट रिफाइनरी इंडस्ट्रीज से फेल्डस्पार पाउडर और सॉल्ट के नकली बिलों की व्यवस्था की. तब पोटाश म्यूरेट को फेल्डस्पार पाउडर या नमक के रूप में छिपाया गया और निर्यात किया गया. यह उन किसानों तक कभी नहीं पहुंचा, जिनके लिए यह था.
ईडी के सूत्रों ने कहा कि गहलोत और उनकी कंपनी पर अंततः मामले के सिलसिले में 60 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया.
इसने आरोप लगाया है कि इस मामले में करीब 130 करोड़ रुपये मूल्य के 35,000 मीट्रिक टन से अधिक पोटाश म्यूरेट को डायवर्ट किया गया था.
केंद्रीय एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज करने का फैसला तब किया जब सीमा शुल्क विभाग ने पिछले साल 13 जुलाई को इस मामले में चार्जशीट दायर की थी, जिस दिन आयकर विभाग ने राजस्थान के तीन व्यापारिक समूहों पर छापा मारा था, जो राज्य के मुख्यमंत्री के करीबी बताए जाते हैं.
गहलोत और पायलट के बीच सियासी घमासान के बीच छापेमारी की गई थी.
कांग्रेस ने छापेमारी को प्रतिशोध की राजनीति करार दिया
कांग्रेस ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के आवास पर सीबीआई की छापेमारी को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह प्रतिशोध की राजनीति है.
पार्टी महासचिव और मुख्य प्रवक्ता जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ को लेकर दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शनों में अग्रिम भूमिका निभाई थी, जिस कारण सरकार ने छापेमारी का यह कदम उठाया है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘यह पूरी तरह से प्रतिशोध की राजनीति है. अशोक गहलोत दिल्ली में तीन दिनों तक हुए विरोध प्रदर्शन में अग्रिम पंक्ति में थे और इसी को लेकर मोदी सरकार की यह निर्लज्ज प्रतिक्रिया आई है.’
रमेश ने जोर दिया, ‘हम खामोश नहीं होंगे.’
This is vendetta politics beyond all bounds. @ashokgehlot51 was at the forefront of the protests in Delhi over the past three days, and this is Modi Govt’s brazen response! We will not be silenced! pic.twitter.com/Wbzo9lnAp0
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 17, 2022
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, ‘भाजपा द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किए जाने के खिलाफ हुए कांग्रेस के शांतिपूर्ण प्रदर्शन में अशोक गहलोत जी अग्रिम मोर्चे पर रहे हैं. इसमें कोई हैरानी नहीं है कि मोदी सरकार ने अब उनके भाई अग्रसेन गहलोत के आवास पर सीबीआई को छापा मारने के लिए भेज दिया.’
Shri @ashokgehlot51 has been at the forefront of @INCIndia's peaceful protest against BJP’s misuse of state machinery. It comes as no surprise, Modi govt has now sent in CBI to raid his brother Agrasen Gehlot’s residence in Jodhpur.Nobody can do vendetta politics better than BJP
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) June 17, 2022
उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘प्रतिशोध की राजनीति भाजपा से बेहतर कोई नहीं कर सकता.’
मुख्यमंत्री गहलोत ने जयपुर हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘मैं अगर दिल्ली में सक्रिय हूं या मैंने राहुल गांधी के आंदोलन में भाग लिया तो इसका बदला मेरे भाई से क्यों लिया जाता है? यहां हमारी सरकार पर संकट साल 2020 में भी आया, तब भी भाई के यहां ईडी की छापेमारी हुई थी.’
उन्होंने कहा कि इसे उचित नहीं कहा जा सकता और इससे वह घबराने वाले नहीं हैं.
मालूम हो कि हाल ही में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ की थी.
उसके विरोध में कांग्रेस का लगभग पूरा शीर्ष नेतृत्व, पार्टी के दो मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और भूपेश बघेल तथा उसके लोकसभा एवं राज्यसभा सांसदों ने कांग्रेस मुख्यालय से लेकर ईडी कार्यालय तक तख्तियां लिए और नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)