भोपाल के हमीदिया अस्पताल की 50 से अधिक नर्सों ने पत्र लिखकर कहा था कि अधीक्षक डॉ. दीपक मरावी नर्सों से छेड़छाड़ करते थे, नशे की हालत में उनके चेंजिंग रूम में घुस जाते थे और विरोध करने पर नौकरी से निकलवा देने की धमकी देते थे. अस्पताल की जांच समिति पर लीपापोती करने के आरोप के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
भोपाल: यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे हमीदिया अस्पताल के संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ. दीपक मरावी को सोमवार को उनके पद से हटा दिया गया. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी.
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित हमीदिया अस्पताल की कम से कम 50 नर्सों ने मरावी पर 15 जून को यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने उसी दिन मामले में जांच के आदेश दे दिए थे. वह इस अस्पताल में प्राध्यापक (अस्थि रोग) भी थे. इस पद से भी उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि गांधी चिकित्सा महाविद्यालय की सोमवार को संभागायुक्त गुलशन बामरा की अध्यक्षता में संपन्न हुई प्रबंध कार्यकारिणी की बैठक में मरावी को इन सभी पदों से तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि मरावी की जगह पर अब डॉ. आशीष गोहिया इस अस्पताल के नए प्राध्यापक (अस्थि रोग), संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक होंगे.
अधिकारी ने बताया कि हमीदिया अस्पताल के सुचारू संचालन एवं प्रशासकीय कार्य सुविधा की दृष्टि से समिति ने दो अतिरिक्त अधीक्षकों डॉ. जीवन सिंह मीणा और डॉ. वंदना शर्मा को भी नियुक्त किया है.
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, डॉ. मरावी के साथ ही दोनों अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. आशिफ खान और डॉ. प्रशांत कुमार को भी हटाया गया है. वहीं, एक सोची-समझी प्रक्रिया के तहत मरावी को अधीक्षक पद से हटाने की कार्रवाई को इस्तीफे का रूप दिया गया है.
गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के सूत्रों के हवाले से भास्कर ने लिखा है कि अधिकारियों ने डॉ. मरावी और डीन डॉ. अरविंद राय को फोन करके जीएमसी बुलाया था. इससे पहले बंद कमरे में हुई एक बैठक में तय हुआ था कि मरावी को हटाना जरूरी है.
मरावी को हटाने के लिए शासन-प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती, इसलिए यह रास्ता निकाला गया कि मरावी से इस्तीफा लिखवाया जाए और डीन इस्तीफा स्वीकार कर लें.
बहरहाल, नये अधीक्षक आशीष गोहिया ने कहा कि वह यह ध्यान में रखकर काम करेंगे कि महिलाओं को कार्यस्थल पर पूरी सुरक्षा और सम्मान मिले.
बता दें कि 14 जून 2022 को भोपाल के हमीदिया अस्पताल की 50 से अधिक महिला कर्मचारियों (विशेषकर नर्सों) ने अधीक्षक डॉ. मरावी पर आरोप लगाए थे कि वे विभिन्न प्रकार के प्रपंच करके उन्हें अपने पास बुलाते हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, डीजीपी मध्य प्रदेश, थाना प्रभारी- महिला थाना और थाना प्रभारी कोहेफिजा थाना के नाम लिखे पत्र में नर्सों ने दावा किया था कि डॉ. मरावी पूर्व में भी अनेक विवादों में घिरे रहे.
इस संबंध में नर्सों ने अपने पत्र में लिखा था, ‘हम आपको बताना चाहते हैं कि पहले भी डॉ. मरावी द्वारा इस प्रकार की कई हरकतें की गई थीं, जिसके चलते चिकित्सालय के पीड़ित कर्मचारियों एवं नर्सों द्वारा इसकी शिकायत की गई थी तथा डॉ. मरावी द्वारा एक महिला को अपनी हवस का शिकार बनाकर बलात्कार करने का प्रयास किया गया था. ‘
पत्र में बताया गया था कि इस प्रकरण में भोपाल क्राइम ब्रांच में भी एफआईआर दर्ज है.
नर्सों ने पत्र में आरोप लगाए थे कि डॉ. मरावी नर्सों को कभी छुट्टी मंजूर करने के बहाने, कभी छुट्टी के बाद वापस आने पर जॉइनिंग से पहले उपस्थित होने, साथ ही निरीक्षण के दौरान कुछ नर्सों को चिह्नित करके अकारण ही अपने चेंबर में बुलाते हैं और अनावश्यक बातें करते हैं. साथ ही, रात को शराब के नशे में हाफ पैंट पहनकर नर्सों के चेंजिंग रूप में बिना नॉक (खटखटाए) किए घुसकर अश्लील एवं फालतू बातें करते हैं.
उन्होंने यह भी कहा था कि कभी-कभी वे महिला कर्मचारियों से भी छू-छूकर बातें करते हैं और ऐसे प्रयास करते हैं कि महिला मजबूरी में इनसे जाकर मिले.
नर्सों ने इससे संबंधित एक घटनाक्रम का भी जिक्र किया, जो 30 मई को घटा था, जिसमें एक नर्स को ऑफिस के बगल वाले कमले में बुलाकर उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी, विरोध करने पर धमकाते हुए कहा, ‘मेरा कुछ नहीं हो सकता क्योंकि मुझे मुख्यमंत्री ने अधीक्षक बनाया है, लेकिन मैं तेरी नौकरी खा जाऊंगा और जीने लायक नहीं छोड़ूंगा.’
बहरहाल, मामला सामने आते हैं अस्पताल प्रबंधन ने एक आंतरिक जांच समिति बना दी थी, जिसने पिछले दिनों सौंपी अपनी जांच में मरावी को क्लीन चिट दे दी थी.
हालांकि, उस समिति पर कई सवाल खड़े हुए थे क्योंकि उसमें जांच का जिम्मा डॉ. मरावी के अधीनस्थ डॉक्टरों को ही सौंप दिया गया था और मरावी इस दौरान अधीक्षक के पद पर थे, उन्हें हटाया नहीं गया था.
एक वरिष्ठ नर्स ने द वायर से बात करते हुए बताया था कि आंतरिक जांच समिति में मरावी को क्लीन चिट मिलने का कारण यह रहा था कि पीड़ित नर्स दबाव में अपने बयान दर्ज कराने ही नहीं पहुंची थीं. किसी को नौकरी जाने का डर दिखाया गया तो कोई इसलिए सामने नहीं आई ताकि उसकी सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा पर आंच न आए.
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान नर्सों को प्रमोशन जैसे प्रलोभन भी दिए गए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)