राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण ख़तरनाक स्तर पर, बदरपुर बिजली संयंत्र बंद, डीजल जेनरेटर पर लगा प्रतिबंधित, सैकड़ों ईंट-भट्ठे बंद करने का आदेश.
नई दिल्ली: इस मौसम में बहने वाली जहरीली हवा हर किसी के लिए नुकसानदेह है और खासतौर पर दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वाहनों से निकलने वाले धुंए, पड़ोसी राज्यों में धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के साथ ही दीवाली के मौके पर होने वाली आतिशबाजी बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो घातक है ही, महिलाओं के लिए भी काफी नुकसानदेह है. विशेषज्ञों का दावा है कि इस प्रदूषण से स्तन कैंसर तक हो सकता है.
दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है. दिवाली पर यह और बढ़ने की आशंका के चलते बदरपुर बिजली संयंत्र बंद कर दिया गया है. आगामी 15 मार्च तक डीजल जेनरेटर चलाने पर प्रतिबंधित लगा दिया गया है और उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा में सैकड़ों ईंट-भट्ठों को बंद करने का आदेश दिया गया है. यह सभी आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने दिए हैं.
इस मौसम में वायु प्रदूषण अब बड़ा चिंता का कारण बन चुकी है. पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय द्वारा एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाए जाने की पृष्ठभूमि में यह बहस और तेज हो गई है.
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सिद्धार्थ साहनी के अनुसार प्रदूषणकारी तत्व शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक हैं. कुछ प्रदूषणकारी तत्वों की वजह से कैंसर होने का खतरा होता है और महिलाओं को स्तन कैंसर की आशंका भी रहती है.
उन्होंने कहा कि स्तन कैंसर के 10 प्रतिशत कारण आनुवांशिक कारकों से जुड़े होते हैं लेकिन 90 प्रतिशत वजहें बाहरी होती हैं. इनमें पर्यावरण संबंधी कारक निश्चित रूप से एक वजह है.
मेदांता, गुड़गांव की रेडियोलॉजी विभाग की एसोसिएट निदेशक डॉ ज्योति अरोरा ने स्तन कैंसर को भारत में बीमारियों से महिलाओं की मौत की दूसरी बड़ी वजह बताते हुए कहा, हमने देखा है कि वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे बड़ी मात्रा में जुड़े हैं. नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और लैड जैसे नुकसानदेह तत्वों से दमा, किडनी और फेफड़ों को नुकसान के साथ ही महिलाओं को भी काफी खतरा होता है.
उन्होंने कहा कि प्रदूषण और स्तन कैंसर का यूं तो आपस में कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन वायु प्रदूषण में ऐसे कई जहरीले तत्व होते हैं जिसमें अलग अलग लोगों को उनकी जीवनशैली के आधार पर अलग अलग नुकसान होते हैं.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2020 तक कैंसर के 17.30 लाख से अधिक नये मामले सामने आ सकते हैं और इस बीमारी से 8.7 लाख लोगों की मौत की आशंका है इनमें सर्वाधिक जिम्मेदार कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर, उसके बाद लंग और सर्विक्स कैंसर होंगे.
आईसीएमआर की एक और रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल स्तन कैंसर के लगभग 1.44 लाख नये मामले सामने आते हैं और यह शहरी भारत में महिलाओं के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है.
कोलंबिया एशिया अस्पताल पटियाला में गायनोकोलाजिस्ट डॉ जी कंबोज ने भी स्तन कैंसर और वायु प्रदूषण के बीच तार जुड़े होने की बात मानी. उन्होंने कहा कि जहरीली हवा में पाई जाने वाली नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड स्तन कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकती है.
डॉ साहनी के अनुसार 2016 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के महानगरों में प्रत्येक 11 में से एक महिला को पूरे जीवनकाल में कभी भी स्तन कैंसर होने का खतरा होता है. 2002 में भारत में महिलाओं की मौत के लिए स्तन कैंसर 246वां कारण था जो दस साल बाद यानी 2012 में महिलाओं की मृत्यु के तीन प्रमुख कारणों में शुमार हो गया.
प्रदूषण को लेकर प्राधिकरण सख्त हुआ
बदरपुर बिजली संयंत्र को बंद कर दिया गया है, डीजल जेनरेटर को प्रतिबंधित कर दिया गया है, सैकड़ों ईंट-भट्ठों को काम बंद करने के आदेश दिए गए हैं तथा अगर फिर भी वायु की गुणवत्ता खराब होती है तो दिल्ली वालों को पार्किंग फीस के रूप में और पैसे खर्च करने होंगे. उन्हें संभवत: वर्तमान दर की तुलना में चार गुना ज्यादा पार्किंग शुल्क देना पड़ सकता है.
उच्चतम न्यायालय की तरफ से नियुक्त ईपीसीए ने स्पष्ट किया है कि जरूरत पड़ी तो वह सम-विषम योजना लागू करने, कारों को सड़क से दूर करने और स्कूलों को बंद करने से भी पीछे नहीं हटेगा. ईपीसीए को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान जीआरएपी लागू करने की ताकत है.
जीआरएपी के काफी खराब और गंभीर श्रेणियों के उपाय प्रभावी हो गए हैं और ये 15 मार्च तक प्रभावी रहेंगे. पूर्व आईएएस अधिकारी भूरेलाल की अध्यक्षता में हुई ईपीसीए की बैठक के बाद यह घोषणा की गई.
ईपीसीए पर्यावरण प्रदूषण निवारण और नियंत्रण प्राधिकरण की सदस्य सुनीता नारायण ने कहा कि जीआरएपी ने काफी खराब वर्ग में पार्किंग शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव दिया लेकिन इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि दिल्ली सरकार की पार्किंग नीति को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
लेकिन उन्होंने संकेत दिए कि अगर प्रदूषण स्तर में काफी बढ़ोत्तरी होती है, तो ईपीसीए उपायों को लागू करेगा, भले ही कोई औपचारिक नीति नहीं बनी है.
भूरेलाल ने कहा कि केवल उन्हीं ईंट भट्ठों को चलने दिया जाएगा, जिन्होंने काले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए जिग—जैग तकनीक को लागू किया है. दिल्ली मेट्रो और महानगर के अस्पतालों जैसी आवश्यक सेवाओं को इससे छूट दी जाएगी जो डीजल जेनरेटर सेट से चलते हैं.
आतिशबाजी का संबंध वायु की गुणवत्ता से होगा
दिवाली के अगले दिन दिल्ली में वायु की गुणवत्ता आतिशबाजी की वजह से खराब हो सकती है. आतिशबाजी जैसे स्थानीय स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषकों से मौसम में यह बदलाव आ सकता है.
मौसम विशेषज्ञो ने कहा कि इस बार यहां की वायुमंडलीय दशा ऐसी है कि दिवाली की रात जो आतिशबाजी होगी उसका संबंध अगले दिन वायु की गुणवत्ता से होगा.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक 306 तक पहुंचने के साथ ही शहर की वायु की गुणवत्ता काफी खराब हो गई है और उसके गंभीर होने की संभावना बढ़ गई है.
हालांकि दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर राजस्थान के भिवाड़ी में वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर है और यह पूरे देश में वायु की सबसे खराब गुणवत्ता है. भिवाड़ी एक औद्योगिक केंद्र है और वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है.
बोर्ड के सदस्य सचिव ए सुधाकर ने कहा, 20 अक्तूबर को वायु में नमी का स्तर काफी बढ़ जाएगा. प्रदूषकों को छितराने में अहम भूमिका निभाने वाली स्थानीय हवा की रफ्तार भी कम होगी जिससे प्रदूषक संग्रहित हो जाएंगे.