असम: हिरासत से कथित तौर पर भागने की कोशिश कर रहे दो लोगों की पुलिस गोलीबारी में मौत

असम के कछार ज़िले का मामला. बीते जून महीने में असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को बताया था कि मई 2021 में हिमंता बिस्वा शर्मा के असम का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से 13 महीनों में पूरे राज्य में हिरासत से कथित तौर पर भागने के प्रयास के दौरान पुलिस कार्रवाई की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

असम के कछार ज़िले का मामला. बीते जून महीने में असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को बताया था कि मई 2021 में हिमंता बिस्वा शर्मा के असम का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से 13 महीनों में पूरे राज्य में हिरासत से कथित तौर पर भागने के प्रयास के दौरान पुलिस कार्रवाई की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

सिलचर: असम के कछार जिले में हिरासत से कथित तौर पर भागने की कोशिश के दौरान पुलिस की गोलीबारी में दो आरोपियों की मौत हो गई. पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

कछार की पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर ने कहा कि दो आरोपियों में से एक पर जबरन वसूली, अपहरण, डकैती और वाहन चोरी के मामलों में शामिल होने के गंभीर आरोप थे और वह जिले में ‘सबसे वांछित व्यक्तियों’ की सूची में शामिल था.

पुलिस अधीक्षक ने घटना के क्रम के बारे में बताते हुए कहा कि सिलचर सदर थाने की एक टीम भूमि विवाद मामले में वांछित एक व्यक्ति की तलाश में थी.

रमनदीप कौर ने कहा, ‘टीम जोरबाट इलाके में एक वाहन से आरोपी को पकड़ने में कामयाब रही. कई मामलों में वांछित एक अपराधी सहित दो अन्य को भी उसी वाहन से गिरफ्तार किया गया.’

पुलिस अधिकारी के मुताबिक इन तीनों को शनिवार (दो जुलाई) रात पुलिस टीम दो वाहनों से सिलचर ला रही थी, तभी दो आरोपियों ने अंधेरे का फायदा उठाकर फरार होने की कोशिश की.

इंडिया टुडे के मुताबिक, असम पुलिस की एक टीम ने शनिवार को कामरूप जिले के जोरबाट इलाके से कमरुल इस्लाम उर्फ ​​लकोई (35), अबुल हुसैन बरभुया उर्फ ​​अबू (26) और अनवर हुसैन लस्कर उर्फ ​​अपू (23) को गिरफ्तार किया था.

उन्हें मेघालय के रास्ते सिलचर ले जाया जा रहा था, जब दो आरोपियों कमरुल इस्लाम और अनवर हुसैन ने कथित तौर पर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की.

पुलिस टीम ने दोनों का पीछा किया और उन्हें रोकने के लिए गोलियां चलाईं. उनमें से एक को उसके सीने और पेट के निचले हिस्से में गोली लगी, जबकि दूसरे को उसकी पीठ के निचले हिस्से और दाहिने कंधे में गोलियां लगीं.

दोनों को शुरू में कलैन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया और प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

बीते जून महीने में असम सरकार ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को बताया था कि मई 2021 में हिमंता बिस्वा शर्मा के असम का मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से 13 महीनों में पूरे राज्य में (हिरासत से कथित तौर पर भागने के प्रयास के दौरान) पुलिस कार्रवाई की कुल 161 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 आरोपियों की मौत हो गई और 139 अन्य लोगों के घायल होने का मामला सामने आया है.

हिमंता बिस्वा शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद असम पुलिस ने ड्रग तस्करों और मवेशी चोरों/तस्करों और अपराधियों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया था. उन्होंने विशेष रूप से ड्रग्स के खिलाफ एक ऑपरेशन शुरू किया था.

राज्य में मई 2021 के बाद कई संदिग्ध उग्रवादी और अपराधी मुठभेड़ में मारे गए थे, क्योंकि कथित तौर पर उन्होंने हिरासत से भागने का प्रयास किया, वहीं बलात्कार के आरोपियों और पशु तस्करों सहित कई अन्य मुठभेड़ में जख्मी हुए थे.

पिछले साल छह जुलाई को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पदभार संभालने के बाद हुईं कई मुठभेड़ों को उचित ठहराते हुए कहा था कि अपराधी अगर भागने का प्रयास करते हैं या गोलीबारी करने के लिए पुलिस से हथियार छीनते हैं तो मुठभेड़ पैटर्न होना चाहिए.

मालूम हो कि वकील आरिफ मोहम्मद यासीन जवादर ने पिछले साल हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से हुई कई मुठभेड़ों को लेकर असम पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में शिकायत दर्ज कराई थी.

मानवाधिकार आयोग को दी अपनी शिकायत में कहा गया था कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ों में छोटे अपराधियों को गोली मारी है. इस तरह के मुठभेड़ों का कारण यह बताया गया है कि उन्होंने हथियार छीनकर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की थी.

जवादर ने दावा किया था कि हाल में ऐसी 20 से अधिक मुठभेड़ हुई हैं. उन्होंने शिकायत में कहा था कि सभी कथित अपराधी ड्रग डीलर, पशु तस्कर, डकैत जैसे छोटे किस्म के अपराधी थे, आतंकवादी नहीं थे. इनके हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित होने की संभावना भी नहीं थी.

उन्होंने कहा था कि उनमें से कुछ की मौके पर ही मौत हो गई, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है.

इसके अलावा जवादर ने गुवाहटी हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अदालत की निगरानी में किसी स्वतंत्र एजेंसी से मुठभेड़ों की जांच कराने का अनुरोध किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)