पीपीई किट: असम के मुख्यमंत्री ने दिल्ली के डिप्टी सीएम के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा किया

बीते जून महीने में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा ने भी दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपये की मानहानि का मुक़दमा दर्ज कराया था. सिसोदिया ने साल 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान असम में पीपीई ख़रीद के लिए हिमंता की पत्नी की कंपनी को बाज़ार मूल्य से अधिक दामों पर ठेका देने का आरोप लगाया था. हिमंता उस वक़्त राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे.

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हिमंता बिस्वा शर्मा और मनीष सिसोदिया. (फोटो: पीटीआई)

बीते जून महीने में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा ने भी दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ख़िलाफ़ 100 करोड़ रुपये की मानहानि का मुक़दमा दर्ज कराया था. सिसोदिया ने साल 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान असम में पीपीई ख़रीद के लिए हिमंता की पत्नी की कंपनी को बाज़ार मूल्य से अधिक दामों पर ठेका देने का आरोप लगाया था. हिमंता उस वक़्त राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे.

हिमंता बिस्वा शर्मा और मनीष सिसोदिया. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पीपीई किट की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया है. शर्मा के वकील देवोजीत सैकिया ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने खुद पर लगे इन आरोपों को निराधार बताते हुए सिसोदिया के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज करवाया है.

सिसोदिया ने शर्मा पर साल 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान असम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों को बाजार से अधिक कीमतों पर पीपीई किट की आपूर्ति करने का आरोप लगाया था.

सिसोदिया के खिलाफ यह मुकदमा कामरूप ग्रामीण जिले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में बृहस्पतिवार को दर्ज किया गया. मामले को शिकायतकर्ता का प्रारंभिक बयान दर्ज करने के लिए 22 जुलाई को सूचीबद्ध किया गया है.

शर्मा पर आरोप है कि उनकी पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा के स्वामित्व वाली कंपनी जेसीबी इंडस्ट्रीज ने कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान असम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों को ‘बाजार से अधिक कीमत’ पर पीपीई किट की आपूर्ति करवाई की थी.

शर्मा के वकील देवोजीत सैकिया ने कहा, ‘मनीष सिसोदिया ने चार जून को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान उनके मुवक्किल हिमंता बिस्वा शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उन्होंने विशेष रूप से दावा किया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने शर्मा की पत्नी के सह-स्वामित्व वाली कंपनी से अधिक कीमत पर पीपीई किट की खरीद की थी. यह खरीद 2020 में कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान की गई थी. उस समय सरमा असम के स्वास्थ्य मंत्री थे.’

सैकिया ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा, ‘शर्मा ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से व्यथित होने और बाद में मामले पर कोई स्पष्टीकरण नहीं मिलने पर आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करने का फैसला किया है.’

उन्होंने दावा किया कि जेसीबी इंडस्ट्रीज ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को ये पीपीई किट दान में दिए थे.

बीते जून महीने में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा ने भी दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ 100 करोड़ रुपये की मानहानि का मामला दर्ज कराया था, जिन्होंने पीपीई के लिए उनकी कंपनी को बाजार मूल्य से अधिक दामों पर ठेका देने का आरोप लगाया था.

मालूम हो कि बीते 4 जून को मनीष सिसोदिया ने मीडिया (‘द वायर’ और ‘द क्रॉस करंट’ की एक संयुक्त रिपोर्ट) में आई एक खबर का जिक्र करते हुए पत्रकारों से कहा था कि एक ओर असम सरकार ने अन्य कंपनियों से 600 रुपये में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट खरीदीं, तो दूसरी ओर उन्होंने अपनी पत्नी व बेटे के व्यापारिक भागीदारों की कंपनियों को 990 रुपये के हिसाब से तत्काल पीपीई किट की आपूर्ति के ऑर्डर दिए थे.

उन्होंने आरोप लगाया था कि शर्मा की पत्नी की फर्म चिकित्सा उपकरणों का कारोबार भी नहीं करती है. सिसोदिया ने खबर के हवाले से कहा था, ‘हालांकि शर्मा की पत्नी की फर्म को दिया गया अनुबंध रद्द कर दिया गया था, क्योंकि कंपनी पीपीई किट की आपूर्ति नहीं कर सकती थी, एक अन्य आपूर्ति आदेश उनके बेटे के व्यापारिक साझेदारों से संबंधित कंपनी को 1,680 रुपये प्रति किट की दर से दिया गया था.’

बीते एक जून को प्रकाशित ‘द वायर’ और गुवाहाटी स्थित ‘द क्रॉस करंट’ की एक संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया है कि असम सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोविड-19 संबंधित चार आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति के ऑर्डर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा की पत्नी और उनके परिवार के व्यापारिक सहयोगी के स्वामित्व वाली तीन फर्मों को दिए थे.

महत्वपूर्ण रूप से जेसीबी इंडस्ट्रीज, जिसमें शर्मा की पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा मालिक हैं, को राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय से तत्काल आपूर्ति आदेश (Order) उस समय मिला था, जब उनके पति हिमंता बिस्वा शर्मा स्वास्थ्य मंत्री थे.

इस कंपनी का चिकित्सा उपकरण और सुरक्षा गियर की आपूर्ति या उत्पादन का कोई इतिहास नहीं था. गुवाहाटी स्थित यह फर्म सैनिटरी नैपकिन का उत्पादन करने के लिए जानी जाती है, लेकिन उसे 5,000 पीपीई किट की आपूर्ति के लिए एक तत्काल कार्य आदेश दिया गया था.

24 मार्च, 2020 की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से कुछ दिन पहले 18 मार्च, 2020 को पीपीई किट डिलिवर करने का यह ऑर्डर जेसीबी इंडस्ट्रीज को दिया गया था.

अधिकांश अन्य राज्यों की तरह भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली असम की राज्य सरकार ने भी प्रधानमंत्री के अचानक लॉकडाउन आदेश के तत्काल बाद में सुरक्षा गियर (जैसे पीपीई किट) और कोविड-19 परीक्षण किट स्टॉक करने के लिए ‘तत्काल आपूर्ति आदेश’ दिया था.

हालांकि, राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के आरटीआई जवाब से पता चलता है कि तब शर्मा के नेतृत्व वाले स्वास्थ्य विभाग ने लॉकडाउन से पहले न केवल उनकी पत्नी की फर्म को बल्कि दो कंपनियों- जीआरडी फार्मास्युटिकल्स और मेडिटाइम हेल्थकेयर को भी ‘तत्काल आपूर्ति’ आदेश दिया था, जो उनके परिवार के व्यापारिक सहयोगी घनश्याम धानुका के स्वामित्व में हैं.

घनश्याम के पिता अशोक धानुका आरबीएस रियल्टर्स (अब वशिष्ठ रियल्टर्स) के निदेशक हैं, जिसमें हिमंता बिस्वा शर्मा के बेटे नंदिल बिस्वा शर्मा वर्तमान में बहुसंख्यक शेयरधारक हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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