महाराष्ट्र: मुंबई में चार मंज़िला इमारत गिरने से 19 लोगों की मौत, कई ज़ख़्मी

मुंबई के कुर्ला में सोमवार आधी रात एक पुरानी इमारत ढहने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हुए हैं. बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, 1973 में बनी इमारत के निवासियों ने मरम्मत कराने का बीड़ा उठाया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. घटना को लेकर बिल्डिंग मालिकों ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. इस महीने महानगर में इमारत गिरने की यह तीसरी बड़ी घटना है. 

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मुंबई के कुर्ला में चार मंजिला एक इमारत के ढहने से करीब 19 लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य जख्मी हुए हैं. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई के कुर्ला में सोमवार आधी रात एक पुरानी इमारत ढहने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हुए हैं. बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, 1973 में बनी इमारत के निवासियों ने मरम्मत कराने का बीड़ा उठाया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. घटना को लेकर बिल्डिंग मालिकों ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. इस महीने महानगर में इमारत गिरने की यह तीसरी बड़ी घटना है.

मुंबई के कुर्ला में चार मंजिला एक इमारत के ढहने से करीब 19 लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य जख्मी हुए हैं. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: मुंबई के कुर्ला में सोमवार आधी रात चार मंजिला एक इमारत के ढहने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 15 अन्य जख्मी हुए हैं. इस इमारत को पहले ‘जर्जर’ घोषित किया गया था लेकिन बाद में ‘मरम्मत योग्य’ घोषित किया गया.

घटना के बाद, नाइक नगर हाउसिंग सोसाइटी परिसर में स्थित चार में से एक अन्य इमारत को भी खाली कराया गया और उसे भी खतरनाक माना गया तथा बाद में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने उसे गिरा दिया.

इंडिया टुडे के मुताबिक, मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान अभी भी जारी है. इस बीच, इमारत के मालिकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

बीएमसी फायर ब्रिगेड और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) सोमवार रात से बचाव अभियान चला रहे हैं. उन्होंने इमारत के मलबे से 32 लोगों को बचाया है और 18 को अस्पतालों में मृत घोषित कर दिया गया है.

दिलीप विश्वास नाम के एक शख्स और अन्य मकान मालिकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304(2) (गैर इरादतन हत्या के लिए दंड), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 337, 338 (जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से चोट पहुंचाना) और  धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, 1973 में बनी इमारत के निवासियों ने मरम्मत कराने का बीड़ा उठाया था, लेकिन जाहिर तौर पर कोई मरम्मत नहीं हो पाई.

दमकल, पुलिस, नगर निकाय के अधिकारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के दो दलों ने भी बचाव अभियान चलाया.

एनडीआरएफ के उप कमांडेंट आशीष कुमार ने बताया कि बचाव अभियान शाम करीब साढ़े छह बजे समाप्त हो गया, लेकिन मलबा हटाने का काम अभी भी जारी है.

सोमवार आधी रात से अब तक कुल 33 लोगों को मलबे से निकाला गया है. बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि घायलों में से चार का अब भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जबकि अन्य को छुट्टी दे दी गई है.

मलबे से निकाले गए लोगों को राजावाड़ी अस्पताल और सायन अस्पताल सहित नगर निकाय के अस्पतालों में ले जाया गया. उनमें से अधिकतर को दाखिल करने से पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था.

महाराष्ट्र के पर्यावरण एवं पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने घटनास्थल का दौरा किया. उन्होंने कहा कि अधिकारी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा जीर्ण-शीर्ण इमारतों को जारी किए गए नोटिसों की समीक्षा कर रहे हैं ताकि इस तरह के ढांचे को खाली कराने और गिराए जाने की जांच की जा सके.

इस महीने महानगर में इमारत गिरने की यह तीसरी बड़ी घटना है. 23 जून को चेंबूर इलाके में एक दो मंजिला औद्योगिक ढांचे का स्लैब गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए थे.

नौ जून को, उपनगरीय बांद्रा में एक तीन मंजिला आवासीय इमारत गिर गई थी, जिसमें 55 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए थे.

‘ऐसा लगा भूकंप आ गया’

सोमवार आधी रात जो इमारत गिरी, वहां पास की इमारत में रहने वाले सतीश क्षेत्रे अपने कमरे में मेहमानों के साथ बैठे हुए थे कि तभी उन्हें अचानक लगा जैसे भूकंप आ गया हो. जैसे ही उन्होंने महसूस किया कि उनकी इमारत के पास वाली इमारत गिर गई है उनके दिमाग में पहला विचार अपने परिवार के सदस्यों और मेहमानों को बचाने का आया.

उन्होंने कहा कि प्रभावित डी विंग की पूर्व और पश्चिम की ओर की साझा सीढ़ियां भी ढह गईं. पश्चिमी हिस्से की तीसरी मंजिल पर रहने वाले क्षेत्रे ने कहा कि साड़ियों का उपयोग करके एक रस्सी तैयार की गई और स्थानीय लोगों की मदद से उनके परिवार के सदस्यों और उनके कुछ मेहमानों सहित दस लोगों को बचाया गया.

क्षेत्रे ने कहा, ‘एक पल के लिए मुझे लगा कि हम नहीं बचेंगे लेकिन भगवान की कृपा से हम जीवित हैं.’

कुर्ला निवासी देवराज बड़िया अपने छोटे भाई रमेश के मिलने की खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन मलबे से रमेश का शव बाहर निकाला गया.

बीएमसी करेगी जांच

बीएमसी के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने कहा कि बीएमसी इस बात की जांच करेगी कि इमारत की श्रेणी कैसे बदली गई और ढांचे का आखिरी ऑडिट किसने किया था.

इमारत को खतरनाक घोषित करते हुए मई 2016 में बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए गए थे. लेकिन सचदेवा एंड एसोसिएट्स से मिली ढांचे की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 30 जून 2016 को इमारत को मरम्मत करने योग्य श्रेणी में डाल दिया गया.

चहल ने कहा, ‘हमने उनसे (निवासियों) से शपथपत्र लिया था कि वे आवश्यक मरम्मत करेंगे.’

अतिरिक्त निगम आयुक्त अश्विनी भिड़े ने बताया कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने मुंबई नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2013 से कई बार इस इमारत की मरम्मत कराने के लिए, फिर उसे खाली करने और गिराने के लिए नोटिस जारी किए.

अधिकारी ने कहा, ‘यहां तक कि नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ मुकदमा भी शुरू किया गया. बाद में, इमारत में रहने वाले लोगों ने संरचनात्मक ‘ऑडिट’ फिर से करवाया और भवन को मरम्मत के लायक होने की श्रेणी में डाला गया, लेकिन मरम्मत नहीं कराई गई.’

भिड़े ने बताया कि बीएमसी द्वारा इमारत खाली करने की लगातार कोशिशों के बावजूद लोग वहां रहते रहे.

मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता की घोषणा

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को उपनगर कुर्ला में एक इमारत गिरने से मारे गए लोगों के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की. एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई.

बयान में कहा गया है कि घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनहानि पर दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो-दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)