रांची हिंसा में मारे गए नाबालिग ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 66.6 प्रतिशत अंक हासिल किए

निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा के दौरान 20 वर्षीय मोहम्मद साहिल और 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम की गोली लगने से मौत हो गई थी. 

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा के दौरान 20 वर्षीय मोहम्मद साहिल और 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम की गोली लगने से मौत हो गई थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

रांची: रांची में हुई हिंसा में मारे गए मुदस्सिर आलम ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 66.6 प्रतिशत अंक हासिल किए है. परीक्षा के नतीजे बीते मंगलवार को घोषित किए गए.

16 वर्षीय आलम उन दो लोगों में शामिल थे, जो पैगंबर मोहम्मद के बारे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ शहर में हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए थे.

झारखंड शिक्षा परिषद (जेएसी) द्वारा घोषित परिणामों के अनुसार, मुदस्सिर आलम रांची के पुंदाग में लिटिल एंजल्स हाई स्कूल चारघरवा के छात्र थे, उन्होंने 500 में से 333 अंक हासिल किए हैं.

आलम को अंग्रेज़ी में 71, हिंदी में 64, उर्दू में 70, विज्ञान में 60, सामाजिक अध्ययन में 68 और गणित में 53 अंक मिले हैं.

बेटे का परिणाम जानने के बाद आलम की मां निकहत परवीन फूट-फूट कर रो पड़ीं. परवीन ने बताया, ‘मेरा बेटा प्रथम श्रेणी में पास हुआ, लेकिन वह मारा गया.’

आलम के चाचा शाहिद अयूबी ने कहा कि वह पढ़ाई में अच्छा था. अयूबी ने कहा, ‘हम उसके लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद कर रहे थे. वह परिवार का इकलौता बेटा था.’

मुदस्सिर को 10 जून को गोली मार दी गई थी. उन्हें शहर के रिम्स अस्पताल ले जाया गया, जहां रात में उन्होंने दम तोड़ दिया था. उसी रात हिंसा के दौरान गोली लगने से घायल 20 वर्षीय मोहम्मद साहिल की भी मौत हो गई थी.

साहिल ने 12वीं तक पढ़ाई की थी और एक मोबाइल की दुकान में काम करते थे. मुदस्सिर के पिता फल विक्रेता हैं, जबकि साहिल के पिता ऑटो चलाते हैं.

इससे पहले द वायर  ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि मुदस्सिर आलम के परिजनों का आरोप है कि हिंसा के 10 दिन बाद भी पुलिस ने अब तक उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की है. उनका आरोप है कि पुलिस एफआईआर न लिखकर हत्यारों को बचा रही है.

मुदस्सिर के चाचा अयूबी ने कहा, ‘सरकार अपनी पुलिस, अपने प्रशासन और खुद को बचाने की कोशिश कर रही है.’

उन्होंने बताया कि जो आवेदन परिवार ने पुलिस को दिया था, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके खिलाफ परिवार रांची हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगा.

परिवार का दावा है कि 10 जून की हिंसा के दौरान कथित तौर पर गोली चलाने वाले भैरों सिंह द्वारा उनके खिलाफ एक काउंटर शिकायत दर्ज करा दी गई है.

द वायर  ने मुदस्सिर के परिवार द्वारा दर्ज शिकायत के विवरण पर पहले भी रिपोर्ट की थी और इसमें तीन लोगों के नाम हैं, भैरों सिंह, शशि शरद करण, सोनू सिंह और अन्य. परिवार ने इन पर मंदिर की छत से गोली चलाने के आरोप लगाए थे.

शिकायत में कहा गया है कि गोलीबारी के बाद मुस्लिम पक्ष ने भी पथराव शुरू कर दिया.

पिता की ओर से की गई ​शिकायत में आगे कहा गया है, ‘वहीं से अराजकता फैल गई, भगदड़ का माहौल बन गया था. ऐसे हालात में वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुस्लिम पक्ष की ओर निशाना साधते हुए एके-47 और पिस्तौल से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. एक तरफ मंदिर की छत और दूसरी तरफ सड़क पर मौजूद पुलिसकर्मियों द्वारा लगातार गोलीबारी के चलते मची भगदड़ में एक गोली मेरे बेटे के सिर में लग गई और वह खून से लथपथ सड़क पर गिर पड़ा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)