एआईएमआईएम के चार विधायकों के राजद में शामिल हो जाने पर 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल राजद के विधायकों की संख्या बढ़कर अब 80 हो गई है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) के साथ राज्य में सत्ता साझा कर रही भाजपा के विधायकों से तीन अधिक है.
पटना: बिहार में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के पांच विधायकों में से चार विधायक बुधवार को मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गए. इसके साथ ही, राज्य विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी हो गई है.
राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव एआईएमआईएम के इन चार विधायकों को एक कार से खुद विधानसभा ले गए और सदन के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से मुलाकात की.
तेजस्वी ने सिन्हा को चारों विधायकों के असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (एआईएमआईएम) से अलग होने और राजद में उनके विलय के औपचारिक निर्णय से अवगत कराया.
राजद में एआईएमआईएम के विधायक मोहम्मद इज़हर आरफ़ी, शाहनवाज़ आलम, रुकानुद्दीन अहमद और अंज़ार नईमी शामिल हुए हैं.
17वीं बिहार विधानसभा में AIMIM के चार माननीय सदस्यों श्री शाहनवाज,मो.अनजार नईमी,श्री मुहम्मद इजहार असफी एवं श्री सैयद रूकनुद्दीन अहमद ने राजद की विचारधारा,सिद्धांतों और आदरणीय लालू जी की जनसरोकारी नीतियों से प्रभावित होकर AIMIM के विधायक दल का राजद में विलय करने का निर्णय लिया है pic.twitter.com/lrWJwxpNQm
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 29, 2022
एआईएमआईएम के इन चारों विधायकों के राजद में शामिल हो जाने पर 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल (राजद) के विधायकों की संख्या बढ़कर अब 80 हो गई है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) के साथ राज्य में सत्ता साझा कर रही भाजपा के विधायकों से तीन अधिक है.
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इस साल की शुरुआत में उसने उपचुनाव में बोचाहन सीट जीती थी.
पिछले विधानसभा में पांच सीटें जीतने वाली हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के पास अब विधानसभा में सिर्फ एक विधायक अख्तरुल ईमान रह गए हैं. ईमान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, एआईएमआईएम ने जिन पांच सीटों पर जीत हासिल की थी, वे किशनगंज और अररिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के अंतर्गत आती हैं, जहां बिहार में मुस्लिम आबादी सबसे अधिक है.
गौरतलब है कि जोकीहाट के विधायक शाहनवाज आलम राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे दिवंगत मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. आलम ने 2018 में एक उपचुनाव में एक सफल चुनावी शुरुआत की, जब उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा. जब उन्हें 2020 के विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं दिया गया तब उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
राजद ने उनके बड़े भाई सरफराज आलम को मैदान में उतारा था, जो 2019 में अररिया लोकसभा सीट भाजपा से हारने के बाद से राजनीतिक तौर पर सक्रिय नहीं हैं.
इस कदम के बारे में बताने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने कहा कि सभी चार विधायक राज्य के सबसे गरीब, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से आते हैं, जो एक सरकार की उदासीनता का शिकार हैं, जिसे स्वास्थ्य, शिक्षा और जनता के भले की कोई परवाह नहीं है.
यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘भाजपा जैसी ताकत हमारे पास नहीं हैं. पार्टी में बुधवार को जो लोग जुड़े हैं. वह सभी अपनी मर्जी से धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने राजद में आए हैं. यह उनका निडर फैसला है. सही मायने में इन सब का राजद में आना घर वापसी जैसा है.’
उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतें एक साथ आएं और मजबूत बनें. सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में राजद की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता. यह हमारी वजह से है कि बिहार में भाजपा ने कभी अपने दम पर चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटाया.’
उन्होंने जद (यू), जिसमें 50 से कम विधायक हैं, का जिक्र करते हुए कहा, ‘भाजपा के पास हिम्मत नहीं है कि वह बिहार में अकेली चुनाव लड़ सके. इसलिए तीसरे नंबर की पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री बनाया हुआ है. अब हम सत्ता से ज्यादा दूर नहीं हैं. हालांकि हमें सत्ता का लालच नहीं हैं.’
इस बीच, भाजपा, जो अब तक सबसे बड़ी पार्टी थी, ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने असदुद्दीन ओवैसी पर अपने विधायकों को ‘बेचने’ का आरोप लगाया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)