असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को बताया कि मई 2021 में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के कार्यभार संभालने के बाद 13 महीनों में पूरे राज्य में पुलिस कार्रवाई या मुठभेड़ की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई और 139 अन्य घायल हो गए. हाईकोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें अदालत की निगरानी में किसी स्वतंत्र एजेंसी से मुठभेड़ों की जांच कराने का अनुरोध किया गया है.
गुवाहाटी: असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को सूचित किया है कि मई 2021 में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के कार्यभार संभालने के बाद 13 महीनों में पूरे राज्य में पुलिस कार्रवाई की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई और 139 अन्य लोगों के घायल होने का मामला सामने आया है.
अदालत द्वारा मांगे गए हलफनामे में राज्य सरकार ने यह जानकारी दी. अदालत ने घटनाओं से संबंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को 29 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.
गृह और राजनीतिक विभाग के संयुक्त सचिव अनिमेष तालुकदार ने हलफनामे में कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, मई 2021 से 21 मई 2022 तक पुलिस कार्रवाई या पुलिस हिरासत के दौरान 51 लोगों की मौत हुई और 139 लोग घायल हुए.
उन्होंने कहा कि ये घटनाएं राज्य के 31 जिलों से संबंधित हैं.
हलफनामे में कहा गया है, ‘असम के 31 जिलों में मई 2021 से 31 मई 2022 तक कुल 161 मामले दर्ज किए गए हैं.’
इसमें यह भी कहा गया है कि सभी मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप जांच की गई है.
असम सरकार ने जनहित याचिका के याचिकाकर्ता, वकील आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर के आरोपों से इनकार किया कि पुलिस गोलीबारी की प्रत्येक घटना की अलग-अलग एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
याचिकाकर्ता ने अदालत की निगरानी में किसी स्वतंत्र एजेंसी से मुठभेड़ों की जांच कराने का अनुरोध किया है.
गौरतलब है कि वकील आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर ने पिछले साल हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से हुई कई मुठभेड़ों को लेकर असम पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराई थी.
मानवाधिकार आयोग को दी अपनी शिकायत में कहा गया था कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ों में छोटे अपराधियों को गोली मारी है. इस तरह के मुठभेड़ों का कारण यह बताया गया है कि उन्होंने हथियार छीनकर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की थी.
जवादर ने दावा किया था कि हाल में ऐसी 20 से अधिक मुठभेड़ हुई हैं. उन्होंने शिकायत में कहा था कि सभी कथित अपराधी ड्रग डीलर, पशु तस्कर, डकैत जैसे छोटे किस्म के अपराधी थे, आतंकवादी नहीं थे. इनके हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित होने की संभावना भी नहीं थी.
उन्होंने कहा था कि उनमें से कुछ की मौके पर ही मौत हो गई, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
बता दें कि हिमंता बिस्वा शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद असम पुलिस ने ड्रग तस्करों और मवेशी चोरों/तस्करों और अपराधियों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया था. उन्होंने विशेष रूप से ड्रग्स के खिलाफ एक ऑपरेशन शुरू किया था.
राज्य में मई 2021 के बाद कई संदिग्ध उग्रवादी और अपराधी मुठभेड़ में मारे गए थे, क्योंकि कथित तौर पर उन्होंने हिरासत से भागने का प्रयास किया, वहीं बलात्कार के आरोपियों और पशु तस्करों सहित कई अन्य मुठभेड़ में जख्मी हुए थे.
पिछले साल छह जुलाई को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पदभार संभालने के बाद हुईं कई मुठभेड़ों को उचित ठहराते हुए कहा था कि अपराधी अगर भागने का प्रयास करते हैं या गोलीबारी करने के लिए पुलिस से हथियार छीनते हैं तो मुठभेड़ पैटर्न होना चाहिए.
शर्मा ने कहा था, ‘जब कोई मुझसे पूछता है कि क्या राज्य में मुठभेड़ का पैटर्न बन गया है तो मैंने कहा कि अगर अपराधी पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास करता है तो (मुठभेड़) पैटर्न होना चाहिए.’
शर्मा ने कहा कि आरोपी या अपराधी पहले गोली चलाते हैं या भागने का प्रयास करते हैं तो कानून में पुलिस को गोली चलाने की अनुमति है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)