कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी

कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को जम्मू में राहत और पुनर्वास आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ख़ून, बच्चों को अनाथ होने और पत्नियों को विधवा करने की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. एकमात्र समाधान घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित करना है.

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कश्मीर में तैनात कर्मचारियों का उन्हें जम्मू भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को जम्मू में राहत और पुनर्वास आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ख़ून, बच्चों को अनाथ होने और पत्नियों को विधवा करने की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. एकमात्र समाधान घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित करना है.

कश्मीर में तैनात कर्मचारियों का उन्हें जम्मू भेजे जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू: बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से स्थानांतरित किए जाने की मांग को लेकर बुधवार को जम्मू में राहत और पुनर्वास आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया.

कर्मचारी कश्मीर में अपने कुछ सहयोगियों की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के बाद एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

विरोध करने वाले कर्मचारियों में से एक आशीष ने कहा, ‘हमारे खून की कीमत, बच्चों को अनाथ और पत्नियों को विधवा करने की कीमत पर हमारा पुनर्वास न करें. एकमात्र समाधान घाटी के बाहर कहीं भी स्थानांतरित करना है.’

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों से मिलने पहुंचे राहत आयुक्त एके पंडित ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर विचार कर रही है. पंडित ने यह भी कहा कि सरकार कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है.

2008 में घोषित प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत चुने जाने के बाद से लगभग 4,000 कश्मीरी पंडित घाटी में विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं.

घाटी में अल्पसंख्यकों की लगातार हो रही हत्या के विरोध में कश्मीरी पंडितों का प्रदर्शन लगातार जारी है. इस क्रम में बीते 19 जून को हुए प्रदर्शन के दौरान कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार उन्हें घाटी से बाहर बसाने में विफल रहती है तो वे शरण लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से अपील करेंगे.

बता दें कि बीते 12 मई को मध्य कश्मीर के बडगाम में आतंकवादियों द्वारा राजस्व विभाग के कर्मचारी कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की उनके कार्यालय के अंदर हत्या करने के बाद से कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है.

कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक अल्पसंख्यक समुदाय के पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और सरपंचों सहित कम से कम 16 हत्याएं (Targeted Killings) हुई हैं.

बीते 31 मई को कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल की शिक्षक रजनी बाला की दक्षिण कश्मीर के आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वह सांबा जिले की निवासी थीं.

25 मई को बडगाम जिले के चदूरा में ही 35 वर्षीय कश्मीरी टीवी अभिनेत्री अमरीन भट की उनके घर के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

इससे पहले दो जून को कुलगाम के इलाकाई देहाती बैंक के कर्मचारी विजय कुमार को आतंकियों ने गोली मार दी थी और इसी शाम बडगाम में दो प्रवासी मजदूर आतंकियों की गोली का निशाना बने.

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा लगातार नागरिकों और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)