मणिपुर भूस्खलन: मरने वालों की संख्या 24 हुई, बचाव अभियान जारी

मणिपुर के नोनी ज़िले में 29 जून की रात भूस्खलन हुआ था. इस हादसे के बाद 38 लोग अब भी लापता हैं. मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है. इधर, पड़ोसी राज्य असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य में 29 लाख लोग प्रभावित हैं. इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण यहां मरने वालों की संख्या बढ़कर 159 हो गई है.

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मणिपुर के नोनी जिले में 29 जून रात टुपुल रेलवे निर्माण स्थल पर भूस्खलन हुआ था. (फोटो: एएनआई)

मणिपुर के नोनी ज़िले में 29 जून की रात भूस्खलन हुआ था. इस हादसे के बाद 38 लोग अब भी लापता हैं. मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है. इधर, पड़ोसी राज्य असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य में 29 लाख लोग प्रभावित हैं. इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण यहां मरने वालों की संख्या बढ़कर 159 हो गई है.

मणिपुर के नोनी जिले में 29 जून रात टुपुल रेलवे निर्माण स्थल पर भूस्खलन हुआ था. (फोटो: एएनआई)

इंफाल/नई दिल्ली/गुवाहाटी: मणिपुर के नोनी जिले में एक रेलवे निर्माण स्थल पर हुई भूस्खलन की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है. मरने वालों में 18 जवान शामिल हैं.

एनडीटीवी के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि अब तक प्रादेशिक सेना के 13 जवानों और पांच नागरिकों को बचा लिया गया है, जबकि 38 लोग अब भी लापता हैं. मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है.

नोनी जिले में बीते 29 जून की रात टुपुल यार्ड रेलवे निर्माण स्थल के पास प्रादेशिक आर्मी कैंप में भूस्खलन हुआ था. एनडीआरएफ के प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनआरडीएफ) के तीन दल के अलावा सेना, असम राइफल्स, प्रादेशिक सेना और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) द्वारा खोज एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है.

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘चूंकि अधिकारियों को बारिश और अन्य कारणों से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, मलबे में दबे कर्मचारियों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए हवाई मार्ग से एक रडार भी शामिल किया जा रहा है.’

प्रवक्ता ने शुक्रवार अपराह्न 3:30 बजे तक की अद्यतन जानकारी के हवाले से कहा, कई स्थानों पर सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण लोगों को राष्ट्रीय राजमार्ग-37 से गुजरने से बचने की सलाह दी गई है.

पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलीता ने घायल प्रादेशिक सेना के जवानों से मुलाकात की, जिन्हें 30 जून को लीमाकोंग सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, अब उनका इलाज मंत्रिपुखरी में असम राइफल्स के अस्पताल में चल रहा है.

सेना ने कहा- 15 जवानों, 29 नागरिकों की तलाश जारी रहेगी

सेना ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर में भूस्खलन के बाद लापता हुए प्रादेशिक सेना के 15 जवानों और 29 नागरिकों की तलाश जारी रहेगी.

सेना ने एक बयान में कहा, ‘थ्रू वॉल राडार का इस्तेमाल कीचड़ के अंदर किसी भी मानव उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जा रहा है. अब तक प्रादेशिक सेना के 13 जवानों और पांच नागरिकों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि अब तक प्रादेशिक सेना के 15 जवानों और पांच नागरिकों के शव बरामद किए गए हैं.’

इसमें कहा गया है कि प्रादेशिक सेना के जवानों के पार्थिव शरीरों को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके गृह स्टेशनों पर भेजा जा रहा है.

बयान में कहा गया, ‘प्रादेशिक सेना के लापता 15 जवानों और 29 नागरिकों की तलाश लगातार जारी रहेगी.’

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बचाव अभियान में लगे कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए घटनास्थल का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने मरने वालों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है.

उन्होंने कहा, ‘राज्य के इतिहास में यह सबसे खराब घटना है. हमने 81 लोगों की जान गंवाई है, जिनमें से 18 को प्रादेशिक सेना (कार्मिक) सहित बचाया गया. लगभग 55 फंस गए हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र ने बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ और सेना के जवानों को भी भेजा है. मिट्टी में नमी के कारण वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है जिससे देरी हो रही है. बचाव अभियान में 2-3 दिन और लगेंगे.

इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार शाम को कहा कि भूस्खलन में मारे गए लोगों में नौ जवान उनके राज्य के हैं.

ममता ने ट्वीट कर मृत जवानों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की और उनके परिजनों के प्रति अपनी सहायता और समर्थन व्यक्त किया.

बनर्जी ने कहा, ‘यह जानकर स्तब्ध हूं कि दार्जिलिंग पहाड़ियों (107 प्रादेशिक सेना इकाई) के नौ जवान मणिपुर भूस्खलन में हताहतों में शामिल हैं. उनके निधन पर मैं शोक प्रकट करती हूं. परिजनों के प्रति पूरी एकजुटता और समर्थन. हार्दिक संवेदना.’

इधर, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शुक्रवार को बताया कि पड़ोसी राज्य में भूस्खलन की वजह से फंसे लोगों को निकालने के लिए चल रहे बचाव कार्य की देखरेख के लिए अपने कैबिनेट मंत्री पीयूष हजारिका को भेज रहे हैं.

शर्मा ने ट्वीट किया, ‘यह जानकर दुखी हूं कि असम के मोरीगांव निवासी एक व्यक्ति ने मणिपुर भूस्खलन में अपनी जान गंवा दी है, जबकि पांच का इलाज चल रहा है. राज्य के 16 लोग अब भी लापता हैं.’

उन्होंने कहा कि पीयूष हजारिका यथाशीघ्र मणिपुर बचाव कार्य में समन्वय करने के लिए पहुचेंगे. हजारिका इस समय नई दिल्ली में हैं. उन्होंने फोन कॉल पर बताया कि वह शनिवार सुबह मणिपुर पहुंचेंगे.

असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर, 29 लाख लोग प्रभावित

असम में बाढ़ की स्थिति शुक्रवार को भी गंभीर बनी रही और पिछले 24 घंटों में आठ और लोगों की मौत हो गई. 29 लाख से अधिक लोग अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि कछार जिला मुख्यालय, सिलचर के अधिकांश हिस्से अब भी जलमग्न हैं.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) द्वारा जारी एक बुलेटिन के अनुसार, इस साल बाढ़ और भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 159 हो गई, जबकि एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना मिली है, जिससे लापता लोगों की कुल संख्या 36 हो गई.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) राज्य में है तथा दिन के दौरान और शनिवार को भी उसके बाढ़ प्रभावित कुछ क्षेत्रों का दौरा करने की योजना है.

एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, टीम को दो समूहों में विभाजित किया गया है, जिसमें से एक समूह कछार, हैलाकांडी और करीमगंज और दूसरा समूह नलबाड़ी, बजली, कामरूप और मोरीगांव में बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने वाला है.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पिछले 10 दिनों में बराक घाटी का तीसरी बार दौरा किया और वहां की स्थिति की समीक्षा करने के लिए करीमगंज पहुंचे.

उन्होंने जिले के सुभाष हाई स्कूल कालीबाड़ी और गोपिकानगर में राहत शिविर का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने इससे पहले दो बार सिलचर का दौरा किया और जलमग्न शहर का हवाई सर्वेक्षण किया.

मेहरपुर, विवेकानंद रोड, दास कॉलोनी, अंबिकापट्टी, चर्च रोड, चांदीचरण रोड, बिलपर, पब्लिक स्कूल रोड, सुभाष नगर और एनएस एवेन्यू सहित सिलचर के कई हिस्से बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं.

उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि बेथुकुंडी में टूटे बांध के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का काम जारी है. बांध टूटने की वजह से शहर में जलभराव हो गया.

उन्होंने कहा कि कछार जिले के कटिगोरा राजस्व मंडल के बड़जुरी में क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत का भी काम चल रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों तक पेयजल और भोजन पहुंचाने को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा नगर निगम के सभी 28 वार्डों में जल जनित बीमारियों की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा शिविर लगाए जा रहे हैं.

इस बीच, राज्य भर में 75 राजस्व मंडलों के तहत 2,608 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि बुलेटिन के अनुसार, 3,05,565 लोगों ने 551 राहत शिविरों में शरण ली है. अस्थायी केंद्रों में आश्रय नहीं लेने वाले बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच 355 आपूर्ति केंद्रों से राहत सामग्री वितरित की गई.

सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में कछार जिले में 14,31,652 लोग प्रभावित हैं, इसके बाद नागांव में 5,19,463 लोग और बारपेटा में 4,00,502 लोग प्रभावित हैं.

बिश्वनाथ और उदलगुरी में दो तटबंध भी टूट गए हैं, जबकि 221 सड़कें, पांच पुल और 557 मकान बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं. 76,115 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र जलमग्न है, जबकि 51 जानवर बह गए हैं.

बुलेटिन में कहा गया है कि बिश्वनाथ, बोंगाईगांव, चिरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, कामरूप, कोकराझार, लखीमपुर, मोरीगांव, सोनितपुर, तामुलपुर और तिनसुकिया से भी बड़े पैमाने पर कटाव की खबरें हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)