दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को उस याचिका पर अपना जवाब दाख़िल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया, जिसमें निचली अदालत के 28 जून के आदेश को चुनौती दी गई है. निचली अदालत ने ज़ुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था. ज़ुबैर को एक ट्वीट के ज़रिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में बीते 27 जून को गिरफ़्तार किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज (Alt News) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की उस याचिका पर दिल्ली पुलिस का रुख पूछा, जिसमें उन्होंने 2018 में एक हिंदू देवता पर किए गए एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट से संबंधित एक मामले में उनकी पुलिस रिमांड की वैधता को चुनौती दी है.
जस्टिस संजीव नरूला ने याचिका पर नोटिस जारी किया और जांच एजेंसी (दिल्ली पुलिस) को उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया, जिसमें निचली अदालत के 28 जून के उस आदेश को चुनौती दी गई है. निचली अदालत ने जुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत में देने का आदेश दिया था.
न्यायाधीश ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 27 जुलाई को सूचीबद्ध किया और कहा कि निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही वर्तमान कार्यवाही से प्रभावित हुए बिना जारी रहेगी.
दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद जुबैर को एक ट्वीट के जरिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में बीते 27 जून को गिरफ्तार किया था और उसी दिन निचली अदालत ने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था.
एक दिन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने उनकी हिरासत चार दिनों के लिए बढ़ा दी थी.
अदालत ने कहा कि रिमांड आदेश दो जुलाई को समाप्त हो जाएगा और कहा, ‘पुलिस रिमांड आदेश चार दिनों के लिए है. मुझे दूसरे पक्ष को सुनना होगा. मैं नोटिस जारी करूंगा.’
निचली अदालत के आदेश के मुताबिक, जुबैर को चार दिन की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने पर दो जुलाई को उसके सामने पेश किया जाएगा.
पुलिस ने जुबैर की हिरासत पांच दिन के लिए बढ़ाने का अनुरोध करते हुए निचली अदालत को बताया था कि आरोपी ने कथित तौर पर लोकप्रिय होने के लिए धार्मिक ट्वीट का इस्तेमाल किया और सामाजिक वैमनस्य पैदा कर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का जान-बूझकर प्रयास किया था.
पुलिस के अनुसार, जुबैर के खिलाफ 20 जून को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-153ए और 295ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उल्लेख था, ‘हनुमान भक्त (@balajikijaiin) नामक ट्विटर हैंडल से मोहम्मद जुबैर (@zoo_bear) के ट्विटर हैंडल द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा किया गया था, जिसमें जुबैर ने एक फोटो ट्वीट की थी, जिसमें एक जिस पर साइनबोर्ड पर होटल का नाम ‘हनीमून होटल’ से बदलकर ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया था. तस्वीर के साथ जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल… 2014 के बाद हनुमान होटल…’ लिखा था.’
बता दें कि उक्त फोटो 1983 की ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘किसी से न कहना’ का एक स्क्रीनशॉट था.
एफआईआर के अनुसार, ट्विटर यूजर (@balajikijaiin) ने ट्वीट किया था कि ‘हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ा जा रहा है जो प्रत्यक्ष रूप से हिंदुओं का अपमान है क्योंकि वह (भगवान हनुमान) ब्रह्मचारी हैं. कृपया इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करें.’
मालूम हो कि बीते जून महीने में ही मोहम्मद जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के खैराबाद के एक पुलिस थाने में भी एक एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर उनके द्वारा किए गए उस ट्वीट के बाद दर्ज की गई है, जिसमें उन्होंने यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था.
रिपोर्ट के अनुसार, स्वयं को राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना का जिला प्रमुख बताने वाले भगवान शरण की सीतापुर के खैराबाद थाने में दी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने जुबैर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया है.
27 मई को जुबैर ने लगातार कई ट्वीट करते हुए भारतीय समाचार टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाली प्राइम टाइम की बहस पर निशाना साधा था, जिनमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जारी विवाद के संबंध में कहा, ‘यह (टीवी समाचार चैनल) नफरत फैलाने वालों के लिए अन्य धर्मों के बारे में दूषित भाषा बोलने का मंच बन गया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)