असम में बाढ़ और भूस्खलन के चलते 151 लोग जान गंवा चुके हैं. कछार ज़िले का सिलचर दस दिन से जलमग्न हैं और वहां के निवासी भोजन, पेयजल व दवाइयों की कमी का सामना कर रहे हैं. अरुणाचल प्रदेश में भी भारी बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति बन गई है. राज्य में बाढ़ और भूस्खलन में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है.
गुवाहाटी/ईटानगर: असम में बुधवार को बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई और इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 31.5 लाख पहुंच गई.
वहीं, राज्य में बाढ़ से जुड़ी घटनाओं ने और 12 लोगों की जान ले ली, जबकि कछार जिले में सिलचर शहर के ज्यादातर इलाके पिछले 10 दिनों से जलमग्न है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने एक बुलेटिन जारी कर कहा कि बाढ़ में 11 लोगों और एक व्यक्ति की भूस्खलन में मौत हो गई. कछार और चिरांग जिलों में दो-दो मौतें हुईं, जबकि बारपेटा, विश्वनाथ, दरांग, धेमाजी, गोलाघाट, कामरूप, लखीमपुर और नगांव में एक-एक मौत हुई.
इसके साथ ही, राज्य में बाढ़ और भूस्खलन के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 151 हो गई है. बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या बढ़कर 31.54 लाख हो गई है जो एक दिन पहले के 24.92 लाख के आंकड़े से अधिक है.
ब्रह्मपुत्र, बेकी, कोपिली, बराक और कुशियारा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.
इंडिया टुडे के मुताबिक, कछार लगातार दूसरे दिन सबसे ज्यादा प्रभावित जिला रहा, जिसमें लगभग 14.31 लाख लोग आपदा से प्रभावित हुए. अकेले सिलचर में बाढ़ से कम से कम 7,25,306 लोग प्रभावित हुए हैं.
सिलचर शहर के ज्यादातर इलाके जलमग्न हैं और वहां के निवासी भोजन, पेयजल तथा दवाइयों की कमी का सामना कर रहे हैं.
उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने बताया कि बेथकुंडी में बांध टूटने के कारण सिलचर के ज्यादातर इलाके अब भी जलमग्न हैं. इसकी मरम्मत का काम चल रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों तक स्वच्छ पेयजल और भोजन के साथ पहुंचने को प्राथमिकता दी जा रही है जबकि स्वास्थ्य विभाग जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए चिकित्सा शिविर लगा रहा है.
शहर के 28 नगरपालिका वार्ड में चिकित्सा कर्मियों को तैनात किया गया है जबकि विभिन्न राहत केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं, जहां लोगों को डायरिया की रोकथाम के लिए ओआरएस के पैकेट दिए गए हैं.
राज्यभर में 79 राजस्व मंडलों के तहत कुल 2,675 गांव बाढ से प्रभावित हुए हैं जबकि 3,12,085 लोगों ने 569 राहत शिविरों में शरण ली है.
बाढ़ से कछार सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, जहां 14.30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. इसके बाद बारपेटा (5.49 लाख) और नगांव (5.19 लाख) का स्थान है.
पांच तटबंध टूट गए हैं, जबकि 177 सड़कें और पांच पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. कुल 548 मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 1,034 को आंशिक नुकसान पहुंचा है.
बक्सा, बारपेटा, विश्वनाथ, बोंगईगांव, कोकराझार, लखीमपुर, मोरीगांव, नगांव, नलबाड़ी, सोनितपुर, दक्षिण सालमार, तामुलपुर और तिनसुकिया जिलों में बड़े पैमाने पर मिट्टी का कटाव हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ के कारण 2,675 गांवों में पानी भर गया है और 91,349 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न है.
सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), असम पुलिस अग्निशमन और आपातकालीन सेवा (एफ एंड ईएस) के जवान, और अन्य स्वयंसेवक फंसे हुए लोगों को बचाने और हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं.
इस बीच, अधिकारियों ने 22 जिलों में 3,12,085 कैदियों को रखने के लिए 560 राहत शिविर स्थापित किए हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, केंद्रीय जल आयोग ने जोरहाट जिले के नीमतीघाट, तेजपुर और धुबरी में ब्रह्मपुत्र नदी के कई निगरानी स्टेशनों पर बाढ़ की स्थिति को गंभीर के रूप में चिह्नित किया है.
इसके अलावा, धरमतुल में कोपिली नदी, बेकी नदी और सिलचर और करीमगंज में बराक नदी के कारण बाढ़ की स्थिति को भी गंभीर के रूप में चिह्नित किया गया है.
अन्य स्थानों पर ब्रह्मपुत्र और उसकी कई सहायक नदियों की बाढ़ की स्थिति को सामान्य से ऊपर के रूप में चिह्नित किया गया है.
सीडब्ल्यूसी ने अपनी बाढ़ रिपोर्ट में कहा, ‘पिछले दो दिनों से असम और अरुणाचल प्रदेश से बहुत भारी बारिश की सूचना है. इसलिए ब्रह्मपुत्र का मुख्य हिस्सा (धुबरी, गोलपारा, जोरहाट, सोनितपुर जिले) और उसकी सहायक नदियां जैसे मानस (बोंगईगांव जिला), सुबनसिरी (लखीमपुर जिला), बुरिदेकिंग (डिब्रूगढ़ जिला), देसांग (सिबसागर जिला) गंभीर से ऊपर की स्थिति में हैं.’
अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश, भूस्खलन से जनजीवन प्रभावित
उधर, अरुणाचल प्रदेश में भी बुधवार को मूसलाधार बारिश से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई और भूस्खलन हुआ. इससे कई इलाकों का संपर्क टूट गया और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि पिछले 24 घंटे में भूस्खलनों में दो और लोगों की मौत हो गई जबकि लापता दो अन्य लोगों के लिए तलाश अभियान चलाया जा रहा है.
मंगलवार को होल्लोंगी में भीषण भूस्खलन में जल शोधन संयंत्र में काम कर रहा एक मजदूर दब गया. रात में उनका शव बरामद किया गया.
पश्चिमी सियांग जिले में दारला गांव के समीप भूस्खलन में ट्रांस अरुणाचल हाईवे परियोजना में काम कर रहे एक निर्माण मजदूर की दबकर मौत हो गई. मृतक की पहचान असम के लखीमपुर जिले के लालुक निवासी टीलू कलांदी के तौर पर की गई है.
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नीमा ताशी ने बताया कि पापुम पारे के हुतो गांव मेंदो में लापता लोगों की तलाश जारी है. अभियान में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कर्मी शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में इस साल अभी तक बाढ़ और भूस्खलन में 17 लोगों की मौत हो चुकी है.
सियांग जिले में 1448 ब्रिज कंसट्रक्शन कंपनी (बीसीसी) के साथ काम कर रहे छह मजदूरों को बाढ़ से बचाया गया. सियांग नदी के उफान पर होने के कारण बोलेंग में उनका शिविर बह गया था.
बारिश और भूस्खलनों से राज्य के कई इलाकों से संपर्क टूट गया, जिनमें से ज्यादा दूरवर्ती इलाके हैं.
अधिकारियों के अनुसार, पापुम पारे में भूस्खलनों के कारण चिम्पू-होल्लोंगी रोड़ अवरुद्ध है, सियांग में पैनगिन-बोलेंग रोड अवरुद्ध है, पश्चिमी सियांग में बोलेंग-रुमगोंग रोड अवरुद्ध है और पश्चिमी कामेंग में बालेमु-बोमडिला रोड अवरुद्ध है.
पापुम पारे जिले के तलहटी वाले क्षेत्रों में स्थित कई गांवों और शहरों का संपर्क टूट गया है.
पूर्वी सियांग जिलों में सिबो कोरोंग नदी में बाढ़ आने से कई गांव जलमग्न हो गए हैं. पागला नदी के पानी से भी कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई है.
राजधानी ईटानगर में कई संपर्क सड़कें भी अवरुद्ध हैं. बारिश से पेयजल और बिजली आपूर्ति पर भी असर पड़ा है जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है. कई जिलों में कृषि योग्य भूमि पर भी असर पड़ा है.
ईटानगर में बारिश के कारण सभी स्कूल और कॉलेजों को तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया है.
शहर में चार अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं जबकि संवदेनशील इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)